खबर लहरिया National बिहार: “सुशासन बाबू का ड्रीम पुल गंगा में समाया!”

बिहार: “सुशासन बाबू का ड्रीम पुल गंगा में समाया!”

बिहार: गंगा नदी पर बन रहे पुल गिरने की 4 जून की घटना में केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। लेकिन अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए सरकारें एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। पुल गिरने के मामले में केंद्र की मोदी सरकार को राज्य सरकार जिम्मेदार ठहरा रही है तो बिहार की राज्य सरकार मतलब नीतिश सरकार मोदी सरकार को। देश की जनता दोनों ही सरकारों से जवाब चाहती हैं।

इस मामले पर हमने लोगों यूपी और बिहार के लोगों से जाना कि ये जो सरकारें एक दूसरे को दोषी और जिम्मेदार ठहरा रही हैं इस पर वह क्या कहना चाहेंगे। लोग बहुत गुस्से में थे। उन्होंने बोला कि सरकारें जनता के साथ छलावा कर रही हैं। ये जिम्मेदारी दोनों सरकारों की है। भ्रष्टाचार इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि भ्रष्टाचारी खुले आम बेगैर किसी खौफ़ के चोरी कर रहा है। न ही सरकार का डर है और न ही कानून का क्योंकि इस में वह अकेले नहीं हैं खुद सरकार की भी मिलीभगत होती है। नहीं तो मजाल है कि भ्रष्टाचार आंख मूंद कर हो जाये।

ये भी देखें – दुनिया के सबसे महंगे ‘मियाज़ाकि आम’ की खेती कर रहा एमपी का एक जोड़ा

बहुत लोग तो इस मामले में बोलने से कतराते नजर आए। वह यही कहते रहे कि यह उनके यहां का मामला नहीं है इसलिए वह नहीं जानते। ऑफ कैमरा उबल पड़े कि अगर सरकार की सच्चाई की पोल खोलो तो सीधे जेल में डालने की धमकी देती है। इतना पैसा भला क्या करेगी। इतनी गंदी और घटिया राजनीति क्यों करते हैं कि लोग इनकी तमाशबीन बन जाए। जनता सब जानती है बस बोलती नहीं है।

एक नए कह ही डाला कि एक बार फिर सुशासन बाबू का यह ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा में समा गया। भ्रष्टाचार के सरिया और सीमेंट से बन रहा है यह पुल गिरने के साथ ही सरकार की भी पोल खोल कर रख दी।

बताया जा रहा है कि इस पुल का निर्माण 1700 करोड़ की लागत से किया जा रहा था। इतनी बड़ी रकम से बन रही पुल के गिरने के साथ ही इसकी सच्चाई सामने आ गई है।

ये भी देखें – Bihar Bridge Collapse: सेकंड्स में गिरा भागलपुर में बन रहा पुल, लग चुके थे करोड़ो रूपये…..

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke