खबर लहरिया चुनाव विशेष विधानसभा का परिणाम भाजपा के लिए एक सबक

विधानसभा का परिणाम भाजपा के लिए एक सबक

साभार: फ्लिक्कर

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को नया जीवन दिया है। तो वहीं भाजपा के विजय रथ को रोक दिया है। लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। ये बात राजनेताओं को चुनाव परिणाम बता देते हैं। इस समय देश में एक धार्मिक कट्टरता खुले रुप में दिख रही है, बात विकास से मंदिर निर्माण पर हो रही हैं। इस समय में ऐसा परिणाम आना कही हद तक लाजिमी है।

ऐसा नहीं की कांग्रेस ने ये बड़ी सफलता पाई है, क्योंकि उसके हाथों से मिजोरम राज्य निकाल गया है। इस राज्य में 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 34 सीट जीती थी और राज्य में उनकी 10 साल सरकार भी थी। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार बन गई है। लेकिन कांग्रेस के हिस्से में आए तीन बड़े राज्य उसकी अभी ही स्थिति को सही नहीं करते बल्कि लोकसभा 2019 में भी उसको महागठबंधन का बड़ा दल बना देता है। साथ ही राहुल गाँधी की छवि में भी बदलाव आया है। गुजरात चुनाव के समय से ही कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, वह सॉफ्ट हिंदुत्वा को अपना चुके हैं। राहुल गाँधी मंदिरों में घूम रहे हैं, साथ ही पार्टी राम मंदिर निर्माण का विरोध करना तो दूर वो ‘मंदिर वहीँ बनायेंगे पर तारीख नहीं बतायेंगे’ का नारा देकर हिन्दू समुदाय को पक्ष में लेने की बात ही कर रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा साथ किसानों का मिला हैं। उसने सत्ता में आने पर 10 दिन के अन्दर कर्ज माफ़ी की बात कहीं थी, जो भाजपा से गुस्साए किसानों को उसके पक्ष में ले आई ।

वहीं भाजपा ने इस चुनाव में एक सबक सीखा और जनता का मिजाज भी जाना। हालांकि हम सब जानते हैं कि राज्यों की राजनीति और केन्द्रीय की राजनीति अलग होती है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिली हार भाजपा की धर्म आधारित राजनीति को बदलने की संकेत मिल रहे हैं। बात छत्तीसगढ़ से शुरु करते हैं, यहां 90 विधानसभा सीट में कांग्रेस बहुमत के साथ 68 सीट पर जीती भाजपा 15 और बसपा, जनता कांग्रेस 7 सीट पर काबिज हुई।15 साल से राज्य की सत्ता में राज करने वाली भाजपा के लिए ये बड़ी हार रही है। राजस्थान की 200 सीटों में कांग्रेस 99 सीट पर वहीं भाजपा 73 सीट और बसपा 6 सीटों तो निर्दलीय और अन्य 21 विधानसभा सीट पर जीते, इसकी के साथ इस राज्य में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रुप में उभरी है। मध्य प्रदेश में चुनावी गिनती ने भाजपा और कांग्रेस की दिलों की धड़कनों को कई बार बढ़ाया। 230 विधानसभा सीट वाले इस राज्य में कांग्रेस 114 सीट पर जीती तो भाजपा 109 सीट पर बसपा के पास भी 2 सीट तो सपा के पास 1 और 4 सीट निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया है।

भाजपा के पिछले लोकसभा चुनाव में विकास के मुद्दे को बहुत चमकाया था, बात चाहे 1 साल में 1 करोड़ रोजगार देने की हो या किसानों का हाल सुधारने की। वह उससे पूरा करने में पूरी तरह से चूकी है, और जिसका फायदा कांग्रेस को हुआ। 2017 में उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को बहुमत मिला, लेकिन असफल कर्जमाफी और कानून व्यवस्था में सुधार नहीं होने के कारण पार्टी को लोकसभा में भी इस प्रदेश से बड़ा नुकसान हो सकता है। 2014 में भाजपा को मिला बहुमत देश में विकास के लिए था, लेकिन सरकार के एक साल के काम के दौरान ही देश में धार्मिक माहौल बिगड़ने लगा था। गौरक्षा के नाम पर एक खास समुदाय को निशाना बना रहे थे। अभी कुछ दिनों पहले ही बुलंदशहर में हालात बिगड़े थे। इन हालातों में पांच राज्यों में हुए ये चुनाव बहुत खास थे क्योंकि कुछ महीने बाद ही सभी पाटियों को लोकसभा चुनाव का सामना करना है। इस चुनावों के जनाधार से जहां भाजपा होश में आई है तो वहीं भारतीय राजनीति से गायाब हो रही कांग्रेस के लिए ये नया जीवन है, साथ ही इन नतीजों से 2019 लोकसभा चुनाव की रणनीति भी तैयार होगी।

– अलका मनराल