खबर लहरिया जवानी दीवानी गाय के सींग पर अटका वोट! जानिये क्या है खुराफ़ात

गाय के सींग पर अटका वोट! जानिये क्या है खुराफ़ात

 

साभार: फ्लिक्कर

इस निर्णय के निष्कर्ष पर पहुँचने में लगभग आठ साल लग गए लेकिन अंततः स्विट्जरलैंड अब गाय (और बकरी) के सींगों के मुद्दे पर इस रविवार को चर्चा करके वोट डालने के लिए तैयार है।

यदि आप इस काम पर स्विस प्रत्यक्ष लोकतंत्र का साक्ष्य देखना चाहते हैं, तो किसान अरमीन कैपौल की कहानी के बारे में जानना ज़रूरी है।

67 वर्षीय कैपौल इस तथ्य के लिए लगभग अकेले उत्तरदायी है कि सप्ताह के अंत में लाखों स्विस मतदाताओं द्वारा इस मुद्दे पर अपनी राय दी जाएगी। जिसमे चर्चा की जाएगी कि स्विस किसान जो अपनी गायों और बकरियों के सींगों को नहीं हटाते हैं, उन्हें अतिरिक्त जुड़ी लागत को पूरा करने के लिए सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए या नहीं।

किसान द्वारा इस लम्बे संघर्ष को 2010 में संघीय कार्यालय के एक पत्र के साथ शुरू किया गया था। जब अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, तो उन्होंने 2014 में एक लोकप्रिय पहल की शुरुआत की और इस मुद्दे पर जनमत संग्रह को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक 100,000 हस्ताक्षर एकत्र किए।

कैपौल द्वारा इस संघर्ष को इतना आगे बढ़ा दिया जाएगा ये उन्होंने भी कभी नही सोचा था। ये बात उन्होंने बर्न में स्विस संसद के मीडिया सेंटर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताई है। उनका ये भी कहना है कि वो इसके ज़रिये गायों और बकरियों को एक आवाज़ देना चाहते थे।

स्विट्जरलैंड में सींगों के साथ गायों की संख्या पर अनुमान 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक लगाया जा सकता है (हालांकि कुछ नस्लें आनुवंशिक रूप से बिना सींग के ही होती हैं)।

इस पहल से जुड़े गाय हॉर्न वेबसाइट पर भी बर्न विश्विद्यालय के अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि कई गायों के सींग निकालने के बाद उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है – एक ऑपरेशन के ज़रिये उन पर लगभग 700 सी तक गर्म लोहे का उपयोग करके सींगों को बाहर निकाला जाता है।

लेकिन किसानों के लिए उनकी गायों के सींगों को ना निकालने का निर्णय आर्थिक लागत से जुड़ा है: सींग वाली गायों को और अधिक जगह चाहिए होती है और किसानों के लिए भी श्रम उपयोग की और अधिक मांग बढ़ जाती है।

इसलिए इस मुद्दे के बीच सब्सिडी जैसी सुविधा की मांग की गई है। इसलिए कैपौल और उसके साथी इस मामले पर बैन का समर्थन न जताते हुए ये सुनिश्चित करना चाहते हैं की उन सभी किसानों को इस वजह से भविष्य में कभी आर्थिक विकल्प से जुड़े सवाल का जवाब न देना पड़े।

उनकी मांग है कि वहां की सरकार, सींग न निकालने वाले किसानों को आवश्यक अतिरिक्त खर्चा प्रदान करे- जो पैसा तीन बिलियन स्विस फ़्रैंक के कुल कृषि बजट से आएगा।

हालांकि, स्विस सरकार आधिकारिक तौर पर इस पहल का विरोध करती है। यह तर्क देते हुए कि सींगों के साथ गाय, अन्य जानवरों व् उनके सुरक्षाकर्मी दोनों के लिए काफी खतरनाक है, जिसका अर्थ ये होगा कि उन्हें खलिहान में और अधिक जगह की आवश्यकता होगी।

कृषि मंत्री जोहान श्नाइडर-अम्मान का कहना है कि भले ही सरकार जानवरों की आजादी के प्रति उन्हें खुले मैदान में घुमने की अनुमति देती है लेकिन सींग वाले गायों के प्रति सुरक्षा पहलु का ध्यान रखते हुए उन्हें, खलिहान में रखने की ही अनुमति दे सकती है।