खबर लहरिया Blog बुन्देलखण्ड में तालाबों के पुनर्जीवन की हकीकत

बुन्देलखण्ड में तालाबों के पुनर्जीवन की हकीकत

4 मई 2016 को पानी की ट्रेन ने बुन्देलखण्ड का महौल गरम कर दिया था।
सरकार ने आनन-फानन में समाजवादी जलसंचय योजना की घोषणा की और बुन्देलखण्ड के चयनित 100 तालाबों को पुनर्जीवन के काम को तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया। तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और मुख्य सचिव सिंचाई दीपक सिंघल को इस अभियान की देख-रेख में जिम्मा सौंपा गया।

pond in chitrakoot
बुन्देलखण्ड के 100 तालाबों के पुनर्जीवन के काम को लेकर सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने 20 दिन के अन्दर 100 तालाब खोदे जाने का लक्ष्य तय किया। इन 100 तालाबों की खुदाई का बजट लगभग मात्र 140 करोड़ रुपये रखा गया था।
बुंदेलखंड के 100 तालाबों में चित्रकूट धाम मंडल में 50 से ज्यादा तालाब सपा की सरकार में खोदे गए थे। इन पर शुरू से उंगलियां उठती रही है। 50 बड़े तालाबों में सफाई के नाम पर एक अरब रुपये ‘खर्च’ हुआ था।

तालाबो की सफाई, खुदाई और गहरीकरण के कराने का उद्देश्य यह भी था कि मजदूरों को काम मिले, पर अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकल जेसीबी मशीनों के द्वारा खुदाई कर मिट्टी बेची गई थी। जिसमें मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच टीम गठित हुई थी। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता अंबिका सिंह के नेतृत्व में आई। टीम की रिपोर्ट के बाद ही मुख्यमंत्री ने अधीक्षण अभियंता सहित तीन इंजीनियरों पर कार्रवाई की थी।

तालाबों की खुदाई में काम कर रही मशीनों के ठेकेदारों का पेमेंट भी नही हुआ था, समाजवादी जल संचय योजना’ के कुछ ठेकेदारों का मजदूरी, किराए की मशीनें और डीजल पर खर्च के करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो चुका था। जब प्रशासन ने सरकार से उनके भुगतान की मांग की तो जनवरी 2020 में वर्तमान सरकार द्वारा टीम गठित की गई और दुबारा से तालाब खुदाई की जांच करने के आदेश दिए है। जिसमे अधिकारियों के साथ ठेकेदारों के ऊपर मुकदमा लिखने के आदेश दिए हैं।

अगर हम लोगो की बाते माने तो उनका कहना है कि पचासों साल से हमारे तालाबो की खुदाई नही हुई थी। जैसे भी हुई पर हुई तो थी। किसी भी सरकार ने गरीबो के लिए कुछ नही किया था। हर साल सूखे में प्यास बुझाने के लिए तरसते थे। जांच करवानी थी तो पहले करवाते, 4 साल बाद जांच का क्या मतलब है। हर साल बारिस होती है, पानी मे नदी नालों का कचड़ा बहकर आता है। मिट्टी आती है तो उससे तो तालाब की कम गहराई दिखेगी ही। यह सरकार की चाल है पूर्व की सरकार को बदनाम करने के लिए।