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सामाजिक बंधन को तोड़ दो महिलाओं ने किया समलैंगिक विवाह

साभार: विकिपीडिया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को मंजूरी देने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत में दो महिलाएं एक दूसरे से शादी के बंधन में बंध गई हैं। बताया जा रहा है कि शनिवार को उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में, इन दो महिलाओं ने अपनी छह साल की जबरन शादी को तोड़ते हुए, मंदिर में एक दूसरे के साथ विवाह कर लिया है।

दोनों महिलाएं अपने कॉलेज के समय से एक दूसरे से प्यार करती थी, लेकिन समाज और परिवार की सोच के कारण एक दूसरे के साथ नहीं रह पाई थी। और दोनों की शादी जबरदस्ती कहीं और करा दी गई थी। लेकिन जब से सुप्रीम कोर्ट द्वारा 6 सितम्बर, 2018 को समलैंगिकता को संविधान पीठ के भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अब अपराध की श्रेणी से अलग कर दिया गया है, तब से समान लिंग में मौजूद लोगों को मानो बरसो बाद आजादी मिल गई है। उन्हें एक दूसरे के साथ रहना का हक़ मिल गया है। हालाँकि, भारतीय कानून द्वारा समान लिंग विवाह या नागरिक भागीदारी को अब तक मान्यता नहीं दी गई है।

हमीरपुर की रहने वाली दो महिलाओं, जिनकी उम्र 24 और 26 साल है, दोनों ने शनिवार को मंदिर में एक साधारण रूप से शादी की है। हालांकि, रजिस्ट्रार ने शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।

दोनों महिलाओं के वकील दया शंकर तिवारी का कहना है कि “रजिस्ट्रार आर.के पाल ने इस आधार पर शादी को पंजीकृत करने से इनकार कर दिया है कि समान लिंग विवाह पर कोई सरकारी आदेश अब तक जारी नहीं किया गया है।”

लेकिन इस पर उम्मीद न खोते हुए दोनों का कहना है कि “हमारे वकील ने हमें बताया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को हटा दिया है तो अब हम साथ रह सकते हैं। कोई हमें परेशान नहीं कर सकता है। हम पिछले कुछ समय से एक जोड़े के रूप में रह रहे हैं और आगे भी रहेंगे।”

ये भी सामने आया है कि भले ही दोनों छह साल पहले अपने कॉलेज के समय में एक साथ रहा करते थे, लेकिन परिवार द्वारा उनके रिश्ते के बारे में पता लग जाने के बाद, उन्हें उनकी पढाई और रिश्ते दोनों को बीच में ही छोड़ना पड़ा था।
उनका कहना है कि कॉलेज छोड़ने के छह महीने बाद ही दोनों की शादी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ कर दी गई थी लेकिन दोनों एक दूसरे को नहीं भुला पा रहे थे। जिस कारण दोनों ने अपने पति को तलाक देकर अब एक दूसरे के साथ रहना का फैसला लिया है।

इस देश में समलैंगिक जोड़ों को बहुत कम या कुछ ही स्वीकृति मिलती है, और आत्महत्या को सामान्य भूमिका दी जाती है जिसमे परिवार, पुरुषों से शादी करने के लिए मजबूर करते हैं। 1995 और 2003 के बीच, केरल में समान लिंग संबंधों में 22 युवा महिलाओं ने आत्महत्या की थी।

हालांकि, वैवाहिक स्थिति की वैधानिकता की कमी के बावजूद, देश में समान लिंग जोड़े एक दूसरे के साथ विवाह के बंधन में बंधते नज़र आ रहे हैं। 1987 में, लीला और उर्मिला, भोपाल में दो पुलिसकर्मियों को एक मंदिर में शादी करने के बाद नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक समान लिंग जोड़ों को हर समय, हर पहलु पर आज भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।