खबर लहरिया चुनाव विशेष “राजस्थान में इस बार कौन मारेगा बाज़ी” विधानसभा चुनाव 2018

“राजस्थान में इस बार कौन मारेगा बाज़ी” विधानसभा चुनाव 2018

साभार: तबीनाह अंजुम/ ट्विटर

जैसा की हम सभी जानते हैं की इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव 7 दिसंबर 2018 को आयोजित किये जाएँगे। जिसके चलते हर पार्टी और उनके उमीदवार चुनाव प्रचार की प्रक्रिया में ज़ोरों-शोरों से लगे हुए हैं।

पिछली बार 2013 के चुनावों में बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल करी थी।

इन चुनावों के दो मुख्य पहलु भाजपा और कांग्रेस पार्टी माने जा रहे है। हालांकि, आप और बीएसपी संग कई अन्य पार्टियाँ भी चुनाव लड़ेंगी। मौजूदा विधायक, सांसद और बीजेपी के पूर्व मंत्रियों सहित कई उच्च प्रोफ़ाइल नेता चुनाव से पहले ही आईएनसी में शामिल हो गए हैं। वहीँ कांग्रेस के कुछ नेता भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।

बीजेपी के पूर्व विधायक मनवेन्द्र सिंह – पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे इस बार कांग्रेस पार्टी के उमीदवार के रूप में झलपट्टन से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। सितंबर में, 54 वर्षीय मनवेन्द्र सिंह ने बीजेपी छोड़ते हुए कहा था कि “कमल का फूल ही हमारी भूल थी” ।

झलवाड़ में मनवेन्द्र सिंह के अभियान को दीपिका पादुकोण-रणवीर सिंह की फिल्म ‘पद्मावत’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जताते हुए ‘करणी सेना’ का समर्थन भी प्राप्त हुआ है।

ढोलपुर के राजसी के रूप में, वसुंधरा राजे उन राजपूती मतदाताओं की आवाज़ बनी हैं जो भाजपा सरकार के सहायक रह चुके हैं। लेकिन इस बार, उनके समुदाय की शिकायतों की एक लंबी सूची तैयार की गई है – 2013 में जसवंत सिंह की टिकट को अस्वीकार करना, डाकू आनंदपाल की मौत; जिन्हें एक स्थानीय रॉबिन हुड भी माना जाता था और फिल्म ‘पद्मावत’ से जुड़े मुद्दे। इन सभी कारणों की वजह से इस बार के चुनावों में उनकी सीट कुछ डगमगाती सी दिखाई पड़ रही है।

लेकिन 2003 से झलवाड़ की 5 बार की सांसद और विधायक वसुंधरा राजे को हराना मनवेन्द्र सिंह के लिए आसान बात नहीं है।

वहीँ दूसरी तरफ 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट (खिलाड़ी), कृष्णा पूनिया के सदुलपुर के कांग्रेस उम्मीदवार का मानना है कि उनके लिए विधानसभा चुनाव जीतना एथलेटिक्स क्षेत्र में स्वर्ण पदक जीतने के बराबर ही है। उनका कहना है कि खेलों के ज़रिये उन्हें ये सीख मिली कि कभी मैदान में उतरने के बाद हार नहीं माननी चाहिए। और उनका ये हौंसला और जज्बा चुनाव प्रचार की प्रक्रिया के दौरान देखा जा सकता है।

इन चुनावों में वो एक बार फिर से कठिन विरोधियों के खिलाफ लड़ेंगी – पूर्व भाजपा के सांसद राम सिंह कासवान और विधान सभा के मौजूदा बसपा सदस्य या विधायक मनोज कुमार न्यांगली उनके इस बार के चुनाव के विरोधी दावेदार होंगे।

पीटीआई से बात करते समय उन्होंने कहा है कि भले ही वो खेल में अपना नाम बना चुकी हों पर अब आने वाले चुनावों में लोग उन्हें ही चुनेंगे और उनके लिए सबसे पहला स्थान भी सुनिश्चित करेंगे।

आने वाले चुनावों को लेकर राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के साथ, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती के 13वीं शताब्दी दरगाह में पूजा भी की है। वहीँ दूसरी तरफ सोमवार को राजस्थान के भीलवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार को आतंकवादियों को करारा जवाब देना आता है। उन्होंने ये भी कहा कि जब 26/11 में मुंबई आतंकवादी हमले हुए तब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी और फिर भी वो लोगों को देश प्रेम के पाठ पढ़ा रहे हैं।

भाजपा और कांग्रेस, दोनों पक्ष आने वाले चुनावों को लेकर आये दिन चुनाव प्रचार की प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं। अब इसमें किसकी जीत होगी और किसकी हार वो तो चुनाव परिणाम के दिन ही पता लग पाएगा।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।