खबर लहरिया खेती खेत तालाब योजना से क्या मिल पाएगा किसानों को लाभ?

खेत तालाब योजना से क्या मिल पाएगा किसानों को लाभ?

“खेत का पानी खेत में और गाँव का पानी गाँव में”, इसी उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई खेत तालाब योजना की शुरुआत 2015-16 में की गई थी। इस योजना को अभियान के रूप में लागू करने के निर्देश भी दिए गए थे। इसमें दो तरह के तालाब खोदे गए हैं, छोटे और बडे़ दोनों की लागत भी अलग है और इस योजना के तहत 50% सब्सिडी और इंजन पाइप देने की बात कही गई थी, जिससे किसान इस योजना से आकर्षित हों और अपने खेतों में तालाब खुदाई करवा सकें।

बांदा ज़िले के नरैनी ब्लॉक के करतल और रगौली भटपुरा गाँव में भी इस योजना के तहत 2019-20 में तालाब खोदे गए थे, जिनमें कुछ छोटे हैं और कुछ बड़े भी हैं लेकिन अभी तक लोगों को न तो सब्सिडी मिली और न ही इंजन और पाइप मिला।

गाँव के लोगों का कहना है कि उनके यहां पानी की बहुत ज्यादा समस्या है। सिंचाई की बात तो दूर उनके यहां पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। गावों में मौजूद पथरीली ज़मीनें इन लोगों को सही ढंग से किसानी भी नहीं करने देती। जब 2019 में यह योजना आई तो ग्रामीणों को लगा कि शायद इसकी मदद से वो खेती में कुछ मुनाफा कर पाएंगे और क्यों ना वह अपने खेतों में तालाब खुदवा लें ताकि बरसात का पानी इसमें मौजूद रहे जिससे वाटर लेवल बढ़ेगा और उनको इंजन और पाइप भी सिंचाई के लिए मिल जाएंगे।

इन लोगों को तालाबों में मछली पालन और सिंघाड़े वगैरह लगाकर अपना जीवन यापन करने की भी बात कही गई थी। लेकिन लगभग 2 साल बीत चुके हैं और इन लोगों को आज तक न ही पाइप इंजन मिला और न ही सब्सिडी के पैसे मिले। यह लोग चाहते हैं कि इस योजना का इन्हें कुछ लाभ मिल सके ताकि यह लोग भी किसानी में ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कर सकें।

2019-20 में 865 तालाबों का लक्ष्य बांदा जिले के लिए तय किया गया था, लेकिन स्थानीय प्रशासन की डिमांड के बाद शासन ने इसका लक्ष्य बढ़ाकर 2000 कर दिया था। बांदा के भूमि संरक्षण विभाग के सेक्टर प्रभारी अनूप सिंह ने बताया कि किसानों को जल्द ही स्प्रिंकलर सेट दिया जाएगा ताकि वो लोग उसकी मदद से अपनी खेती-बाड़ी में सुधार कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सब्सिडी के पैसे भी किसानों को दे दिए गए हैं लेकिन ज़्यादातर किसान सिर्फ उस रकम से ही तालाब खुदवाने का काम कराना चाहते हैं।

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