खबर लहरिया ताजा खबरें क्यों महिलाओं की आवाज़ को दबाते है लोग देखिए द कविता शो के इस एपिसोड में

क्यों महिलाओं की आवाज़ को दबाते है लोग देखिए द कविता शो के इस एपिसोड में

क्यों महिलाओं की आवाज़ को दबाते है लोग :नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में लगातार प्रदर्शन हो रहा है. ये प्रदर्शन पिछले महीने से जारी है, ना कोई शोर, ना ही किसी तरह की हिंसा. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी रोज यहां पर जुटते हैं और नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ अपनी बात रखते हैं.

नागरिकता (संशोधन) कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन की सबसे बड़ी ख़ासियत या ख़ूबसूरती है, महिलाओं का नेतृत्व। एक ऐसे दौर में जब पितृसत्तात्मक ताकतें एक बार फिर हावी होने की कोशिशें कर रही हैं, सत्ता उन्हें बराबरी का मौका देने को तैयार नहीं है, महिलाएं ‘पिंजरा तोड़’ से लेकर आज़ादी तक के नारे लगा रही हैं। ऐसे ही दौर में संविधान बचाने के संकल्प के साथ दिल्ली के एक पिछड़े से मोहल्ले शाहीन बाग की महिलाएं पिछले एक पखवाड़े से सड़क पर हैं। यहां हाड़ कंपा देने वाली ठंड में सैकड़ों महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ युवतियां और छोटी छोटी लड़कियां यहां तक की बड़ी उम्र की औरतें भी धरने पर बैठी हैं। उनका धरना दिन-रात चल रहा है।नागरिकता संशोधन बिल में प्रदर्शन हुए तेज़

कहते हैंमहिलाओं की आवाज़ में इतनी   शक्ति है कि यह अगर  अपने आप में उतर आये तो हर काम कर सकती हैं इन महिलाओं का सपोर्ट करने के लिए सामाजिक एक्टविस्ट ले लेकर आम नागरिक तक शामिल हो रहे हैं और फिल्मीदुनिया के हीरो और हिरोईन भी महिलाओं का होसला बुलंद करने और कानून का विरोध के लिए पहुच रहें हैं और नागरिकता संशोधन विल का बिरोध कर रहें हैं 7 जनवरी को दीपाका पादुकोण भी जेएनयू पहुंची और महिलाओं से बात करी उसके बाद से शोसल मीडिया में भूकंप जैसे आ गया है दीपिका को लोग इतना ट्रोल कर रहे हैं गाली दे रहे हैं भद्दे मजाक कर रहे और 10जनवरी को उनकी फिल्म छपाक को रिलीज होना है जो एसिड अटैक के ऊपर बनी है सीधे से लोग फिल्म का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं लोगों से मिलने या समर्थन करने नहीं आई बल्कि फिल्म का प्रमोशन करने आई थी तो धरने बैठी महिलाओं और लोगों को तो विरोध पहले भी है रहा था लेकिन दीपिका के बाद और बढ़ गया
महिलाओं जाति और धर्म के नाम से ट्रोल करना कोई नई बात है जब भी महिलाएं समाज की चुनौतियों को स्वीकार कर के कोई क्रांति लाने की कोशिश करती है तो एक तरह की मानसिकता ,समुदाय के लोग अपनी हरकतें दिखाना शुरू कर देते हैं लेकिन वो जानते भी हैं कि कुछ उखाड़ नहीं पायेगें उनका काम है महिलाओं के खिलाफ बोलना,उनको नीचा दिखाना लांछन लगाना ,ताकि महिलाएं आगे न बढ़े अपनी मांग न रखें और समाज के बताये हुए रास्ते पर चले लेकिन अब ऐसा होने वाला नहीं है