गांव सेहुड़ा के निवासी मनीशंकर कहते हैं, “इन दिनों तेज गर्मी पड़ रही है और तापमान लगातार बढ़ रहा है। अगर तालाब सही से बना होता तो हम सुबह-शाम वहां टहलते, बैठते, बच्चों के साथ खेलते और गर्मी से थोड़ी राहत भी मिलती।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम
प्रयागराज जिले के जसरा ब्लॉक के गांव सेहुड़ा में तालाब के विकास का कार्य सिर्फ नाम मात्र का रह गया है। इस तालाब का काम अमृत सरोवर योजना के तहत किया गया था। सेहुड़ा गांव निवासी प्रेम नारायण ने बताया कि, तालाब पर सिर्फ एक गेट बनवाया गया है। जिस पर योजना का नाम और संबंधित अधिकारियों के नाम लिखवा दिए गए हैं। बस थोड़ा बहुत ऊंचा स्थान, समतल कर खड़ंजा डलवाया गया लेकिन असल विकास कार्य नहीं हुआ।
उनका कहना है कि, अगर सही मायने में विकास कार्य होता तो यहां भी अन्य तालाबों की तरह पक्के घाट, बैठने की व्यवस्था, पानी पीने की सुविधा और तालाब की परिक्रमा के लिए रास्ता बनता। तालाब में अब भी पानी है लेकिन चारों ओर घनी घास और गंदगी फैली है। इस वजह से कोई वहां जाना पसंद नहीं करता। जितना पैसा इस आधे-अधूरे काम में खर्च हुआ है। अगर वही कहीं और अच्छे काम में लगाया जाता तो, उसका लाभ गांव के लोगों को मिल सकता था।
सिर्फ नाम की योजना, ज़मीन पर कुछ नहीं
गांव सेहुड़ा के निवासी मनीशंकर कहते हैं, “इन दिनों तेज गर्मी पड़ रही है और तापमान लगातार बढ़ रहा है। अगर तालाब सही से बना होता तो हम सुबह-शाम वहां टहलते, बैठते, बच्चों के साथ खेलते और गर्मी से थोड़ी राहत भी मिलती। अमृत सरोवर योजना के नाम पर कुछ शीशम के पौधे लगाए जरूर गए हैं, लेकिन पानी की व्यवस्था न होने से सारे पौधे सूख गए। घास की सफाई नहीं हुई, न ही तालाब के चारों तरफ किसी तरह की साफ-सफाई या सौंदर्यीकरण किया गया।
वह आगे बताती है, अन्य गांवों में अमृत सरोवर के तहत सौर ऊर्जा से चलने वाली पानी की टंकी, बोरिंग, बैठने के लिए कुर्सियां, और अच्छे घाट बनाए गए हैं। लेकिन उनके गांव में सिर्फ एक बड़ा गेट बनवा कर उस पर प्रधान, सचिव और रोजगार सेवक के नाम छपवा दिए गए हैं। काम सिर्फ कागज़ों पर हुआ है, ज़मीन पर कुछ नजर नहीं आता।
तालाब के घाट की नहीं होती सफाई
सेहुड़ा गांव की रहने वाली रीता बताती हैं कि, तालाब साफ़ होता तो वहां नहाने, कपड़े धोने, और जानवरों को पानी पिलाने के लिए जा सकते थे। बच्चों के खेलने-कूदने और ग्रामीणों के बैठकर मनोरंजन करने के लिए भी यह एक बढ़िया जगह बन सकती थी।
जब तालाब का काम शुरू हुआ था, तो हमें बहुत उम्मीद थी कि अब गांव में एक अच्छी जगह बनेगी, लेकिन सब अधूरा रह गया।
रीता की मांग है कि इस तालाब की जांच कराई जाए और जो भी बजट विकास के लिए पैसा आया है, उससे कम से कम घाट, सीढ़ियां, और सफाई की व्यवस्था कराई जाए।
12 लाख खर्च पर तालाब में काम नहीं हुआ
सेहुडा गांव की रहने वाली शीला ने बताया कि उन्होंने अन्य गांवों में देखा है कि वहां तालाब सूखने पर बोरिंग से पानी भर दिया जाता है, बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं जहां बच्चे खेलते हैं और छांव में बैठते हैं। लेकिन उनके गांव में अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत सिर्फ गेट बना है। 12 लाख का बजट पास हुआ था,लेकिन लगता नहीं कि पूरा खर्च हुआ इस तालाब पर।
काम अभी बाकी है, जल्द पूरा होगा, प्रधान रज्जन
प्रधान रज्जन ने बताया कि सेहुडा गांव की आबादी करीब तीन हजार है। अमृत सरोवर योजना के तहत गांव के एक तालाब के लिए करीब 12 लाख रुपये का बजट मंजूर हुआ था। तालाब की मिट्टी बराबर करवा दी गई है। पेड़ लगवाए गए हैं और कुछ हिस्सों में खड़ंजा भी बनवाया गया है। कुछ काम बाकी हैं जिन्हें जल्द पूरा करवा दिया जाएगा।
गांव में कुल 12 तालाब हैं, लेकिन इस योजना के तहत सिर्फ एक तालाब के सुंदरीकरण के लिए बजट मिला है।
बीडीओ अनीश अहमद ने दिलाया भरोसा
जसरा ब्लॉक के बी.डी.ओ.अनीश अहमद बताते हैं कि, पूरे ब्लॉक में 63 ग्राम पंचायतें हैं। अमृत सरोवर योजना के तहत हर गांव में सिर्फ एक तालाब के लिए करीब 12 लाख रुपये का बजट पास हुआ है। उसी से तालाबों का विकास और सुंदरीकरण करवाया जा रहा है।
अगर वहां की स्थिति वाकई खराब है, तो मैं खुद जांच करवाऊंगा। यदि गड़बड़ी पाई गई, तो दोबारा से बजट के तहत काम कराया जाएगा। तालाब में घाट भी बनवाया जाएगा। वैसे, इस क्षेत्र के ज़्यादातर तालाबों में पानी मौजूद है।
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