परिवार जनों का कहना है कि मीना की नानी ने उसे गुटखा खाने पर डांट-फटकार लगाई थी जिससे मीना नाराज़ हो गई थी।
चित्रकूट ज़िले के भरतपुर थाना क्षेत्र के गोंडा गाँव में एक 14 वर्षीय बच्ची की आत्महत्या का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार बच्ची ने 20 अक्टूबर की शाम में घर में रखा जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। बच्ची के ज़हर खाने के कुछ ही समय बाद उसके परिवार वाले उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे और 21 अक्टूबर की शाम इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई।
मीना (बदला हुआ नाम) भरतकूप थाना क्षेत्र की रहने वाली थी और पिछले कई महीनों से वो अपनी नानी के यहां गोंडा में रह रही थी। परिवार जनों का कहना है कि मीना की नानी ने उसे गुटखा खाने पर डांट-फटकार लगाई थी जिससे मीना नाराज़ हो गई थी। लेकिन गाँव कुछ लोग ये भी कह रहे हैं मृतक लड़की का गाँव के ही किसी लड़के के साथ प्रेम प्रसंग था, जिसकी जानकारी नानी को मिल गई थी और इसी कारणवश उसकी नानी ने उसे काफी बुरी तरह डांटा था।
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गलत संगत में रहने के चलते पड़ी थी डांट परिवार-
मृतक लड़की के नाना राजा वर्मा ने बताया की अपनी नानी की डांट से मीना काफी आक्रोश में थी, और उसी दिन शाम में उसने घर में रखी चूहे मार दवा खा ली थी। राजा वर्मा ने हमें यह भी बताया कि मीना के पिता की मौत हो चुकी है और मीना चार बहनें थीं। मीना की माँ मेहनत-मज़दूरी करके अपने बाकी बच्चों को पाल रही है और मीना की देखभाल की ज़िम्मेदारी उसके नाना-नानी ने उठा ली थी। राजा वर्मा की मानें तो गलत संगत में पड़कर मीना की गुटखा एवं अन्य गलत आदतों की लत लग गई थी, और इसी के लिए आए दिन उसे अपनी माँ और नानी से डांट भी पड़ रही थी। हाल ही में उसकी माँ ने मीना को एक थप्पड़ भी मारा था।
भरतकूप थाना इन्चार्ज दुर्गेश गुप्ता का कहना है कि वो बच्ची पहले से बीमार थी और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसके कारण ने ज़हरीला पदार्थ खा लिया। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई और मृतक लड़की के परिवार ने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत नहीं दर्ज कराई है।
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बच्चों को डांटने-मारने से बेहतर उन्हें प्यार से समझाएं-
इस मामले में जो एक बात निकल कर सामने आ रही है वो है बच्चों पर बनाए जाने वाले दबाव और उनके मानसिक स्वास्थ्य की। पहले तो बच्ची के ऊपर परिवार एवं पड़ोसियों की तरफ से प्रेम-प्रसंग, गुटखा आदि जैसे मामलों को लेकर सवाल उठाए गए। प्रेम-प्रसंग की बात सही थी भी या नहीं, यह भी किसी को नहीं पता है। लेकिन अलग-अलग तरह के इलज़ामों का सामना कर रही मात्र 14 वर्षीय बच्ची के दिमाग पर इसका क्या असर पड़ रहा होगा, यह तो हम सोच भी नहीं सकते। यही कारण है कि भारत में लगातार बच्चों में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।
NCRB की एक रिपोर्ट के अनुसार 14-18 वर्ष की आयु वर्ग के 24,000 से अधिक बच्चों ने 2017-2019 के बीच आत्महत्या कर जान देदी। इन मामलों में जहाँ मुख्य कारण पढ़ाई और परीक्षा देखने को मिला, वहीँ ज़्यादातर लड़कियों ने कम उम्र में शादी के बंधन में बंधने के डर से जान देदी।
ऐसे में ज़रूरी यह भी है कि इन बच्चों को सही समय पर काउंसलिंग आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि यह लोग इतनी छोटी उम्र में कोई गलत कदम न उठाएं। लेकिन दुःख की बात तो यह है कि चित्रकूट के ग्रामीण क्षेत्रों में कॉउंसलर की कोई सुविधा नहीं पहुंचाई जा रही है।
किशोरावस्था में यह भी ज़रूरी है कि माँ-बाप ही अपने बच्चों को समझें और कोई गलती करने पर उन्हें डांटने-मारने के बजाय उन्हें प्यार से समझाएं। ताकि बच्चे भी अपने आप को अकेला महसूस न करें और कोई गलत कदम उठाने से बचें।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए नाज़नी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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