खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए एक थप्पड़ भविष्य के हिंसा की शुरुआत है! देखिए थप्पड़ मूवी रिव्यु

एक थप्पड़ भविष्य के हिंसा की शुरुआत है! देखिए थप्पड़ मूवी रिव्यु

बस एक थप्पड़ ही तो था। क्या करूं? हो गया ना। ज्यादा जरूरी सवाल है ये है कि ऐसा हुआ क्यों? बस इसी ‘क्यों’ का जवाब तलाशती है अनुभव सिन्हा की ये फिल्म थप्पड़।नमस्ते मैं  हूँ लक्ष्मी शर्मा और एक बार फिर हाजिर हूँ कुछ फ़िल्मी गपशप के साथ तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं.

 

28 फरवरी को रिलीज़ हुई फिल्म थप्पड़ हमारे सोच पर भी एक करारा थप्पड़ है कोकि हम कई बार सोच लेते हैं के एक थपप्पड़ ही तो है. खास कर हम ग्रामीण इलाकों की बात करें तो ये एक नार्मल सी बात है. 

 

क्योकि हमारे समाज में वैसे भी महिलाओं को थप्पड़ मारना पुरुषों का जन्मसिद्ध अधिकार है तो हम इस पर ज्यादा सोचते ही नहीं है आपमेसे भी कई पुरुषों ने अपनी पत्नी को थप्पड़ मारा होगा या महिलाओ ने खाया होगा। तो अब हम चलते है फिल्म की तरफ तो फिल्म में अमृता यानी तापसी पन्नू और विक्रम यानी पावेल गुलाटी शादीशुदा कपल हैं और परिवार के बीच अपनी अपर-मिडिल-क्लास ज़िंदगी जी रहे हैं। जहां विक्रम करियर में आगे बढ़ने के सपने देख रहा है और काम में व्यस्त है। वहीं अमृता एक परफेक्ट पत्नी, बहू, बेटी और बहन है। वह क्लासिकल डांसर है और उसके पिता की मानें तो वह इसमें अपना करियर भी बना सकती थी। लेकिन गृहस्थी के लिए वह अपने सपनों को पीछे छोड़ देती है। वह पति की खुशी में ही खुशी ढूंढ़ लेती है.. कि तभी ‘थप्पड़’ पड़ता है। घर की पार्टी में तमाम मेहमानों के सामने पति के हाथों से एक जोरदार थप्पड़। इस घटना के साथ अमृता सुन्न हो जाती है। उसे उस दिन अपने सारे त्याग और सपनो को याद करती है जो इस परिवार या पति के लिए उसने पीछे छोड़ दिए 

 

पति, सास, मां, भाई.. सभी सलाह देते हैं कि इस घटना को भूलकर उसे आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन अमृता ऐसा नहीं करती है। वो इस घटना को भूलने से इंकार करती है। पिता हर कदम पर उसके साथ हैं। बेटी के गाल पर पड़े थप्पड़ से वो व्यथित हैं और क्रोधित भी। वह किसी भी प्रकार के घरेलू हिंसा के खिलाफ हैं, भले ही वह एक थप्पड़ क्यों ना हो। दामाद आकर उनसे कहता है- हो गई गलती.. अब मैं क्या करूं? आगे से कभी नहीं होगी। तो पिता कहते हैं- सवाल यह ज्यादा जरूरी है कि ऐसा हुआ क्यों? जो इस क्यों का जवाब हम सबको सोचने पर मज़बूर करता है 

कहानी सिर्फ अमृता की नहीं है। बल्कि अमृता से जुड़ी पांच और औरतों की भी है। तलाकशुदा पड़ोसी (दिया मिर्जा), सास (तन्वी आज़्मी), मां (रत्ना पाठक शाह), वकील नेत्रा जयसिंह (माया सराओ) और अमृता के घर की कामवाली बाई.. ये सभी किरदार कहानी में साथ साथ चलते जाते हैं.. एक अंतर्विरोध के साथ। सभी समाज की पुरुषवादी सोच से घिरी हुई हैं। लेकिन अमृता की लड़ाई इन्हें भी इस सोच से उबरने का मौका और हिम्मत देती है।

 

 

वैसे इस फिल्म का जब से ट्रेलर रिलीज हुआ है, तभी से फिल्म को शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ से कंपेयर किया जा रहा है।लोगों का कहना है कि लेखक अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू के जेहन में कहीं न कहीं फिल्म ‘कबीर सिंह’ का ख्याल रहा होगा। जैसे ही तापसी पन्नू का थप्पड़ वाला सीन सामने आता है, आपको एक सेकेंड के लिए कबीर सिंह की याद जरूर आ जाएगी, जब वह प्रीति को जोरदार थप्पड़ जड़ते हैं।फिसड्डी निकली लव आज कल 2: फिल्म रिव्यू

 

ओह इतनी साड़ी बाते है इस फिल्म में बताने के लिए के सुबह से शाम हो जाय इससे अच्छा होगा आप जाइये और फिल्म देख कर आइये।

एक और बात इस फिल्म के बाद अब ब्रेकथ्रू इण्डिया नाम का एनजीओ है जो इस फिल्म को प्रमोट करने के साथ ही एक कैम्पेन भी चला रहे हैं. 

 

इस फिल्म को मेरी तरफ से 5 में से 4.5  स्टार मिलते है. तो अगर आपको हमारा वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करना ना  भूले और हाँ अगर आपने अभी तक आपने हमारा चैनल सब्स्क्राइव नहीं किया है तो जल्दी से सब्स्क्राइव कर लें  ये जो टी शर्ट मैंने पहना है वो आप भी खरीद सकते है हमारी वेब्साइड www.khabarlahariya.org पर जाए और होली में अपने लिए अपनी फैमली के जरूर ख़रीदे तो मिलते है अगले  तक के लिए नमस्कार