खबर लहरिया खेती नहरों में पानी छोड़ते ही खिल उठे किसानों के चेहरे

नहरों में पानी छोड़ते ही खिल उठे किसानों के चेहरे

भारत देश कहने के लिये कृषि प्रधान देश है, पर इसी देश के लाखों किसानों को फसल बोवाई के लिये शासन-प्रशासन के हजारो चक्कर काटने पड़ते हैं। तब जाकर कहीं उनकी सुनवाई होती है। वो भी इसलिए कि उनके इलाके में सांसद व विधायक हैं, तो वह लोग मजबूरी में काम करवाते हैं।

अगर बात बुन्देलखण्ड की करें, तो इस समय गेहूँ, चना, सरसों, अरहर की बोवाई होनी है, पर प्रशासन कि तरफ से नहरों में पानी ही नहीं खोला जा रहा है। इस वजह से बोवाई काफी पिछल गई है, पर किसानों और विधायक के धरना प्रदर्शन के बाद, चित्रकूट जिले की चिल्लीमल कैनाल नहर को चालू कर दिया गया है। जिससे किसानों में ख़ुशी की लहर दौड़ रही है।

किसान रामनरेश ने कहा कि देर से ही सही, पर कम से कम उन्हें पानी मिलने तो लगा है। भगवान भरोसे हमारी फसल कैसे हो पाती? चित्रकूट जिला के लगभग दो लाख किसान इस समस्या से जूझ रहे थे। नहर चालू होने पर कई किसानों की समस्या दूर हो गई है।

अगर सरकार समय पर पानी नहरों में छुडवा दे तो क्यों किसानों को परेशान होना पड़े। हीरालाल समेत दस किसानों ने कहा कि हमने विधायक चंद्रिकाप्रसाद के साथ मिलकर सिंचाई विभाग में 14 दिसम्बर को धरना प्रदर्शन किया, तब जाकर नहरों में पानी छोड़ा गया। जबकि नियम में है, कि 15 नवम्बर से नहरों में पानी छोड़ देना चाहिए, पर प्रशासन लोगों का मुंह देख-देख कर तो काम करती है।
इस पर विधायक चंद्रिकाप्रसाद का कहना है कि मैंने अपनी ही सरकार के खिलाफ लोगों के साथ नहर किनारें बैठकर नारेबाजी की है, कि “अगर किसान फसल नहीं ऊगा पायेंगे, तो हमारा देश कैसे चलेगा? मैं हमेशा किसानों के साथ हूं और रहूँगा”।