खबर लहरिया Blog दिल्ली की हवा हुई ज़हरीली, पटाखे हुए बैन ,दीपावाली के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी बढ़ते प्रदूषण को लेकर फैसला

दिल्ली की हवा हुई ज़हरीली, पटाखे हुए बैन ,दीपावाली के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी बढ़ते प्रदूषण को लेकर फैसला

राजधानी दिल्ली में आये दिन प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना महामारी की वजह से लोग पहले ही परेशान थे और बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों के लिए अब सांस लेना भी मुश्किल कर दिया है। दीपावाली  भी आने को है जिससे की प्रदूषण के बढ़ने का खतरा और भी बढ़ गया है  क्यूंकि लोग दीपावाली  के समय पटाखें फोड़ते हैं जिससे की ज़हरीला धुंआ निकलता है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए वह कुछ नियम बनाएगी। हालंकि, 5 नवंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री और फोड़ने पर रोक लगा दी है। यहां तक ग्रीन पटाखें भी नहीं फोड़े जा सकते। दिल्ली सरकार के बाद कर्नाटका और ओडिशा सरकार ने भी प्रदूषण को देखते हुए पटाखों पर रोक लगा दी है। crackers ban in delhi

दिल्ली में आज का वायु गुणवत्ता सूचकांक 

दिल्ली की स्थति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। दिल्ली-एनसीआर, नॉएडा और गुड़गांव में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है। अगर आज की बात की जाए तो दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर 486 रहा, गुरुग्राम में 462 और नॉएडा में 610 रहा। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, हरियाणा के गुरुग्राम में वायु की गुणवत्ता (Air Quality) काफी खराब है। आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक 422, आरके पुरम में 407, द्वारका सेक्टर 8 में 421 और बवाना में 430 पर है. इन सभी जगहों पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में है। 

यह बात जानना बहुत ज़रूरी है कि 0 और 50 के बीचवायु गुणवत्ता को ”अच्छा”, 51 और 100 के बीच ”संतोषजनक”, 101 और 200 के बीच ”मध्यम”, 201 और 300 के बीच ”खराब”, 301 और 400 के बीच ”बेहद खराब” और 401 से 500 के बीच ”गंभीर” माना जाता है। 

दीवाली के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी प्रदूषण को लेकर फैसला

आज 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की  प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई दीवाली की छुट्टियों तक टालने का फैसला किया है। आज की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शहर में प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पाना सरकार की जिम्मेदारी है।

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इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि प्रदूषण के मामले में एक आयोग गठित कर दिया गया। जो आज यानी 6 नवंबर से ही काम करना शुरू कर देगा। इस पर प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि शहर में प्रदूषण की समस्या काबू में रहे। सरकार यह ध्यान रखे कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में किसी भी तरह का धुंआ न हो। 

गठित आयोग में शामिल अधिकारियों के नाम 

केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए गठित आयोग के पदाधिकारियों के नाम की सूचना आज जारी कर दी है।  पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी आयोग के अध्यक्ष होंगे। उनके अलावा 14 और सदस्य होंगे।  इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी शामिल हैं। 

” रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” कैंपेन 

दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए 21 अक्टूबर को “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ”  कैंपेन शुरू किया है। जिसका मतलब यह है कि लाल बत्ती होने पर सभी को अपनी-अपनी गाड़ियां बंद करनी होगी। जिससे की गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ कुछ वक़्त के लिए नहीं निकलेगा और प्रदूषण को कम करने में इससे कुछ सहायता मिलेगी। लोग लाल बत्ती पर अपनी गाड़ियां बंद कर ले, इसके लिए दिल्ली के हर लाल बत्ती पर पुलिस ऑफ़िसर और वालंटियर्स तैनात किये गए हैं जो इस बात का ध्यान रखते हैं कि सभी ने अपनी गाड़ियां बंद की हैं या नहीं। 

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इससे पहले भी दिल्ली सरकार प्रदूषण को लेकर “ओड और इवन “ कैंपेन चलाया था। जिसमे  2, 4, 6, 8, 12, 16 आदि तारीखों को इवन नंबर की गाड़ियां चलेंगी और बाकी के दिन ओड नंबर की। शुरू में इसका काफी असर दिखा। प्रदूषण के साथ-साथ गाड़ियां कम होने से जाम भी कम हो गया। लेकिन कुछ वक़्त के बाद कैंपेन उतना असरदार नहीं रहा, जितना की वह शुरुआत में था। 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता 484 और 494 रिकॉर्ड की गयी थी। दीवाली के बाद हर जगह प्रदूषण काली चादर जमा हो गयी थी। और अब इस साल भी ऐसा ही होता दिखाई दे रहा है।  सूरज भी प्रदूषण की वजह से दिखाई नहीं दे रहा।  न धूप आ रही है और न रोशनी। सरकार प्रदूषण को कम करने को लेकर कदम तो उठा रही है पर सरकार के साथ-साथ हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम ऐसा कोई भी काम न करें जिससे की प्रदूषण में बढ़ोतरी हो।