खबर लहरिया बुंदेलखंड मनरेगा मज़दूरी या मज़ाक? ललितपुर के छपरट गांव में

मनरेगा मज़दूरी या मज़ाक? ललितपुर के छपरट गांव में

जिला ललित पुर, गांव छपरट सरकार मनरेगा योजना के तहत रोजगार गारंटी देने का दावा तो करती है क्या वाकई मजदूरों को समय से काम मिलता है अगर काम मिलता भी है तो क्या समय से लोगों को मजदूरी मिल पाती है आइये जानते है छपरट गांव के लोगों सेशीला देवी ने बताया कि मनरेगा के तहत एक महीना में साढ़े चार हजार का काम किया था परन्तु अभी तक मजदूरी नहीं मिली है बम्हौरी देवी का कहना है कि मंगलदिवस में दरखास दिए है किन्तु अभी तक मजदूरी के लिए भटक रहे है
घनस्याम और परसू ने बताया कि खंती का काम किया था प्रधान ने रूपये खाता में नहीं डलवाये है एक साल से मजदूरी नहीं मिली है पत्रिक कार्यक्रम अधिकारी हिर्देश अहिरवार का कहना है कि खाता गड़बड़ होने से लोगो तक समय से मजदूरी नहीं पहुंच पाती है पंचायत मित्र दरयार सिंह का कहना है जब उपर से मजदूरी नहीं आती तभी लोगो को नहीं मिलती है

रिपोर्टर-सुषमा

31/08/2017 को प्रकाशित