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धर्म की दीवार अब सीमा के पार

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने आज भारत सरकार के प्रतिनिधि हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में 4 किलोमीटर का करतारपुर गलियारे की स्थापना गुरुद्वारा दरबार साहिब में करी है । उम्मीद है कि गलियारा अगले वर्ष तक पूरा बना दिया जाएगा। इस गलियारे को पाकिस्तान के करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब से भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से जोड़ दिया जाएगा ताकि दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को बिना वीज़ा ही आने-जाने का मौका मिल सके।

गुरुद्वारा करतारपुर साहिब की स्थापना पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव द्वारा की गई थी। और ये भी माना है कि इस तीर्थस्थान की ज़मीन पर ही उनकी मृत्यु हुई थी ।

जब पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शांति पहल के दौरान पाकिस्तान में बस यात्रा शुरू करवाई गई थी, उसी समय ही उन्होंने इस गलियारे के निर्माण का प्रस्ताव पहली बार पाकिस्तान सरकार समक्ष भी रखा था।

गलियारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले के शाकगढ़ में स्थित है और भक्तों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के 18 साल से अधिक समय यहाँ व्यतीत किया था। रवि नदी के किनारे स्थित, यह साइट पाकिस्तान सीमा से करीब तीन किलोमीटर दूर है।

पटियाला के अमरिंदर सिंह के दादा महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1921 और 1929 के बीच गुरुद्वारा करतारपुर दरबार साहिब के निर्माण का आदेश दिया था।

अगले वर्ष गुरु नानक की 550 वीं जयंती के चलते इस गलियारे का उद्घाटन इस साल किया गया है । हर साल, भारत के हजारों लोग इस तीर्थस्थान का दर्शन करने के लिए पाकिस्तान जाते हैं।

1999 में पाकिस्तान सरकार द्वारा गुरुद्वारे पर कुछ मरम्मत का काम करने के बाद उसे जनता के लिए खोल दिया गया था। यह पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर की यात्रा का नतीजा है ।

हर साल भारत के सिख तीर्थयात्री गुरुद्वारा में प्रार्थना करने के लिए पाकिस्तान जाते हैं। यह यात्रा वर्ष में चार बार होती है – बैसाखी के दिन, गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस के दिन, महाराजा रणजीत सिंह की सालगिरह के दिन और गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के दिन ।