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यूनियन बजट 2019

लोकसभा में यूनियन बजट, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने पेश किया।

 

बजट की प्रमुख जानकारी इस प्रकार है –

ख़र्चे : सरकार ने खर्च का प्रस्ताव इस प्रकार रखा है, वर्ष 2019-20 में 27,86,349 करोड़। जो वर्ष 2018-19 के 13.4% के संशोधित अनुमान से अधिक है।
रसीद :  रसीदों पर (कुल ऋण के अनुसार) बढ़त का अनुमान है जो हमें 14.2% से 20,82,589 का कारपोरेशन टैक्स और लाभांश से अधिकतम राजस्व मिलने की उम्मीद है।
सकल घरेलू उत्पाद : सरकार का अनुमान है कि वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद मुल्य का 12% (जो कि बढ़त और मुद्रास्फीति) होगा। वर्ष 2018-19 की 11.5% अनुमानित बढ़त थी।
घाटा :  सकल घरेलू उत्पाद में 2.3% का राजस्व घाटा
लक्ष्य किया गया जो वर्ष 2018-19 के  2.2%  अनुमान से अधिक है। सकल घरेलू उत्पाद का वित्तीय घाटा 3.3% है जो वर्ष 2018-19 के पूर्व आंकलन 3.4% से कम है।
ध्यान दें कि वर्ष 2018-19 के लिए सरकार का अनुमानित वित्तीय बजट का लक्षित घाटा 3.3% था और वर्ष 2019-20 के लिए मध्यावधि वित्तीय लक्ष्य 3.1% है जिसे पार पाने की उम्मीद है।
मंत्रालय द्वारा आवंटन : प्रमुख 13 मंत्रालयों के उच्चतम आवंटन में सर्वाधिक वृद्धि का प्रतिशत कृषि और किसानों की कल्याणकारी योजनाओं (82.9%) इसके बाद पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (32.1%) तथा रेलवे मंत्रालय का (23.4%) है।

वित्त विधेयक में शामिल कुछ परिवर्तन :

टैक्स कानून में परिवर्तन के साथ वित्त विधेयक वर्ष 2019 में कुछ अन्य विधेयकों में भी परिवर्तन के सुझाव हैं जैसे SEBI कानून, RBI कानून, CGST कानून और PMLA कानून।
आयकर पर अधिभार : वर्तमान में 15% का अधिभार एक करोड़ कमाने वाले आयकर दाता पर पड़ता है और 50 लाख से एक करोड़ रूपए कमाने वाले से 10% प्रतिव्यक्ति की आय पर आयकर वसूला जाता है। केन्द्रीय बजट वर्ष 2019-20 में  दो करोड़ से पांच करोड़ रूपए की व्यक्तिगत आय पर आयकर बढ़ा कर 25% कर दिया गया है। इसी प्रकार पांच करोड़ से अधिक की कमाई पर अधिभार 37% कर दिया गया है।
निगम आयकर : वर्तमान में वे कंपनियां जिनका वार्षिक टर्नओवर 250 करोड़ है, वे 25% के हिसाब से आयकर देती हैं। अब यह स्तर बढ़ा कर 400 करोड़ कर दिया गया है।
बैंक से रूपए निकालने पर आयकर : बैंक खाते से किसी व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रूपए निकालने पर व्यवसायिक संगठन या पोस्ट पोस्ट ऑफिस द्वारा 2% का TDS काटा जाएगा।
किफायती आवासीय योजना में टैक्स पर छूट : एक अन्य छूट देते हुए सरकार ने 1,50,000 रूपए के घर पर जिसमें मकान मालिक रह रहा है, उस पर आवासीय लोन में ऋण माफी का प्रावधान जोड़ा गया है।
इस कटौती के लिए शर्तें : (१) ऋण, वर्ष 2019-20 पारित हुआ हो। (२) घर पर स्टैंप ड्यूटी 45 लाख से अधिक की नहीं होनी चाहिए। (३) घर पर लोन पारित होने की तारीख तक व्यक्ति के नाम पर अन्य कोई आवासीय संपत्ति ना हो।
विद्युत वाहन की ख़रीद पर कर में छूट : विद्युत वाहन की खरीद पर 1,50,000 रूपए तक के ऋण के ब्याज पर छूट का प्रावधान है। ऋण पर यह छूट वित्तीय वर्ष 2019-20  और 2022-23 पर वैद्य होगी।
सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधित कर : सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर कर में पैट्रोल और ड़ीजल पर एक रूपया प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। उत्पाद शुल्क में भी एक रूपया प्रति लीटर की वृद्धि की गई है।
सीमा शुल्क : सोने और अन्य क़ीमती धातु पर सीमा शुल्क 10% से बढ़ा कर 12.5% कर दिया गया है।

वित्त विधेयक में मुख्य विधान संबंधित बदलावों पर प्रस्ताव

 विवाद के समाधान की योजना : विभिन्न धाराओं के अंतर्गत समाधान का इंतजार करते विवाद जैसे केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 1944, शूगर सेस टैक्स 1982 आदि विवाद निवारण या आम माफी योजना जिसका आसान नाम ‘सबका विश्वास’ की शुरुआत की गई है।
केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर 2017: आवेदनकर्ता विभिन्न राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न अधिनियम की धाराओं के तहत वस्तु एवं सेवा कर के लिए आवेदन कर सकता है। इसके तहत वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े कुछ ख़ास मुद्दों को निपटाना आसान होगा।
दो या उससे अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एक ही मुद्दे के विवाद पर वस्तु एवं सेवा कर निवारण पर एक स्थान पर सुनवाई के विकल्प पर नेशनल अथोरिटी विचार कर सकती है।
यह विधेयक नेशनल अथोरिटी द्वारा सहायता करने की शर्तों और सुविधाएं प्रदान करने की स्थिति के बारे में बताता है‌।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की धारा 1934 :  कानून के तहत RBI कम से खम 25 लाख और अधिकतम दो करोड़ रूपए तक की राशि पर NBFC कम से कम लाभांश देने को कहा है। कानून RBI को अधिकतम 100 करोड़ रूपए तक की राशि पर ऐसा करने की इजाजत देता है।
दी एक्ट में संशोधन किया गया है जिससे NBFC के प्रबंधक के बारे में RBI कदम उठा सके।
नेशनल हाऊसिंग बैंक एक्ट 1987 : दी एक्ट यह भरोसा देता है कि हाऊसिंग फाइनेंस इंस्टीट्यूशन, नेशनल हाऊसिंग बोर्ड के साथ मिल कर काम करेगा।
सिक्योरिटी अनुबंध (अधिनियम) एक्ट 1956 (SCRA) : यह कानून स्टॉक एक्सचेंज को ग़लत जानकारी देने या सही जानकारी ना देने पर एक लाख रुपए से एक करोड़ रूपए तक का दंड लगाने का हक़ रखता है। इस कानून में सुधार किया जा रहा है जिससे यह दोबारा SEBI और स्टॉक एक्सचेंज को सही जानकारी ना देने पर दंड में पेनल्टी लगा सके।
बैंकिंग कंपनियां (लेन-देन के बारे में पूरी जानकारी हेतु) एक्ट 1970 : इस कानून के तहत राष्ट्रीय बैंक जैसे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और कारपोरेट बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, चार फुल टाइम डायरेक्टर्स नियुक्त करेगी। इनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार RBI के परामर्श से करेगी। डायरेक्टर्स की संख्या चार से पांच तक की जाए इसके लिए कानून में संशोधन किया गया है।
 जनरल इंश्योरेंस बिजनेस(राष्ट्रीयकरण) एक्ट 1972 :
इस कानून के तहत इंडियन इंश्योरेंस कंपनी का राष्ट्रीयकरण करने और उन्हें चार इंश्योरेंस कंपनी में पुनर्गठित किया गया। (जनरल इंश्योरेंस कंपनी सहित)
कानून के तहत सुधार करते हुए इस प्रकार की कंपनी की संख्या में छूट दी गई है।
बेनामी संपत्ति के लेन-देन पर रोक संबंधी कानून 1988 : इस कानून के तहत दंड की सीमा बढ़ाने के बारे में सुधार किया गया है। मौजूदा दंड प्रावधान को बढ़ाते हुए यदि कोई व्यक्ति ग़लत जानकारी देता है ऐसे में उसे 25,000 रूपए प्रति ग़लत जानकारी के लिए दंड दिया जाएगा। कानून के अनुसार भविष्य में उसी तरह का अपराध दोबारा दर्ज होता है तब CBDT की धाराओं के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।
 सैंक्शनिंग अथोरिटी में क्रमवार सुधार इस प्रकार हुए हैं – कमिश्नर, डायरेक्टर, प्रिंसीपल कमिश्नर या प्रिंसीपल डायरेक्टर ऑफ इनकम टैक्स।
ब्लैक मनी (अप्रकाशित विदेशी धन या संपत्ति) संबंधी आरोपी कानून 2015 : वित्त कानून 2015 संपत्ति की परिभाषा में करदाता की परिभाषा में बदलाव किए गए हैं। वर्तमान समय में कानून भारत में रहने वाले लोगों पर लागू होता है। बिल में संशोधन किया गया है जिससे देश में रहने वाले या ना रहने वाले, दोनों प्रकार के भारतीय नागरिकों की व्याख्या की गई है।
भुगतान और भुगतान संबंधी निपटारे की व्यवस्था कानून 2007 : कानून में संशोधन किया जा रहा है जिससे ग्राहक द्वारा बैंक या बैंकिंग सिस्टम के पेमेंट के इलैक्ट्रिक तरीकों पर रोक लगाई जा सके।
(इनकम टैक्स की धारा 1961 के अंतर्गत निर्धारित)
भुगतान निवारण का कानून 2002 :  कानून में संशोधन किया जा रहा है जिससे संस्थाओं (बैंक एवं अन्य बैंक संबंधी संस्था) की जिम्मेदारियां बढ़ाई जाएं
यह संस्थाओं की बढ़ी हुई जिम्मेदारी होगी कि वे अपने ग्राहकों, उनके फंड के स्त्रोत और जिन पार्टियों के बीच लेन-देन हो उनके आपसी व्यवहार का ध्यान रखें। सभी तरह के लेन-देन संबंधित डाटा को पांच वर्षों तक सुरक्षित रखने, भविष्य में सुधार करने एवं शाखाओं के बीच समन्वय के लिए अंतर मंत्रालयय समन्वय कमीटी का अंतर एजेंसी मसन्वय कमीटी को अनुमति दें। इस कमेटी के गठन का उद्देश्य मनी लांड्रिंग, वित्त के आतंकवाद को रोकने तथा विकास और कार्यान्वयन पर जोर देना होगा।
सेंट्रल रोड़ और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड कानून 2000 : वर्तमान में केन्द्रीय सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों में सड़क निर्माण के लिए फंड दे और राज्य सरकार सड़क निर्माण पर कितना प्रतिशत खर्च करें यह भी केन्द्र सरकार तय करे।
सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्डर ऑफ इंडिया एक्ट 1992 : कानून में संशोधन किया जा रहा है जिससे जनरल फंड जिसकी देखभाल SEBI द्वारा की जाती है, खर्च के बड़े हिस्से को उसमें डाला जा सके।

पोलिसी की मुख्य बातें –

बैंकिंग और फाइनेंस : सरकार आंशिक रूप से गारंटी देती है कि (प्रथम नुकसान का 10%) देने के लिए पब्लिक सेक्टर के बैंक NBFCs को फंड देंगे। अगला 70,000 करोड़ पुनरपुंजीकरण द्वारा पब्लिक सेक्टर के बैंक को दिया जाएगा।
सरकारी उधार : सरकार विदेशी मुद्रा के लिए अपनी विदेशी उधार बढ़ाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर : सरकार आगामी पांच वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ खर्च करेगी। फेज़ दो में जिस राज्य के राजमार्ग पूरी तरह उन्नत होंगे, वहां भारतमाला प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। पब्लिक प्राइवेट सेक्टर की पार्टनरशिप से रेलवे में 2018 – 2030 के बीच 50 लाख करोड़ तक का निवेश किया जाएगा।
इंडस्ट्री : पब्लिक शेयर होल्डिंग में साझेदारी 25% से बढ़ा कर 35% की जाएगी। सामाजिक इकाईयों के लिए और सेवार्थ संस्थाओं के लिए एक नया इलैक्ट्रोनिक फंड रेजिंग प्लेटफोर्म बनाया जाएगा।
इन्वेस्टमेंट (निवेश) : 100% विदेशी निवेश की अनुमति दी जाएगी। FDI को सिंगल ब्रांड रिटेल स्टोर खोलने की अनुमति दी जाएगी।
खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी : मछली पालन के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई है। आगामी पांच वर्षों में किसानों से जुड़ी 10,000 नई योजनाएं शुरू की जाएंगी। केंद्र सरकार जीरो बजट फार्मिंग का आरंभ करेगी।
 ग्रामीण विकास : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 1.25 लाख किलोमीटर सड़क योजना को और आगे बढ़ाया जाएगा जिसकी अनुमानित लागत अगले पांच वर्षों में 80,250 करोड़ होगी।
सामाजिक न्याय : महिलाओं के स्वंय सेवा समूह के सदस्य को 5,000 की सहायता की जाएगी।
सामाजिक सुरक्षा : प्रधानमंत्री कर्मयोगी मनधन योजना शुरू की गई है जिसके तहत लघु व्यवसाय, दुकान मालिक का टर्नओवर 1.5 लाख रुपए हो जाएगा।
शिक्षा : नया देश शिक्षा नीति शुरू की जाएंगी। उच्च शिक्षा के लिए विदेशी विद्यार्थीयों के लिए कई घोषणा की गईं।