खबर लहरिया जवानी दीवानी क्या 3 तलाक बिल से सच में स्वतन्त्र हो गई महिलायें

क्या 3 तलाक बिल से सच में स्वतन्त्र हो गई महिलायें

सरकार ने ट्रिपल तलाक कानून पारित कर दिया हैl जिसको लेकर कुछ लोग खुश हैं तो बहुत से लोग नाखुश भी हैं| लोगों का कहना है कि यहां तो कानुन पारित करके तलाक देना ही बंद करा दिया गया है| जिससे महिलाओं पर होने वाली हिंसा और भी बढ जाएगी| वह लोग ये चाहते थे कि तलाके बिद्दत हटाया जाय, जिसमें लोग छोटी छोटी बातों को लेकर और फोन से तीन बार तलाक तलाक बोल कर महिलाओं कि जिन्दगी बरबाद कर देते हैं ये न हो| लेकिन सरकार ने तो तलाक को बिलकुल बंद करा दिया और उत्पीडन होने पर पति को तोन साल की सजा भी होनी है|

ऐसे में अगर कोई पति साथ नहीं रहना चाहता और वह सरकार के नियमानुसार तलाक भी नहीं दे सकता तो अंदर ही अंदर और भी महिलाओं का उत्पीड़न करेगा क्योंकि अब तो वह तलाक भी नहीं दे सकता और अगर इसके बाद भी पुलिस उसके ऊपर कोई ठोस कदम उठाती है वह जेल जाता है तो महिला उसी घर में रहकर कैसे स्वतंत्र महसूस करेगी और उसका भरण पोषण कौन करेगा| इस तरह से सरकार ने यह कानून पारित कर कर यह कह दिया है कि अब मुस्लिम महिलाएं स्वतंत्र हैं अब तलाक नहीं हो सकता और वह खुश रह सकती हैं लेकिन वह कैसे खुश रहेंगी और कितना स्वतंत्र रहे पाएंगी और उन्हें किस तरह की स्वतंत्रता मिलेगी क्या वह ससुराल में रहकर और पति को जेल भेजकर स्वतंत्र रहेंगी या ससुराल में रहकर पति तलाक नहीं देता लेकिन उत्पीड़न कर रहा है उसमें स्वतंत्र रहेंगी या उनको घर से बाहर निकलना और खाने-पीने की स्वतंत्रता मिलेगी| लोगों का यह भी कहना है कि पहले तो यह था कि अगर बहुत परेशानी है और कोई अलग रहना चाहता है तलाक देकर तो वह अलग रह कर किसी तरह मायके आकर अपना जीवन व्यतीत कर सकता था और कुछ तो स्वतंत्र महसूस करता था कर सकता था लेकिन अब इस कानून के बन जाने से वह मायके में भी नहीं आ कर रह सकती क्योंकि मायके वाले भी कहेंगे कि आपका कौन तलाक हुआ है ससुराल में ही जा कर रहो तो एक महिला का कही ठिकाना ही नहीं रहे जाएगा| इस लिए उनके हिसाब से ये कानुन ठीक नहीं है|