खबर लहरिया Blog पृथ्वी दिवस मानाने की जरुरत क्यों?

पृथ्वी दिवस मानाने की जरुरत क्यों?

दुनिया हर साल 22 अप्रैल को ‘अर्थ डे’ यानी पृथ्वी दिवस मनाती है. इसे मनाने का सबसे अहम उद्देश्य लोगों को पर्यावरण और उसके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. वैसे पृथ्वी दिवस की थीम बदलती रहती है, जैसे कि इस साल इसकी थीम ‘क्लाइमेट एक्शन’ यानी जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है.

 

आपको बता दें कि 1970 से ही पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. यानी इस साल (2020 ) इसकी 50वीं वर्षगांठ है. इस दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी. जिसे अब 192 से अधिक देशों में मनाया जाता है. पृथ्वी बहुत ही बड़ा शब्द है जिसमें पानी, हरियाली, वन में रहनेवाले जीव , प्रदूषण और इससे जु़ड़े और भी चीजें हैं। बढ़ती आधुनिकता ने इसे समाप्त होने की कगार पर खड़ा कर दिया है. जिसने हमें जीवन दिया, जीवन जीने के लिए जरुरत के सामान दिए हम अपनी सुविधा के लिए ये भी नहीं देख पाए की हम उस धरती को नस्ट कर रहे है जो हमारे जीवन का आधार है. यानी हमारी स्थिति उस बन्दर की तरह हो गई है जो जिस डाल पर बैठा है उसे है ही काटने का प्रयास कर रहा है. लेकिन हम 1 दिन उसे बचने के लिए आगे आते हैं. लेकिन बाकी दिन न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। अब हम साल में एक दिन इसे बचने का प्रयास दिखते है लेकिन क्या सिर्फ एक दिन काफी है ? नहीं ! हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। लेकिन, अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के कर्ज को उतारा जा सकता है।


वैसे नियति का खेल देखिये अभी जब लॉकडाउन में लोग घरो में बंद है, या यूं कहूं के परेशान है तब पृथ्वी अपने सुख को अनुभव कर रही है. वातावरण शुद्ध होता दिख रहा है. नदियाँ साफ़ हो रही है पक्षियों की चहचहाट जो गाड़ियों के शोर के आगे दब गई थी वो फिर से सुनाई देने लगी है. अब हमें इस पृथ्वी दिवस ये संकल्प करना चाहिए कि हम अपनी सुविधाओं के साथ उस डाल का भी ख्याल रखें जिस पर हम बैठे है यानी पृथिवी का भी ध्यान रखें।