खबर लहरिया Blog महोबा: कोलकाता की डोनट ब्रेड की चलती फिरती बेकरी अब महोबा में

महोबा: कोलकाता की डोनट ब्रेड की चलती फिरती बेकरी अब महोबा में

जहांगीर खुद बिहार से महोबा आये हैं और आप उनकी चलती फिरती इस बेकरी को महोबा ज़िले के क़स्बा कुलपहाड़ में देख सकते हैं, जहाँ लोग इसे बड़े शौक से खाना पसंद करते हैं।

The moving bakery of Kolkata's donut bread is now in Mahoba

अब आपको बंगाल की मशहूर और स्वादिष्ट डोनट ब्रेड खाने कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा क्यूंकि अब कोलकाता की डोनट ब्रेड आ गयी है महोबा में। और आपके ज़िले महोबा में यह ब्रेड लेकर आये हैं जहांगीर शाह। जहांगीर खुद बिहार से महोबा आये हैं और आप उनकी चलती फिरती इस बेकरी को महोबा ज़िले के क़स्बा कुलपहाड़ में देख सकते हैं, जहाँ लोग इसे बड़े शौक से खाना पसंद करते हैं। जहांगीर का कहना है कि उन्होंने अपनी इस चलती फिरती बेकरी का रजिस्ट्रेशन करा रखा है जिसकी मदद से वो कहीं भी बैठ कर ब्रेड बेच सकते हैं। वो स्थानीय पुलिस को अपना रजिस्ट्रेशन और आधार कार्ड दिखा देते हैं और महोबा में कहीं भी बैठ कर बेकरी चला सकते हैं। 

ब्रेड बनाना है जहांगीर का पुश्तैनी काम-

जहांगीर ने बताया कि ब्रेड बनाना उनका पुशतैनी काम है लेकिन अब उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर ज़िलों में कई सारे ब्रेड के कारोबारी होने के कारण उनकी आय पहले जैसी नहीं रह गयी। जहांगीर फिर भी अच्छा कमाने के लिए कई बार बिहार के आसपास के प्रदेशों में जाकर गली-गली ब्रेड बेचते हैं जिससे उन्हें अच्छा फायदा हो जाता है। वो महोबा भी इसी कारणवश आये हैं। जहांगीर से पहले उनके पिता ब्रेड बेक करने का काम करते थे, और जहांगीर ने भी उनसे ही ब्रेड बनाना सीखा है। 

The moving bakery of Kolkata's donut bread is now in Mahoba

जहांगीर तीन-चार लोगों के साथ साझेदारी में काम करते हैं। यहाँ ये लोग रात में ब्रेड बनाते हैं और दिन में इसे बेचने का काम करते हैं। यह ब्रेड मैदे से बनता है और जहांगीर का मानना है कि अगर मैदे की क्वालिटी अच्छी नहीं हुई तो ब्रेड भी अच्छी नहीं बनती। डोनट ब्रेड बनाने के लिए चीनी को मैदे में घोलकर उसका आटा बनाकर, इस मिश्रण को एक घंटे के लिए छोड़ देना होता है। जब मैदा फूल जाता है तब ये लोग डोनट का आकार देकर इस ब्रेड को तल देते हैं। इन्होने हमें बताया कि 1 किलो मैदे में लगभग 20 ब्रेड बनकर तैयार हो जाते हैं। यह ब्रेड न ही ज़्यादा मीठा और न ही ज़्यादा नमकीन होता है, इसलिए ज़्यादातर लोगों को यह पसंद आ जाता है। 

पैसे कमाने के लिए रहना पड़ता है घर-परिवार से दूर-

जहांगीर को महोबा ज़िले और आसपास के कस्बों में ब्रेड बचने के लिए आये हुए 10 दिन हो चुके हैं। इससे पहले वो कबरई क्षेत्र में इस ब्रेड को बेच रहे थे। यहाँ से वो कुलपहाड़ क़स्बा आये और 1-2 दिन और यहाँ डोनट ब्रेड बेचेंगे जिसके बाद वो घर वापस चले जायेंगे। जहांगीर का कहना है कि इनका काम ही ऐसा है कि पैसे कमाने के लिए इन्हें घर से दूर रहना पड़ता है। ये लोग चारछह महीने के लिए घर से निकल आते हैं और चलते फिरते ब्रेड बनाते हैं और बेकरी चालू रखते हैं। फिर कुछ महीनों के बाद जब ये अच्छे पैसे कमा लेते हैं, तब ये लोग वापस घर की ओर रवाना हो जाते हैं। 

The moving bakery of Kolkata's donut bread is now in Mahoba

जहांगीर ने बताया कि शुरुआत में जब वो उत्तर प्रदेश आये थे, तब उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। यहाँ की भाषा उनको समझ नहीं आती थी जिसके कारण लोगों के साथ संवाद करने में उन्हें कठिनाई होती थी। लेकिन समय के साथ धीरेधीरे वो भाषा समझने लग गए और यहाँ के लोगों से उनकी ही भाषा में बात भी करने लग गए। 

महोबा के लोगों को पसंद आ रही है डोनट ब्रेड-

महोबा के लालू ने बताया कि उन्होंने कभी इस तरह की ब्रेड इस ज़िले में नहीं देखी थी। पहले तो लोगों को इस ब्रेड को खरीदने में थोड़ी झिझक हो रही थी, क्यूंकि एक अंजान इंसान सड़क पर ये डोनट ब्रेड बेच रहा था, लेकिन लोगों ने जब कुछ पुलिस वालों को यह ब्रेड खाते और इसकी तारीफ करते हुए देखा तब आसपास के लोगों ने भी इसको खरीद कर खाना शुरू कर दिया। लालू का कहना है कि अब लोगों को यह ब्रेड इतनी पसंद रही है कि वो लोग खुद तो खाते ही हैं, बल्कि अपने परिवार वालों के लिए भी पैक करा कर लेकर जाते हैं। इस ब्रेड की कीमत भी मात्र 10 रूपए है, इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसको खरीद रहे हैं। 

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लालू ने बताया कि इस ब्रेड की क्वालिटी दुकान में मिलने वाली ब्रेड से बेहतर है, इसलिए लोग अब दुकानों से खरीदने से बेहतर यह कोलकाता डोनट ब्रेड ही खरीद रहे हैं। 

रामधनी का कहना है कि अभी तक तो लोग ब्रेड सिर्फ चाय के साथ खाते थे लेकिन इस ब्रेड को लोग आमचूर की चटनी के साथ भी खा रहे हैं, और ये बहुत ही स्वादिष्ट लगती है।  इस ब्रेड के बारे में महोबा की महिलाओं का मानना है कि ये डोनट ब्रेड देखने में तो बहुत सुन्दर लगती है लेकिन इसको सड़क पर बेचा जा रहा है, जिसके कारण वो अभी इसे खाने में थोड़ी हिचकिचा रही हैं पर अगर लोग ऐसे ही इसकी तारीफ करते रहे तो शायद वो लोग भी इसको खरीदना शुरू कर दें।

इस कोलकाता बेकरी के बारे में जानकार यह देखना बहुत दिलचस्प हुआ है कि कैसे लोग ऐसे छोटेछोटे व्यापार करके अपना गुज़ारा कर रहे हैं, और लोगों का दिल जीत रहे हैं। हमें ज़रुरत है कि हम इन छोटे व्यापारियों से सामान खरीद कर उनके बिज़नेस में कुछ योगदान देते रहा करें, ताकि जहांगीर जैसे मेहनतकश और कर्मशील व्यक्तियों की कुछ मदद हो सके।

इस खबर को कहबर लहरिया के लिए श्यामकली द्वारा रिपोर्ट एवं फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।