खबर लहरिया Blog झोपड़ी में गुजर रहा दिन, पक्के आशियाना की मांग

झोपड़ी में गुजर रहा दिन, पक्के आशियाना की मांग

सरकार भले ही आवास योजना चला रही हो लेकिन आज भी कई गरीब ऐसे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। कई बार अधिकारियों से मिलकर प्रधानमंत्री आवास योजना मिलने के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज भी आवास योजना से वंचित हैं।

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जिला चित्रकूट, ब्लॉक रामनगर, गांव विसौंधा। विसौंधा गाँव की आबादी लगभग 1000 है। एक हजार की आबादी में लगभग 200 लोग दलित हैं। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें आवास नहीं मिला है। ग्रामीण रानी, संगीता, रमेश, कल्लू और कामता प्रसाद जैसे कई लोगों का कहना है कि वह हर पंचवर्षीय में मांग करते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए। लेकिन हर साल उनकों निराशा ही हाथ लगती है। आलम यह होता है की चौमास में उन्हें दूसरे के घर में गुजारा करना पड़ता है। उनके गहर में बारिश में ठहरने की जगह नहीं होती है। गर्मी के दिन में जब आंधी तूफान आता है छप्पर पर रखी पन्नी फट जाती है।

रमेश ने हमें बताया कि कई बार प्रधान से कहा कि आवास दे दें पर एक ही आवश्वासन देते हैं कि लिस्ट में नाम जोड़ दिया जायेगा। कई बार तो कहते हैं की वोट नहीं दिया है। यह तो उनका एक कोड वर्ड बन गया है। यही वजह है की सब मिट्टी का घर बनाकर रह रहे हैं या पन्नी डालकर रह रहे हैं।

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पैसे देकर अपात्र लोग लेते हैं लाभ

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आजकल पैसों का खेल है। गाँव में जिनके पास गाड़ी, बंगला और पैसे वाले लोग हैं वह पैसा देकर आवास ले लेते हैं। कई पंचवर्षीय बीत चुकी जो भी प्रधान होता है 10,000 या 20,000 की मांग करते हैं और आवास ही नहीं मिलता। यह भी होता है कि पैसे देने के लिए नहीं है तो आवास आता है तो उसमें से प्रधान पैसे निकलवा लेते हैं। बाकी जो बचता है उसमें गरीब लोग घर बनाते हैं। चाहे बाद में पैसे के अभाव में अधूरा ही पड़ा रहे।

500 लोगों की बनाई गई लिस्ट

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जब इस मामले में प्रधान राम सूरत से बात की तो उनका कहना है कि उनके गाँव में कई पात्र लोग हैं वह अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अपनी ग्रामपंचायत से लगभग 500 लोगों की लिस्ट बनाया है। जैसे सरकार की तरफ से नए वेबसाइट खुलेंगे और ब्लॉक से आदेश आयेगा तब लिस्ट भेजी जायेगी। आवास जब जिनके नाम से पास होगा दिया जायेगा। योगेंद्र सिंह एडीओ पंचायत रामनगर ने हमें बताया कि आवास की नई लिस्ट अभी नहीं बनी है। प्रधान द्वारा लिस्ट आते ही उसपर आगे कार्यवाई होगी। उनका प्रयास है कि गरीबों को प्रधानमंत्री योजना का लाभ मिले।

प्रधान और एडीओ पंचायत की बात से यह अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि दोनों लोगों की बात एक दुसरे से मैच नहीं कर रही हैं प्रधान ब्लॉक से आदेश आने और एडीओ पंचायत प्रधान की लिस्ट का इन्तजार कर रहे।

ऐसे में ग्रामीण विभागों के चक्कर लगा रहे हैं। आवास तो नहीं लेकिन हर विभाग से आज तक सिर्फ आश्वासन मिला है। गरीबों की झोपड़ी को पक्के मकान में तब्दील करना सरकार की प्राथमिकता में है। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास भी हो रहा है, इसके बाद भी कई ऐसे परिवारों को आवास नहीं मिल पाता, जिसके वे पात्र होते हैं। इसे सरकार की चूक कहा जाए या कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की मनमानी?

इस खबर की रिपोर्टिंग सहोदरा देवी द्वारा की गयी है।

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