खबर लहरिया जवानी दीवानी आरटीआई कानून में सरकार द्वारा बदलाव की तैयारी पर लोगों ने क्या दी प्रतिक्रिया

आरटीआई कानून में सरकार द्वारा बदलाव की तैयारी पर लोगों ने क्या दी प्रतिक्रिया

मोदी सरकार 14 साल बाद आरटीआई के कानून में कुछ बदलाव करने जा रही है.

साल 2005. केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी. तारीख थी 12 अक्टूबर. सरकार ने एक नया कानून लागू किया. नाम था सूचना का अधिकार. अंग्रेजी में कहते हैं राइट टू इन्फर्मेशन यानी कि आरटीआई. कानून लागू हुआ और फिर इस कानून के जरिए दबी-छिपी सूचनाएं भी लोगों के पास पहुंचने लगीं. खूब तारीफ हुई इस कानून की. मनमोहन सिंह की सरकार भी 2009 में दोबारा सत्ता में आई. कानून चलता रहा, लोगों तक सूचनाएं पहुंचती रहीं.

करीब 14 साल का वक्त बीता. साल आया 2019. सरकार बदली और एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सत्ता में आ गई. कानून चलता रहा. लेकिन 22 जुलाई, 2019 एक ऐसी तारीख थी, जब इस कानून में बदलाव की बात हुई. मोदी सरकार लोकसभा में सूचना का अधिकार कानून में संशोधन लेकर आई. संशोधन के पक्ष में 218 वोट पड़े और विरोध में पड़े माक्ष 79 वोट. और ये संशोधन बिल लोकसभा में पास भी हो गया. अब इसे राज्यसभा से पास करवाना होगा. फिर इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून में बदलाव आ जाएंगे.

क्या है अभी का कानून और क्या होंगे बदलाव?

राइट टू इन्फर्मेशन ऐक्ट 2005 के दो सेक्शन में बदलाव हुए हैं. पहला है सेक्शन 13 और दूसरा है सेक्शन 16.

2005 के कानून में सेक्शन 13 में जिक्र था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या फिर 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, होगा.

2019 में संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा.