खबर लहरिया Blog आवास के पैसों के लिए प्रधान वसूलता है हज़ारों रूपये – ग्रामीणों का आरोप

आवास के पैसों के लिए प्रधान वसूलता है हज़ारों रूपये – ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि गाँव के प्रधान द्वारा उनसे पैसे वसूले जाते हैं। अगर वह नहीं देते तो उन्हें आवास के पैसे नहीं मिलते।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम हमा गांव में आवास ना मिलने से लोग आज भी परेशान हैं। आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि वह लोग कम से कम 20 बार फॉर्म भर चुके हैं लेकिन अभी तक उनके आवास के पैसे नहीं आए हैं। वह लोग सेक्रेटरी और सरपंच से शिकायत करते हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। मामले में यह बात सामने आई कि जब तक लोग प्रधान को पैसे नहीं देते वह उन्हें उनके आवास के पैसे नहीं देता है।

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क्या है आवास के पैसे न मिलने की वजह ?

हमा गाँव में रहने वाले आदिवासी परिवार का कहना है कि उन्हें मिलाकर लगभग ढाई सौ परिवार यहां रहते हैं। वह सभी छप्पर डालकर टूटे-फूटे घरों में रहते हैं। उन लोगों को यहां रहते-रहते 20 साल हो गए हैं। 10 से 15 बार आवास के लिए फॉर्म भी डाल चुके हैं लेकिन अभी तक उनका आवास नहीं आया है।

मालती अहिरवार कहती हैं कि उनका आवास की सूची में नाम आ गया था लेकिन सरपंच द्वारा उनसे 20 हज़ार रूपये मांगे गए थे। यही वजह थी कि उन्हें आवास के पैसे नहीं मिल पाए। उन्होंने सरपंच से कहा था कि, “पहले हमारे पैसे निकाल दो फिर हम आपको 20 हजार दे देंगे लेकिन सरपंच ने कहा, नहीं पहले मुझे पैसे दो फिर मैं आपके पैसे निकलवा लूंगा। मैंने सरपंच को पैसे नहीं दिए इसलिए हमारे आवास के पैसे वापस चले गए और हमें टूटे-फूटे घरों में रहना पड़ रहा है।”

वहीं मुन्नू यादव का कहना है कि सरपंच और सेक्रेटरी द्वारा उन लोगों से पैसे मांगे जाते हैं। अगर उन लोगों का नाम सूची में आ जाए तो सरपंच और सेक्रेटरी उन लोगों को पैसे नहीं निकालने देते। वह बोलते हैं कि पहले पैसे दो उसके बाद निकालना।।

सायरा बानो का कहना है कि उन्होंने 15 बार फॉर्म भरा है। उनकी एक किस्त आ गई है लेकिन दूसरी किस्त के लिए उनके पैसे नहीं आए हैं। पहली किस्त में उन्होंने 10 हज़ार रूपये सरपंच को दिए थे तो उन्होंने उनके आवास के पैसे निकलवा दिए थे। दूसरी किस्त अभी तक नहीं आई है। उन्होंने इसकी शिकायत भी लिखी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

सरपंच ने लोगों के आरोपों को कहा झूठा

जब खबर लहरिया ने इस बारे में हमा गांव के सरपंच कैलाश रावत से बात की तो उनका कहना था कि, “हमारे द्वारा कोई भी इन लोगों से पैसा नहीं लिया जाता। पता नहीं वह लोग ऐसा क्यों कह रहे हैं। जब भी इन लोगों की सूची में नाम आता है तो मैं लोगों के पैसे निकलवा देता हूं, ना ही एक भी रुपए लेता हूं। मेरे द्वारा बिल्कुल भी पैसे नहीं लिए जाते बल्कि अभी मैंने 40 लोगों के आवास के पैसे निकलवाए हैं और उनसे कोई भी चार्ज नहीं लिया है। न ही ऐसा कोई नियम है चार्ज लेने का। महिलाएं आरोप इसलिए लगा रहीं हैं क्योंकि वह लोग बार-बार यहां पर आती है कि हमारे पैसे निकलवा दो लेकिन जब सूची में नाम नहीं आया है तो पैसे कहां से निकालें। लेकिन मैं अब कोशिश करता हूं कि इन लोगों की सूची में नाम जल्द से जल्द आए और इन लोगों को भी आवास का लाभ मिले।”

सबको मिलेंगे आवास – जनपद पंचायत के सीईओ

मामले को लेकर जनपद पंचायत के सीईओ सैयद मजहर अली से भी बात की गयी। उन्होंने कहा कि, “आपने मेरे संज्ञान में यह बात लाई है लेकिन अभी छह माह तक आवास की सूची नहीं आनी है। अभी शहरी सूची चल रही है। जैसे ही ग्रामीण सूची आएगी, इन लोगों के नाम आएंगे तो इन लोगों को पैसा दिलवाया जाएगा। अगर आप कह रहे हैं कि सरपंच और सेक्रेटरी द्वारा पैसे लिए जाते हैं तो इनकी जांच पड़ताल कराई जाएगी। अगर यह सच निकला तो उनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी।”

वह आगे कहते हैं कि, “जैसे ही सूची में नाम आएगा, सारे ग्रामीणों को आवास के पैसे दिए जाएंगे और मैं जल्द से जल्द कोशिश करूंगा कि इन लोगों को भी इसका लाभ मिले।”

इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।

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