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69 हजार बेसिक सहायक शिक्षकों की भर्ती पर रोक

69 हजार बेसिक सहायक शिक्षकों की भर्ती पर रोक :

एक तरफ पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार एक और महामारी से जूझ रही है। भ्रस्टाचार नामक महामारी के कारण 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती इन दिनों संकट में है। लाखों बेरोजगारों का भविष्य दांव पर है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में 69 हजार बेसिक सहायक शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाने के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी है. 8 जून को हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की डबल बेंच ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस मामले में दिन में करीब 12 बजे से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हुई। 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में 9 जून को सरकार की ओर से दाखिल स्पेशल अपील पर सुनवाई हुई। ।

आपको बता दें कि न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने 3 जून को प्रदेश में 69 हज़ार बेसिक शिक्षकों की भर्ती संबंधी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायाधीश अलोक माथुर की बेंच ने 3 जून को 69 बेसिक भर्ती की चयन प्रक्रिया पर रोक यह कहते हुए लगा दी थी कि परीक्षा के दौरान पूछे गए कुछ प्रश्न गलत थे लिहाजा केंद्रीय अनुदान आयोग द्वारा इसकी फिर से पड़ताल किए जाने की जरूरत है। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक विशेष याचिका दायर कर राज्य में 69 हजार बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने के फैसले को चुनौती दी है।
8 जून को बेंच के सामने सुनवाई के समय अभ्यार्थी ऋषभ की ओर से अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने अपना जवाब दाखिल किया। कोर्ट ने अन्य अभ्यर्थियों की ओर से पेश अधिवक्ताओं एच.जी.एस.परिहार, जे.एन. माथुर, सुदीप सेठ आदि को 9 जून की सुबह 10 बजे तक अपना-अपना सबमिशन लिखित में देने को कहा है।
अब इस मामले पर राजनीति न हो ऐसा कैसे हो सकता है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा

 

 

69 हजार भर्ती मामले में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी। युवाओं के आवाज उठाने के बाद पुनर्मूल्यांकन में लगभग 5000 अभ्यर्थी पास हुए थे। अब 69 हजार में भी भारी हेरफेर सामने आई है। सरकार को युवाओं की आवाज को भर्ती प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार खत्म करने की माँग के बतौर देखना चाहिए।

 

 

69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला उप्र का व्यापम घोटाला है। इस मामले में गड़बड़ी के तथ्य सामान्य नहीं हैं। डायरियों में स्टूडेंट्स के नाम, पैसे का लेनदेन, परीक्षा केंद्रों में बड़ी हेरफेर, इन गड़बड़ियों में रैकेट का शामिल होना – ये सब दर्शाता है कि इसके तार काफी जगहों पर जुड़े हैं।