सहजनी शिक्षा केंद्र द्वारा दो दिवसीय ‘जन अधिकार समिति सम्मेलन’ का आयोजन देवा मैरिज गार्डन, मड़ावरा (ललितपुर, उत्तर प्रदेश) में 30 और 31 अक्टूबर 2025 को किया गया। इस सम्मेलन में चार ब्लॉकों की लगभग 250 महिलाएं शामिल हुईं। विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ता और मीडिया प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
लेखन – मीरा देवी
सम्मेलन में जन अधिकार समिति की लीडर मंच पर आईं और अपने संघर्ष व जीत की कहानियां एक-दूसरे के साथ साझा कीं। नाटक, गीत, पैनल चर्चा, खेल, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म स्क्रीनिंग के माध्यम से महिलाओं के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और समझ का आदान-प्रदान हुआ। इनमें महिलाओं के प्रति भेदभाव, असमानता, घरेलू और अन्य प्रकार की हिंसा जैसे विषय प्रमुख रहे।महिला हिंसा पर आयोजित पैनल में ‘वन स्टॉप सेंटर’ की अधिकारी सरिता रिछारिया, ‘मिशन शक्ति’ से कृष्णा जी, वकील रवि कांत दीक्षित, ‘खबर लहरिया’ की प्रधान संपादक कविता बुंदेलखंडी, ‘वनांगना संस्था’ की डायरेक्टर पुष्पा शर्मा और सहजनी शिक्षा केंद्र की संस्थापक मीना देवी ने भाग लिया। पैनल ने महिलाओं को न्याय मिलने की प्रक्रिया, समाज और प्रशासन में आने वाली चुनौतियों तथा हिंसा के प्रति दृष्टिकोण पर विचार साझा किए। निष्कर्ष रूप में यह बात सामने आई कि हिंसा को महिलाओं के नजरिए से समझना होगा और यह तय करना होगा कि उनके लिए न्याय का सही अर्थ क्या है।
चर्चा के दौरान यह भी कहा गया कि महिला सशक्तिकरण के लिए हिंसा से मुक्ति और शिक्षा का अधिकार सबसे आवश्यक मुद्दे हैं। शिक्षा के मौलिक अधिकार के बावजूद, महिलाओं ने बताया कि लड़कियों को पढ़ाई के लिए अभी भी संघर्ष करना पड़ता है फिर भी कई किशोरियां बाधाओं को पार कर पढ़ाई जारी रखे हुए हैं। कई परिवारजन व अभिभावक रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए उन्हें सहयोग दे रहे हैं। सहजनी शिक्षा केंद्र का मानना है कि शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसके सहारे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है और अन्य अधिकार प्राप्त किए जा सकते हैं।सहजनी शिक्षा केंद्र की स्थापना वर्ष 2002 में महरौनी ब्लॉक, ललितपुर में हुई थी। पिछले 23 वर्षों में संस्था ने 14,000 से अधिक महिलाओं और किशोरियों को शिक्षा, साक्षरता, बाल विवाह रोकथाम और अधिकारों से जोड़ने का कार्य किया है। इन महिलाओं और किशोरियों में अधिकांश दलित, आदिवासी और पिछड़ी जातियों से हैं। जिन पर लैंगिक भेदभाव के साथ-साथ जाति आधारित हिंसा का भी प्रभाव रहा है।सम्मेलन में इन सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई विशेषकर ‘चप्पल प्रथा’ से संबंधित कठिनाइयों और उसके खिलाफ चल रहे संघर्ष पर। महिलाओं ने अपने विचार रखे और सम्मेलन के दौरान काफी उत्साह और ऊर्जा दिखाई। इस कार्यक्रम में संस्था की साथी मीना, कनीज़ा, राजकुमारी, कुसुम, नन्हीं, ग्यासी तथा समस्त कार्यकर्ता शामिल रहे।
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