बांदा जिले का सिमौनी धाम के नाम से हर साल दिसंबर की 15 से 17 तारीख तक लगने वाला मेला दिनों दिन तरक्की कर रहा है और इस मेले जो खास है वो है भगवा राजनीति का बोलबाला । शुरुवात से ही इस मेले में रहा है। सपा शासन काल में सिमौनीधाम में लगने वाले मेले को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिया।
बताया जा रहा है कि सन 1967 से इस मेले की शुरूआत हुई थी। इस साल भी मेले में राजनीतिक लोगों ने धर्म और आस्था की आड़ में राजनीति करने से बाज नहीं आये। भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ लोगों के बीच भ्रम फैला रही है। सभी पार्टियों को इस बिल का समर्थन करना चाहिए।
जादूगरी से लोगों का मनोरंजन करने वाला जादूगर योगा अपनी जादूगरी में योगी सरकार के कलर और सरकार का गुण गान करता रहा। जबकि इस बात को लोग समझ रहे थे इसीलिए कई लोगों ने कह डाला कि राजनीति करने भी लोग आते हैं।
बांदा निवासी एक व्यक्ति ने कहा कि कुछ लोग व्यापार, कुछ लोग मनोरंजन तो कुछ लग राजनीति भी करने आते हैं। लाखों की संख्या में जुटी भीड़ के बीच अपनी भाषणबाजी से प्रभावित करते हैं। खुद में फेमस होते हैं। इसीलिए श्रमदान की आड़ में जिले समेत भारतीय जनता पार्टी के कई छोटे बड़े नेता और विधायक (विधायक चंद्रपाल कुशवाहा, प्रकाश द्विवेदी, राजकरन कबीर व बृजेश प्रजापति, भाजपा जिलाध्यक्ष लवलेश सिंह सहित संतोष गुप्ता, विवेकानंद गुप्ता, अजय पटेल, राजेश द्विवेदी, आनंद स्वरूप द्विवेदी, पूर्व जिलाध्यक्ष बालमुकुंद शुक्ला, चेयरमैन सुखदेव, जगराम सिंह, शिवशंकर सिंह, लाखन सिंह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष) नज़र आये।
इस बार के विशाल कालिंजर मेला ,जिस पर मंडरा रहा खतरा अब टल चुका है | Kalinjer Mela
पुरुष ही नहीं महिलाएं भी नज़र आईं। इसके अलावा दूसरी पार्टी के लोग नज़र नहीं आये। बढ़ते धर्म के सवाल पर आचार्य दिनेश द्विवेदी ने कहा कि कल युग है इसलिए धर्म को बढ़ावा दिया जा रहा। पता नहीं कैसे बोल गए पर जनाब ने बात तो बड़े फते की बोली है। इसी तरह से ममता मिश्रा जो हिन्दू विश्व परिषद नारीशक्ति की जिलाध्यक्ष का कहना है कि बुंदेलखंड जो कि जातिवाद के नाम से कुख्यात है वहां पर इस मेले से कोई छुआछूत नहीं है। जबकि उनकी श्रमदानी टीम में सभी महिलाएं समाज में उच्च मानी जानी वाली जाति से हैं।
यह राजनीति नहीं तो और क्या है। सरकारी योजनाओं के स्टॉल भगवा रंग से रंगे थे। पूरे मेले में ज्यादातर टेंट भगवा रंग से नहाए थे। यहां तक कि तेज आवाज करने वाला माइक भी। इस पूरे मामले को लेकर भाजपाई श्रमदानी मीडिया के कैमरे पर बाईट देने से कतराते रहे। बहाने से कहते रहे कि अवधूत महाराज नाराज हो जाएंगे। उन्होंने सबको मना कर रखा है। खैर चाहे जो भी कहा जाए पर इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि राजनीति और भगवा रंग सिर चढ़ कर बोल रहा था।