खबर लहरिया खेती नमी के कारण खेतों में सड़ रहा बीज

नमी के कारण खेतों में सड़ रहा बीज

मौसम का पलटवार ने बुन्देलखण्ड के बांदा और चित्रकूट जिले के किसानों के लिए कहर बनकर टूट रहा है| एक तरफ किसानों का बोया हुआ गेहूँ का बीज ज्यादा पानी होने के कारण खेतों में सड़ रहा है और दुसरी तरफ मडाई के लिए खेतों खलिहानों में कटा पडा़ धान बारिश और ओलावृष्टि के कारण भीग कर बर्बाद हो रहा है|

 

आय दिन बदल रहे मौसम कि बारिश और ओलावृष्टि से खेतों में बहुत ही नमी है| जिसके कारण गेहूँ के बोवाई के लिए हजारों बीघे जमीन अभी भी पडी़ हुई है| अभी हाल ही में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को उस दशा में लेकर खडा कर दिया है, जो कहावत नहीं कही जाती कि घर के धान पयारन मिलवै वाली| क्योंकि धान कि फसल काट कर फुर्सत हुए किसानों को ये था कि वह समय रहते पहले गेहूँ कि बोवाई कर दें| फिर फुर्सत में धान की मडाई करेंगे| लेकिन उन्हें क्या पता था कि मौसम कि मार इस कदर पड़े गी कि धान कि मडाई तो दूर खेतों में गेहूँ का बीज बोना भी मुश्किल हो जाएगा|
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बांदा जिले के नरैनी तहसील क्षेत्र के किसान महेश्वरी प्रसाद और लल्लू सिंह का कहना है की खेत तो बोवाई के लिए पडे़ ही हैं,धान भी बर्बाद हो गया| लेकिन जो बची-कुची फसल खेतों में खडी है| उसमें से मसूर का बहुत ही ज्यादा नुकसान हुआ है| आज दस साल से इसी तरह कि मार झेल रहे किसानों के घरों में खाने के लाले पड रहे है और सरकार से मिलने वाला फसल नुकसान का मुआवजा ऊंट के मुँह में जीरा के बराबर होता है| उसके लिए भी किसानों को तहसील कचहरी के सैकड़ों चक्कर लगाने पढते है| यही कारण है की किसान दिन पे दिन कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है|