खबर लहरिया ग्रामीण स्वास्थ्य क्या अपने पैरों पर कभी चल पायेगा बाराबंकी जिले का तीरथ?

क्या अपने पैरों पर कभी चल पायेगा बाराबंकी जिले का तीरथ?

जिला बाराबंकी, गांव जयचन्द्रपुर, 2 नवम्बर 2016। तीरथ रावत, 40, अपने पैरों पर चल नहीं सकते हैं क्योंकि उनके कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है। तीरथ के इस हिस्से ने दो साल पहले ही काम करना बंद किया है। उन्होंने हैदरगढ़, लखनऊ और दिल्ली जैसे शहरों में अपना इलाज करवाया था पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। लखनऊ के राममनोहर लोहिया अस्पताल ने तीरथ को एक ऑपरेशन के लिए कहा हैं, जिसका खर्च डेढ़ लाख है। पर गरीब तीरथ के पास ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं है। उसने ऑपरेशन के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के अंतर्गत पैसे की मांग की है, पर दो महीने बीतने के बाद भी उन्हें कोई पैसे नहीं मिले  हैं।

2015 में तीरथ रोजगार की खोज में दिल्ली गए थे। वहां कुछ दिनों बाद उनके पैरों में बहुत तेज दर्द हुआ, जिसके बाद तीरथ गांव आ गये और धीरे-धीर वह अपने पैरों से चलने फिरने में असर्मथ हो गए। तीरथ ने हैदरगढ़ और लखनऊ के कई अस्पतालों में इलाज कराया पर उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया।

पैरों में जलन और कोई जान नहीं होने की बात बताते हुए तीरथ कहते हैं, “टेस्ट में नस दबने की बात आई है और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने मेरे ऑपरेशन के खर्च के लिए आवेदन कर दिया है। अब जब पैसा आएगा, तो मुझे ऑपरेशन के लिए बुला लेंगे।”

तीरथ के पैरों में बहुत तेज दर्द रहता है, जिसके लिए वह दवाई की दूकान से कोई भी दर्दनाशक दवा ले लेते हैं क्योंकि तीरथ के पास अस्पताल द्वारा बताई गई दवा के लिए पैसे नहीं हैं। तीरथ की हालत इतनी खराब होती जा रही हैं कि उन्हें शौच कराने का काम भी उनका बेटा और दामाद करते हैं।

तीरथ की पत्नी गुलाबो अभी तीरथ का कहीं इलाज नहीं होने की बात बताते हुए कहती हैं, “हम अब ऑपरेशन के पैसे मिलने का इंतेजार कर रहे हैं।”

जयचन्द्रपुर के क्षेत्रीय पंचायत सदस्य साहेबदीन तीरथ के इलाज के लिए निजी अस्पतालों से राम मनोहर लोहिया अस्पताल तक इलाज कराने में साथ रहे। वह बताते हैं, “हमनें लोहिया अस्पताल में इलाज करने के लिए 50 हजार रुपये की व्यवस्था विधायक खाते से करवाई थी। पर डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन की बात कहने पर तीरथ ने इलाज छोड़ दिया हैं।”

हैदरगढ़ के एक निजी अस्पताल के डॉक्टर अक्षत तीरथ के बारे में बताते हैं, “तीरथ ने एक बार राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरी सलाह के विरोध इलाज छोड़ दिया। पर हमनें फिर से लोहिया अस्पताल के ‘न्यूरोलॉजी’ (दिमाग से जुड़े विज्ञान) विभाग के डॉक्टरों से उनके केस पर बात की है, जिसके बाद उनके ऑपरेशन की बात सामने आई। इस ऑपरेशन के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे।”

पर अब देखना ये बनता है  कि एक जगह से  दूसरे जगह जाने में और अस्पतालों के चक्करों में तीरथ क्या वाकई में ठीक हो पायेगा या नहीं।

रिपोर्टर-कविता और नसरीन