खबर लहरिया जवानी दीवानी दिल्ली :विवादों और जे एन यू का बहुत पुराना नाता

दिल्ली :विवादों और जे एन यू का बहुत पुराना नाता

JNU

दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी

(जे एन यू) हमेशा किसी न किसी विषय के लिए चर्चा में बना रहता है. चाहे राजनीति की बात हो या आतंकवाद की यहाँ के विद्यार्थी सुर्ख़ियों में रहते ही है. लेकिन इस बार चर्चा का मुद्दा है जे एन यू में हॉस्टल फीस बढ़ोत्तरी।जिसके खिलाफ छात्रों ने जंग छेड़ दी है

18  नवम्बर को सड़क पर प्रदर्शन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जे एन यू प्रशासन पर बरसने के बाद छात्र अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. जवाहर लाल यूनिवर्सिटी छात्र संघ  के कुछ सदस्य HRD मंत्रालय (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) पहुंच गए हैं. मंत्रालय के द्वारा बनाई गई कमेटी से सभी छात्र मुलाकात करेंगे. छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी द्वारा जो हॉस्टल फीस बढ़ाई गई है, उसे वापस लिया जाए |

छात्रों के एक समूह ने 9 फरबरी 2016 को 2001 भारतीय संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम का नाम कश्मीरी कवि आगा शाहिद अली के काव्य संग्रह “बिना डाक-घर वाला देश” (जो जम्मू कश्मीर के एक हिंसक समय के बारे में है) पर रखा गया था. जेएनयू की बात चले और कन्हैया कुमार की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है. 11 फरबरी 2016 को जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर ये लिखा: “हिन्दी अनुवाद: हम लोकतंत्र के लिए, अपने संविधान के लिए और सभी को समान राष्ट्र के लिए लड़ेंगे। अफज़ल गुरु के नाम पर एबीवीपी सभी मुद्दों से ध्यान हटा कर केंद्र सरकार की नाकामयाबी को छुपाने की कोशिश कर रही है। जिसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा (हिन्दी अनुवाद) “अगर कोई भारत में रहते हुए भारत विरोधी नारे लगता है और भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देता है, तो उसे सहन नहीं किया जाएगा.

अब इस मुद्दे पर  केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार (19 नवंबर, 2019) को  कहा कि फीस वापसी तो महज बहाना है, इन छात्रों का मकसद तो विश्व विधालय  को शहरी नक्सलियों का गढ़ बनाना है। क्योकि जेएनयू छात्रों के लिए 300 रुपए कुछ भी नहीं हैं। न ही वे इस रकम की कद्र करते हैं। वे हमेशा अच्छे छात्रों, शिक्षकों और पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। वे अफजल गुरु जैसे आतंकियों की बरसी मनाते हैं। इस तरह की चीजें देश स्वीकार नहीं करेगा।”