खबर लहरिया आवास कौशाम्बी: न ग्रामीणों को मिले आवास, न ही हुई महीनों से सफाई! ये कैसा विकास?

कौशाम्बी: न ग्रामीणों को मिले आवास, न ही हुई महीनों से सफाई! ये कैसा विकास?

उत्तर प्रदेश का कौशाम्बी जिला जैन व बौद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि ये शहर बौद्ध व जैनों का सबसे पुराना केंद्र है। पशुपालन, मछली पालन, वन, खनिज से लेकर अलग-अलग तरह की खेती होने के लिए मशहूर कौशाम्बी पर्यटकों के लिए एक ऐतिहासिक स्थल भी है। यहाँ आपको पौराणिक, धार्मिक और इतिहास से जुड़े कई मंदिर एवं प्राचीन इमारतें देखने को मिल जाएंगी।

लेकिन जहाँ एक तरफ ज़िले का नगरीय क्षेत्र काफी विकसित और प्रसिद्ध है, वहीँ शहर के ग्रामीण क्षेत्र में लोग आज भी सरकारी योजनाओं से वंचित हैं।

कौशाम्बी के महेवा गाँव की आबादी लगभग 7 हज़ार है, लेकिन यहाँ मौजूद लोगों का कहना है कि उनके गाँव में आधे से ज़्यादा लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। ये लोग सर्दी, गर्मी, बरसात पन्नी डालकर या मिट्टी में रहने को मजबूर हैं।

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जहाँ एक तरफ तो केंद्र सरकार स्वच्छ भारत के नारे लगाती है, वहीँ कौशाम्बी के इस गाँव में महीनों से सफाई ही नहीं हुई है। जिसकी तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया है। महीनों से सफाई कर्मी न आने के चलते गाँव में जगह जगह लगा कूड़े का ढेर अब बीमारियों को न्योता देता दिख रहा है।

राज्य और केंद्र सरकार ने भले ही गरीबों के लिए आए दिन नयी योजनाएं विकसित करे, लेकिन क्या ये योजनाएं लाभार्थियों तक पहुँच पाती हैं? ये एक बहुत बड़ा सवाल है। कौशाम्बी जैसे ही यूपी के अन्य क्षेत्रों में भी ग्रामीण और गरीब वर्ग के परिवार सरकार द्वारा योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते।

इन परिवारों को योजनाओं के बारे में पता तो होता है लेकिन वो इसका फायदा लेने के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग सिर्फ चक्कर ही काटते रह जाते हैं। क्या ये योजनाएं सिर्फ कागज़ी पन्नों तक सीमित रह जाती हैं? क्या ज़रूरी नहीं कि प्रशासन और सरकार लोगों की मदद के लिए आगे आए और उन्हें उनके अधिकार दिलवाए?

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