खबर लहरिया Blog कोरोना ने छीना जीने का सहारा

कोरोना ने छीना जीने का सहारा

कोरोना महामारी में कई लोगों से रोज़गार तो किसी ने उसका परिवार छिन गया।

in-panna-attention-to-cleanliness-is-not-being-given-despite-corona-cases-increasingअपनों का साथ छोड़ जाने का गम शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि आंखों के आंसू काफी कुछ बयां कर देते हैं। वैश्विक महामारी ने किसी बच्चे के सिर से पिता का साया छीन लिया तो कोई मां के आंचल से वंचित हो गया। पिता की मौत से बच्चों की जिम्मेदारियों का पहाड़ मां के कंधों पर आ गया है। ऐसे में क्या सरकार ने कोई रणनीति तैयार की जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके।

इस कोरोना महामारी ने कई परिवारों की हंसती खेलती जिदगी में दुखों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। किसी ने भाई तो किसी ने जीने का सहारा खो दिया। यह बहुत ही दर्दनाक और दुखद तस्वीर दुनिया भर से देखने को मिली है। रोते बिलखते परिजन और बच्चे आज दर्द की ऐसी कालकोठरी से गुजर रहे हैं जहां ना कोई उम्मीद है ना कोई रास्ता, सिर्फ जीने की गुंजाइश और उम्मीदें हैं। जिसके सहारे पूरा जीवन पड़ा है।

इस दुख भरी कहानी में लाखों परिवार हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है। वह आज बेहद निरास और लाचार है सरकार की अपनी मजबूरी है। सरकार इस कवायद में जुटी है कि उसके लोग किस तरीके से सुरक्षित बचें और लोगों को बचाने की निरंतर कोशिश जारी है। आपको बताते चलें कि देश के कोने-कोने से सोशल मीडिया और अखबारों के जरिए ये भयावह तस्वीर देखने को मिली और ऐसी घटनाएं मैनें अपने इस 32 साल के सफर के इतिहास काल में कभी नहीं देखीं थी, जहां मौत भी तमाशा बन गया हो। कहीं जलाने के लिए लकड़ियां कम पड़ गई तो कहीं डर के कारण अपनों ने मृतआत्मा से रिश्ता तोड़ लिया। यह किसी एक घर की कहानी नहीं बल्कि अलग-अलग जिलों और परिवारों से जुड़ी दास्तान है। जहां रिश्ते भी शर्मसार हुए हैं। वही सरकार की भी व्यवस्था का रूप देखने को मिला। अब धीरे धीरे कर स्थिति सामान्य हो रही है, लेकिन जिस घर का मुखिया इस दुनिया से चला गया उस घर का आने वाला भविष्य कितना भयावह और संघर्षमय होगा इसका अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है।

जब नदी में तैरती दिखी लोगों की लाशें

आपको बता दे कि यूपी के अलग-अलग शहरों से ऐसी सूचनाएं सोशल मीडिया, अखबारों और टीवी चैनलों में देखने को मिली हैं की नदी में दर्जनों की संख्या में लोगों की लाश बहा दिया, जिसका अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया।और वह कौन से लोग होंगे जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया हैं? और नमामी गंगे कही जाने वाली नदियों को गंदा किया। यह भी पता चलना मुश्किल हो गया।

शादी के दो दिन बाद हो गई दूल्हे की मौत

सोशल मीडिया में मैने एक लेख पढा़ था लगभग 20 दिन पहले जो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले पचोर गांव का था। पचोर गांव के रहने वाले अजय शर्मा की 25 अप्रैल को सीहोर में शादी हुई थी। शादी होते ही अजय की तबीयत कुछ बिगड़ गई। जांच कराई तो 4 दिन बाद 29 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव निकली और शादी के 23 दिन बाद अजय की मौत हो गई। यह खबर पढ़कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि जिस दुल्हन का पति शादी के 23 दिन बाद खत्म हो जा रहा है। जबकि उसके हाथों की मेहंदी का रंग भी फीका नहीं पड़ा है। उस दुल्हन और दोनों परिवारों के ऊपर क्या बीत रही होगी और आज उनका कितना भयावह और संघर्षमय जीवन होगा। जबकि बताया जा रहा है कि अजय शर्मा की शादी कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुई ही हुई थी।

बच्चों के सिर से छिन गया माँ का साया

इसी तरह अगर मैं अपने बांदा चित्रकूट की बात करूं तो बहुत से परिवारों ने अपनों को खोया है। यह बहुत ही दुखद घटना है जिसको याद करते ही आज भी आंखों में आंसू आ जाते हैं और मैं अपने आप को रोकने के लिए मजबूर हो जाती हूं। मैंने बाँदा जिले की एक पोस्ट पढ़ी थी जिसमें यह था कि गीता सागर कि कोरोना से मौत हो गई है जो यहां की जानी-मानी नेता थी। अब उस महिला के खत्म हो जाने के बाद सोचिए उसके बच्चों के सिर से मां का साया चला गया और वह क्या सोच रहे होंगे। ऐसे बहुत से परिवार हैं जो इस चीज से दुखी और पीड़ित हैं।

जब हम ग्रामीण स्तर में रिपोर्टिंग के लिए जाते हैं और देखते हैं की क्या स्थिति है तो बहुत तकलीफ होती है। अभी मई के महीने में ही मैं दिखीतवरा गांव कवरेज के लिए गई थी और वहां एक महिला ने बताया कि उसकी देवरानी की कोरोना पॉजिटिव आने से कानपुर में मौत हुई है। उसके एक बेटी है यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि उस नन्हीं सी बच्ची के सिर से उसकी मां का साया बचपन में ही छिन गया। आखिरकार बड़े होकर वह क्या समझेगी और किससे अपनी खुशियां मांगेगी और बांटेगी। इसी तरह बांदा शहर के अलग-अलग मोहल्लों में रहने वाले तीन बच्चे अनाथ हो गए हैं। इसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई है। ये सवाल मुझे कुरेदने लगे और एहसास दिलाया कि कितना दुखद और भयावह मंजर होगा उस परिवार की वर्तमान स्थिति का।

अनाथ बच्चों को राहत देने के लिए किया जा रहा चयन महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने सभी डीएम को कोविड-19 से प्रभावित अनाथ हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों की पहचान कर सूची तैयार कराने के निर्देश दिए थे। आदेश 5 मई को जारी हुआ था। 22 मई तक निदेशक, महिला कल्याण और राज्य बाल संरक्षण आयोग को रिपोर्ट भेजनी थी, ताकि ऐसे बच्चों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके। एसडीएम सदर सुधीर कुमार ने बताया कि सभी विभाग और तहसील स्तर पर चिह्नांकन कराया गया है। जिले में शहरी क्षेत्र के तीन मोहल्लों में रहने वाले तीन बच्चों के अभिभावकों की कोविड से मौत हुई है। इन अनाथ बच्चों की सरकार की ओर से मदद की जाएगी। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

हेल्पलाइन पर दे सकते हैं सूचना

कोरोना काल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों या किसी एक को खो दिया है, उनके सम्बन्ध में सूचना कोई भी व्यक्ति चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर दे सकता है। ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी। ऐसे बच्चों की सूचना राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेल्पलाइन- 011-23478250 पर भी दी जा सकती है। इसके आलावा अगर आप अवसाद महसूस कर रहे हैं तो आप 8376872622 इस नंबर पर कॉल कर सलाह ले सकते हैं। द ब्लू ड्वान संस्था अवसाद से जुड़े लक्षणों को लेकर काम रही है।

अब सवाल यह उठता है कि इतने सारे नंबर जारी हुए हैं और आदेश आए हैं तो आखिरकार इन बच्चों को किस हद तक मदद मिल पाएगी. मेरे दिमाग में यह भी चलता है कि बच्चों को मदद देने के लिए सरकार कह रही है ठीक है, लेकिन बहुत से परिवार है जिन्होंने अपने परिवार का मुखिया खोया है अपना पति खोया है उनके लिए क्या होगा? फिलहाल अब काफी हद तक इस बीमारी में गिरावट आई है। और वैक्सीन का काम बराबर जारी है ताकि लोग सुरक्षित रहें। पर क्या जिस तरह से डर का माहौल है और लोग वैक्सीन भी नहीं लगवा रहे तो कभी इस बीमारी से छुटकारा मिल पाएगा? इसलिए मैं यह कहती हूं कि सब लोग कोविड गाइडलाइन का पालन करें वैक्सीन जरूर लगवाएं ताकि जिस तरह हाहाकार पिछले 2 महीनों से मचा रहा और बहुत से परिवारों ने अपनों को खो दिया वह नौबत दोबारा ना आए।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।

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