रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड द्वारा 24 जनवरी को दो परीक्षाएं होने के नोटिफ़िकेशन ज़ारी करने के बाद छात्रों में गुस्सा उबल पड़ा। छात्रों के प्रदर्शन के बाद रेलवे ने परीक्षाएं रद्द कर दी और छात्रों को उनकी शिकायत दर्ज़ कराने को कहा गया साथ ही मामले की जांच के लिए एक कमिटी का गठन भी किया गया।
26 जनवरी के दिन बिहार राज्य के पटना जिले के गया से यह खबर सामने आयी कि कुछ छात्रों ने मिलकर ट्रेन के पूरे कोच में आग लगा दी। वजह रेलवे परीक्षा को लेकर थी, जिसके लिए लाखों छात्रों ने आवेदन किया था। रेलवे परीक्षा को लेकर यूपी के प्रयागराज में भी छात्रों का गुस्सा देखने को मिला। लेकिन प्रागराज में इस पूरे प्रदर्शन के मामले को पुलिस द्वारा राजनीतिक साजिश होने की आशंका बताई जा रही है।
आपको बता दें, रेलवे द्वारा 24 जनवरी को एक नोटिस ज़ारी किया गया था जिसके बाद रेलवे में नौकरी के लिए फॉर्म भरे हुए अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन के तौर पर अपना गुस्सा निकाला।
मामले को लेकर बैठाई गयी कमिटी
छात्रों के लगातार प्रदर्शन के बाद रेलवे मिनिस्ट्री ने नोटिफिकेशन ज़ारी कर परीक्षा को रद्द कर दिया है। सरकार ने इस पूरे मामले के लिए 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है जो इस मामले की जांच करेगी। इस कमेटी में रेलवे बोर्ड के प्रिंसिपल एक्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर दीपक पीटर चेयरमैन हैं। सरकार ने कहा है कि छात्र 16 फरवरी 2022 तक अपनी शिकायतें दर्ज़ करा सकते हैं। 4 मार्च 2022 तक कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।
प्रयागराज में भी भड़का छात्रों का गुस्सा, साजिश की है आशंका
प्रयागराज के एसएसपी अजय कुमार ने कहा, ‘अब तक की जांच में राजनीतिक साजिश होने की बात सामने आई है। चुनावी फायदे के लिए विपक्षी पार्टियों के कुछ लोगों ने छात्रों की आड़ में हिंसा कराई है। ट्रेन रोककर 1000 से ज़्यादा लोगों ने ट्रैक को जाम कर दिया था। ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है। उसका सबूत हाथ आने पर सियासी पार्टियों के पदाधिकारियों और दूसरे नेताओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया जाएगा।’
चुनाव आयोग को दी जाएगी जानकारी -एसएसपी
एसएसपी ने कहा, इन सब की गिरफ्तारी भी की जाएगी, वहीं इस पूरे मामले की जानकारी चुनाव आयोग को भी दी जाएगी। एसएसपी अजय कुमार का दावा है कि, मामले में फरार चल रहा नामजद आरोपी एक पार्टी विशेष से जुड़ा हुआ है। राजेश सचान नाम के युवक ने ही सोशल मीडिया के जरिए एक हज़ार से ज़्यादा छात्रों को इकट्ठा किया था। छात्रों की भीड़ में तमाम अराजक तत्व भी घुस आए गए थे, इन लोगों की साजिश ट्रेन जलाने की थी।’
1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज -एसएसपी
एसएसपी ने कहा, ‘बिहार की तर्ज पर यहां भी ट्रेन जलाने की साजिश की गई थी। इस मामले में तीन नामजद समेत 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 13 मुकदमा गंभीर धाराओं पर दर्ज किया गया है। दो नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पहचान कर आगे और लोगों की गिरफ्तारी भी होगी। छात्रों की पिटाई और उनके कमरों में तोड़फोड़ करने वाले तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। आगे की जांच के बाद और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। मामले की जांच 11 सदस्ययीय एसआईटी करेगी।’
जानिए छात्रों के विरोध की वजह
24 जनवरी को रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) ने रेलवे में ग्रुप डी की भर्ती से संबंधित एक नोटिफ़िकेशन ज़ारी किया था। जैसे ही नोटिफ़िकेशन ज़ारी हुआ, इसका सबसे ज़्यादा गुस्सा और प्रदर्शन बिहार और प्रागराज में देखा गया। कई जगहें क्रोध प्रकट करते हुए ट्रेनें रोकी गयीं। वहीं छात्रों पर ट्रेन में आग लगाने के भी आरोप लगे। पुलिस द्वारा छात्रों को पीटने की भी ख़बरें भी सामने आयीं।
पूरे प्रदर्शन में दो तरह के छात्र शामिल पाए गए। पहले RRB NTPC की परीक्षा देने वाले और दूसरे RRB Group D की परीक्षा देने वाले।
जानिये क्या है पूरा मामला?
23 फरवरी 2019 को RRB ने नोटिफिकेशन ज़ारी किया जिसमें ग्रुड डी के लिए 1,03,769 वैकेंसी निकाली गयी। ग्रुप डी में असिस्टेंट (वर्कशॉप), असिस्टेंट ब्रिज, प्वाइंट्समैन, ट्रैक मेन्टेनर जैसे पद थे। अलग-अलग रेलवे ज़ोन में पदों की संख्या अलग-अलग थी। नोटिफिकेशन के अनुसार, छात्रों की सिर्फ एक परीक्षा ली जानी थी। जो इसमें पास होते फिर उनका फिज़िकल यानी शारीरिक टेस्ट होना था। इसके बाद जो इसमें पास होता, उसे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (जांच) के बाद नौकरी दी जाती।
नोटिफ़िकेशन में यह बात भी कही गयी थी कि परीक्षा सितंबर और अक्टूबर 2019 में पूरी हो जाएगी। छात्रों ने इसी मुताबिक़ फॉर्म भरें और तैयारी शुरू कर दी। फिर कोरोना महामारी आ गयी और इसी तरह तीन साल बीत गए। हाँ, इस बीच नोटिफ़िकेशन में कई अमेंडमेंट्स (सुधार, अपडेट) आये लेकिन परीक्षा की तारीख नहीं आई।
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इसके बाद 24 जनवरी 2022 को एक और नोटिफ़िकेशन आया। अब नोटिफ़िकेशन में कहा गया कि छात्रों को एक नहीं बल्कि दो परीक्षाएं देनी होगी, जो की पहले दी हुई जानकारी से बिलकुल अलग थी। पहली परीक्षा CBT 1 (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) होगी, जो इसमें पास होगा वह CBT 2 की परीक्षा देगा। CBT 2 में पास होने वाले ही फिज़िकल टेस्ट दे पाएंगे। जो फिज़िकल टेस्ट में पास होंगे उन्हें डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाएगा। ये दो परीक्षाएं होना छात्रों के प्रदर्शन की वजह बन गया।
नोटिफ़िकेशन के बाद वैकेंसी के रेशियो में भी हुआ बदलाव
द लल्लनटॉप ने 26 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में एक अहम तथ्य प्रकशित किया। रिपोर्ट के अनुसार, नए नोटिफिकेशन के मुताबिक CBT 2 के लिए वैकेंसी से कुल 15 गुणा ज्यादा छात्रों को बुलाया जाएगा यानी CBT 1 में कुल वैकेंसी से 15 गुणा छात्रों को पास किया जाएगा। इसके बाद CBT 2 और फिज़िकल टेस्ट के बाद कुल उतने ही छात्रों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाएगा। जितनी वैकेंसी है यानी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाए छात्रों और वैकेंसी का रेशियो 1:1 रहेगा। जबकि 2019 में आए नोटिफिकेशन में कहा गया था कि ये रेशियो 1:1.05 रहेगा। मतलब डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए वैकेंसी से 5 प्रतिशत ज़्यादा छात्रों को बुलाया जाएगा।
तीन साल बाद परीक्षा की तारीख आई, वह भी एक नहीं दो परीक्षाओं की जिसके बारे में छात्रों को पहले बताया भी नहीं गया था। इसके साथ ही छात्रों के वाजिब प्रदर्शन को चुनावी दौर में राजनीतिक बनाने में भी कसर नहीं छोड़ी गयी। अब जब छात्रों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया तो रेलवे ने एक बार फिर से परीक्षा को स्थगित कर दिया। यहां सवाल कई हैं, जब छात्रों ने तीन सालों से एक ही परीक्षा की तैयारी की है तो वह अचानक से दो परीक्षाएं बिना तैयारी के कैसे दे सकते हैं? अगली परीक्षा की तारीख कब तक आएगी? क्या रेलवे के निर्देश में कोई बदलाव आएगा? कौन हैं वह लोग जो छात्रों के प्रदर्शन को राजनीतिक बना रहे हैं?
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