खबर लहरिया जिला बाँदा : धूमधाम से मनाया गया ग्रामोत्सव

बाँदा : धूमधाम से मनाया गया ग्रामोत्सव

जिला बांदा के गांव बड़ोखर खुर्द में जैविक खेती करने वाले किसान प्रेम सिंह की अगुवाई में दो दिवसीय कार्यक्रम हुआ। जिसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिए जाने पर प्रदेश सरकार के फैसले के बाद किसानों ने इसकी रीति और नीति पर मसौदा तैयार करने की शुरुआत की है। इस दौरान गाजे-बाजे के साथ ग्राम उत्सव भी मनाया गया और गांव में काम करने वाले अलग-अलग लोगों को सम्मानित किया गया।

Banda News, Gramotsav celebrated with pomp in Prem Singh's garden

                                 प्रेम सिंह की बगिया में ग्रामोत्सव मनाते हुए लोग

मंगलवार को बड़ोखर खुर्द गांव स्थित ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर में प्रदेश के 35 जिलों के अलावा केरल और महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान भी जुड़े। प्राकृतिक खेती के 12वें वार्षिक सम्मेलन और ग्रामोत्सव का आयोजन किया। इसमें तय हुआ कि प्राकृतिक खेती का मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा।

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सम्मेलन बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह ने ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर में प्रकृति के साथ तालमेल भरा संतुलन कायम करते हुए जैविक पद्धति पर आधारित कृषि का सफल मॉडल शुरू किया है। यह पूरी दुनिया में प्रचलित हो रहा है। देश-विदेश के किसान यहां आकर प्राकृतिक खेती के गुण सीख रहे हैं। त्यागी ने कहा कि सरकार का दावा है कि सभी सरकारी योजनाएं किसानों तक पहुंच रही हैं, जबकि हकीकत कुछ और है। इसी वजह से आर्थिक विषमता की खाई लगातार बढ़ रही है। सम्मेलन के मुखिया प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह ने सभी किसानों और उनके प्रतिनिधियों की अगुवानी की और कार्यक्रम का मकसद बताया।

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दो दिवसीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन एवं ग्रामोत्सव का उद्घाटन भारतीय जैविक कृषि संगठन (ओएफएआई) के अध्यक्ष और केरल के प्रगतिशील किसान इलियास ने किया। उन्होंने केरल मॉडल का हवाला देकर परंपरागत खेती पर लौटने पर जोर दिया। प्रगतिशील किसान और उत्तर प्रदेश किसान समृद्धि आयोग के सदस्य प्रेम सिंह के मॉडल को पूरे देश में विकसित करने की सलाह दी।
सम्मेलन के पहले दिन का समापन ग्रामोत्सव के रूप में हुआ। कोलापुर (महाराष्ट्र) स्थित कनेरी मठ के काड सिद्धेश्वर महाराज की अगुवाई में किसानों के जत्थे ने बड़ोखर खुर्द गांव में बाजे-गाजे और ढोल-मंझीरा के साथ भ्रमण किया। गांव के तकनीक सिद्धस्थ कारीगरों जैसे बढ़ई, नाई, राजमिस्त्री, कुम्हार, सफाई कर्मी, दर्जी, लोहार आदि को उनके घरों पर जाकर ‘कृषि कर्मयोगी’ के रूप में सम्मानित किया। कहा कि ये काम गांव की रीढ़ हैं।

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