खबर लहरिया Hindi टूलकिट मामला : निकिता और शांतनु की याचिका पर आज बॉम्बे हाई कोर्ट कर सकती है सुनवाई

टूलकिट मामला : निकिता और शांतनु की याचिका पर आज बॉम्बे हाई कोर्ट कर सकती है सुनवाई

बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा टूलकिट मामले में आज एक्टिविस्ट निकिता जैकब और शांतनु मुलुक की ज़मानत की अर्ज़ी पर सुनवाई की जायेगी। जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु की एक्टिवस्ट 22 साल की दिशा रवि के बाद इन दोनों का नाम सामने आया था। पुलिस द्वारा 13 फरवरी को उसे गिरफ्तार किया गया था। निकिता और शांतनु, दोनों ही पर्यावरण कार्यकर्ता है और महारष्ट्र के रहने वाले हैं। दोनों ने ही पहले अग्रिम ज़मानत पाने की याचिका अदालत में दायर की थी।

पुलिस ने जैकब और मुलुक को रविवार, 14 फरवरी को गिरफ्तार किया। इण्डिया टुडे द्वारा की गयी रिपोर्ट के अनुसार , यह कहा जा रहा है कि आज शाम तक मुलुक की याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है। उससे पहले जैकब की याचिका पर सुनवाई होगी।

जैकब ने अपनी याचिका मुंबई के उच्च नयायलय की मुख्य पीट से दायर की थी और वहीं मुलुक ने अपना आवदेन न्यायलय की औरंगाबाद पीठ से किया था। दोनों ही याचिकाओं में चार हफ्ते की अग्रिम ज़मानत की मांग की गयी है ताकि गिरफ़्तारी से पहले ज़मानत की मांग की जा सके।

पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के तहत मिले थे तीनों

जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने 15 फरवरी को बताया कि दिशा और इसके अलावा निकिता और शांतनु ने 26 जनवरी से पहले 11 जनवरी को एक ज़ूम मीटिंग की थी। पुलिस ने बताया कि कनाडा की रहने वाली महिला पुनीत ने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के तहत निकिता, दिशा और शांतनु को जोड़ा था। जिसके बाद यह तीनों एक-दूसरे के संपर्क में आए। यह कहा गया कि फाउंडेशन का किसी खालिस्तानी संगठन के साथ संबंध था।

दिशा ने कहा, वह बस किसानों का समर्थन करना चाहती थी

सोमवार,15 फरवरी को पुलिस ने दिशा रवि पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिशा ही पूरे मामले की साजिशकर्ता है। उसके द्वारा खालिस्तानी समूह को दोबारा से अस्तित्व में लाने का प्रयास किया गया। जिसके लिए टूलकिट को बनाया गया और लोगों में फैलाया गया। एनडीटीवी द्वारा 16 फरवरी को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दिशा ने दिल्ली के एक अदालत में बताया था कि “मैंने टूलकिट नहीं बनाया। हम बस किसानों का समर्थन करना चाहते थे। मैंने बस 3 फरवरी को दो लाइने एडिट (संपादित) की थी। ”

 

 

निकिता, शांतनु और दिशा ने बनाया टूलकिट – पुलिस

पुलिस ने कहा कि दिशा के फोन के डाटा में ही उन्हें उसके खिलाफ सबूत मिले हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा “दिशा के फोन में निकिता के फरार होने के सबूत थे, जिसके बाद उसे गिरफ़्तार किया गया।” पुलिस ने यह भी कहा कि टूलकिट दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु मुलुक द्वारा बनाया गया और इसके संपादन के लिए टूलकिट को अन्य लोगों के साथ भी सांझा किया गया। पुलिस ने बताया कि शांतनु के ईमेल अकाउंट से पता चला की टूलकिट गूगल डॉक (जहां अन्य दस्तावेज़ बनाए जाते हैं) का मालिक वही है।

दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया

पुलिस पर यह आरोप लगाया गया कि दिशा को बेंगलुरु से बिना उसके माता-पिता की जानकारी के दिल्ली लेकर आया गया। वहीं आरोपों को खारिज़ करते हुए पुलिस ने कहा कि उनके द्वारा “सभी दिशानिर्देशों का पालन किया गया। दिशा को उसकी माता और स्थानीय स्टेशन हाउस पुलिस अधिकारी के सामने गिरफ़्तार किया गया है।”

दिशा को राजद्रोह (सेडिशन) और साजिश करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया। कल सोमवार, 15 फरवरी को उसे बिना उसके वकील के ही अदालत के सामने पेश किया गया और उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अगर सुनवाई के समय आरोपी का वकील द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा तो मजिस्ट्रेट को उसका इंतजार करना चाहिए।” या वैकल्पिक तौर पर उसे कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

देश में जिस तरह से सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि एक दिन समाज को बचाने के लिए कुछ नहीं रह जाएगा। ना समाज की अस्मियता बचेगी और ना ही उसका मूल भाव। जब से केंद्र द्वारा तीन कृषि बिलों को पारित किया गया है। तब से लेकर अभी तक किसानों द्वारा बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। इस लड़ाई में किसानों का समाज कार्यकर्ताओं, नेताओं, जानी-मानी हस्तियों से लेकर कई पार्टियों ने समर्थन भी किया। इसी श्रृंख्ला में स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। ट्वीट के कुछ समय बाद ग्रेटा द्वारा ट्विटर पर एक टूलकिट भी शेयर की गयी थी। जिसके बाद से यह कहा जान लगा कि टूलकिट किसी एजेंडा के अनुसार ही शेयर किया गया है। जिसके बाद निकिता,शांतनु और दिशा पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज़ किया गया। यहां सवाल यह है कि बिना वकील के दिशा को अदालत में पेश करना क्या कानून की अवहेलना करना नहीं है? किसी का समर्थन करना राजद्रोह कैसे हो सकता है?  साथ ही, क्या निकिता और शांतनु की ज़मानत याचिका को  अदालत द्वारा मंज़ूर किया जाएगा ?

द्वारा लिखितसंध्या