खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड में बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या

बुंदेलखंड में बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या

बुंदेलखंड में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। रोजगार की तलाश में युवा बड़े बड़े शहरों में जाकर प्राइवेट कंपनियों में बारह-बारह घंटे की ड्यूटी वह भी ज्यादातर रात में करते हैं। हम सबके आसपास, पड़ोसी यहां तक कि परिवार और घर के लोग भी जॉब के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी मेहनत के हिसाब से पैसे नहीं मिलते। कई बार यह भी सुनने को मिलता है कि कम्पनी मालिक मजदूरी ही नहीं दे रहे या उनको बंधक बना लिया गया। इसका मतलब यह नहीं कि सभी जॉब में ऐसा है बहुत ऐसी प्राइवेट जॉब हैं जो सरकारी से बहुत गुना बेहतर हैं पर इनका प्रतिशत बहुत कम है। आपने खुद भी देखा और जाना समझा होगा कि बहुत दवा हैं जिन्होंने पढ़ाई की डिग्रियां लिए हैं लेकिन मजदूरी कर रहे हैं। इनती बेरोजगारी है

साभार: पिक्साबे

कुछ बेरोजगार युवा सेवायोजन कार्यालय का लाभ पाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं लेकिन इसका लाभ भी कुछ ही युवाओं को मिल पाता है। सेवायोजना के माध्यम से काउंसिलिग कराकर युवाओं को रोजगार देने की कोशिश की जाती है। इसके तहत बुंदेलखंड में पिछले दो वर्षों में सिर्फ 16553 युवाओं को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार मिला है। रोजगार देने में झांसी व ललितपुर जिले सबसे आगे रहे हैं जबकि बांदा और चित्रकूट जिले फिसड्डी रहे।

पूर्व कैबिनेट मंत्री व एमएलसी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने विधान परिषद के प्रथम सत्र में बुंदेलखंड में बेरोजगारी को लेकर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से कई सवाल किए। इस पर बताया गया कि रोजगार मेलों के माध्यम से युवाओं की काउंसिलिंग कराकर उन्हें रोजगार दिए जा रहे हैं। सेवायोजन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड में वर्ष 2018 में सत्तर रोजगार मेले लगे और 7377 युवाओं को रोजागर मिला। वहीं वर्ष 2019-20 में 9176 युवाओं को नौकरी मिली। रोजगार मेला लगाने और युवाओं को नौकरी दिलाने में झांसी और ललितपुर जनपद अव्वल रहे। झांसी में पिछले वर्ष 17 मेले लगे और 4376 लोगों को रोजगार मिला। वहीं इस वर्ष 16 रोजगार मेलों में 4178 युवा रोजगार पाने में कामयाब हुए। ललितपुर जनपद में पिछले वर्ष 8 मेलों में 565 युवाओं को नौकरी मिली। वहीं इस वर्ष 9 मेले लगे और 2039 युवाओं को रोजगार मिला। इस मामले में बांदा जिला फिसड्डी साबित हुआ। पिछले वर्ष यहां 15 मेले लगे, जिनमें सिर्फ 693 को ही नौकरी मिली। इस वर्ष यहां 5 मेलों में 363 युवा नौकरी हासिल करने में कामयाब हो पाए। चित्रकूट महोबा व हमीरपुर में भी रोजगार देने की प्रगति बेहद धीमी रही। सेवायोजना कार्यालयों के जरिए कैरियर काउंसिलंग में बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसरों के अनुरूप विषय चयन में सहायता, रोजगार बाजार में उपलब्ध अवसरों, रोजगार परक व प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है।

 

बुंदेलखंड में दो वर्षों (2018 और 2019) में रोजगार की स्थिति :

जिला मेला रोजगार के आंकड़े इस तरह हैं

बांदा जिले में कुल 20 रोजगार मेले लगे जिसमें 1056 युवाओं को रोजगार मिला।

हमीरपुर जिले में कुल 13 मेले लगाकर 765 युवाओं को रोजगार दिया गया।

महोबा में कुल 17 मेले में 613 युवाओं को रोजगार मिला।

चित्रकूट में कुल 11 रोजगार मेले लगाकर 564 युवाओं को रोजगार मिला।

झांसी जिले में कुल 33 मेलों में 8554 युवाओं को जॉब मिली।

ललितपुर में कुल 17 मेले में 2604 योवाओं को रोजगार दिया गया।

उरई में कुल 14 मेले में 2397 युवाओं को रोजगार मिला।

कुल मिलाकर बुंदेलखंड में आने वाले सातों जिलों में कुल 70 रोजगार मेले लगाए गए जिसमें 15535 युवाओं को रोजगार मिला।

चित्रकूटधाम मंडल के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी कौशलेंद्र सिंह के अनुसार चित्रकूटधाम मंडल में रोजगार मेला और कैरियर काउंसलिग कार्यक्रमों के आयोजन लगातार किए जा रहे हैं। करीब 30 कंपनियां जुड़ी हैं। उनके जरिए शिक्षा के मुताबिक युवाओं को नौकरी दिलाई जा रही हैं।

बेरोजगारी सिर्फ बुंदेलखंड की ही नहीं बल्कि देश भर के ग्रामीण और छोटे छोटे कस्बों के युवा इसके शिकार हैं। चुनाव के समय बेरोजगारी की समस्या नेताओं का चुनावी मुद्दा बनता है। खूब वादे किए जाते हैं लेकिन सत्ता की बागडोर हाथ में पाते ही नेता इस मुद्दे को अगले चुनाव में चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पांच साल तक ठंडे बस्ते में डाले रहते हैं। सरकार और प्रशासन से हर बार सवाल होता है पर इस बार हर उस बेरोजगार युवा से सवाल जो जॉब की तलाश को भूलते जा रहे हैं और खुद चुनावी मुद्दा बनने के लिए सहर्ष तैयार रहते हैं, क्यों?