खबर लहरिया Blog कोटेदार और जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा सही से ज़िम्मेदारी न निभाने की वजह से ग्रामीण राशन कार्ड के लिए परेशान

कोटेदार और जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा सही से ज़िम्मेदारी न निभाने की वजह से ग्रामीण राशन कार्ड के लिए परेशान

बाँदा जिले के अलमोर गाँव में अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को राशन कार्ड से संबंधित नहीं दी गयी पूरी जानकारी। पैसे खर्च करने पर भी नहीं बन पा रहे राशन कार्ड।

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राशन कार्ड की सुविधा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकतर जनसंख्या की पहुँच से दूर है। जब भी ग्रामीण लाभ पाने के लिए प्रधान, कोटेदार या ज़िम्मेदार अधिकारी से राशन कार्ड बनवाने की मांग करते हैं तो या तो उन्हें आश्वाशन मिलता या फिर आना-कानी सुनने को मिलती है। अगर ग्रामीण उन पर आरोप लगा दें तो संबंधित अधिकारी ग्रामीणों के पास कम जानकारी होने की वजह से सारी गलती उन पर ही थोप देते हैं। बांदा जिले के तिंदवारी ब्लॉक के गाँव अमलोर में रिपोर्टिंग के दौरान हमने पाया कि ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी उनके राशन कार्ड नहीं नहीं बने।

ग्रामीण महिलाओं ने आरोप लगाया कि वह लोग बराबर एक साल से राशन कार्ड के लिए आवेदन कर रहीं हैं। कोटेदार उनसे कहता है कि उनका राशन कार्ड कट चुका है। वह पैलानी तहसील जाकर जिला पूर्ति अधिकारी के ज़रिये अपना राशन कार्ड बनवाएं। एक ग्रामीण महिला बताती हैं कि वह तीन-तीन बार ऑनलाइन आवेदन कर चुकी हैं। वहीं जिन लोगों के राशन कार्ड बन चुके हैं वह कोटेदार के पास रखे हुए हैं।

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आवेदन के नाम पर वसूले जा रहें पैसे – महिलाएं

महिलाओं का आरोप है कि कोटेदार उन्हें झूठा आश्वाशन देकर पैलानी भेजता है। ऑनलाइन आवेदन के लिए कभी 500, 300 या तो कभी 200 रूपये महिलाओं से वसूले जाते हैं। महिलायें शिक्षित नहीं है, उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यही वजह है कि वह पैलानी के चक्कर काट रहीं हैं और इसके बावजूद भी उनका राशन कार्ड नहीं बन रहा। ये महिलाएं निम्न वर्ग से आती हैं इसलिए उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए राशन कार्ड बेहद ज़रूरी है।

अमलोर गाँव में रहने वाली महिला श्यामकली और कुसुमा का कहना है कि वह एक साल से कोटेदार को राशन कार्ड के लिए कह रही हैं। कोटेदार ने उनसे 500 रूपये लेकर कहा कि उनका राशन कार्ड बन जाएगा। जब उन्होंने कोटेदार से राशन कार्ड माँगा तो उसने कह दिया कि ऑनलाइन करवा लो, पैलानी तहसील चले जाओ। वह कहती हैं कि उन्होंने यह पैसे बहुत मुश्किल से मज़दूरी करके इकट्ठे किये थे।

ऊपर से कटते हैं राशन कार्ड – कोटेदार

गाँव के कोटेदार रामकिशन से खबर लहरिया ने बात की। उसका कहना था कि, ‘राशन कार्ड ऊपर से कट जाते हैं। मैं क्या करूँ, मैं अपने घर से नहीं दूंगा। सरकार की तरफ से जो गल्ला आता है वह मैं वितरण करता हूँ। सभी को यूनिट के हिसाब से गल्ला दिया जाता है।’ वह आगे कहता है कि लोग राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करें। तीन महीने बाद राशन कार्ड मिल जायेगा।

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लोग जानबूझकर हो रहे हैं परेशान – जिला पूर्ति अधिकारी

पैलानी के जिला पूर्ति अधिकारी राजकुमार का कहना है कि राशन कार्ड के आवेदन के लिए ऑनलाइन वेबसाइट अभी बंद है। इसी वजह से अभी राशन कार्ड नहीं बन रहे। लोग जानबूझकर पैसे खर्च करते हैं और पैसे वसूलने का झूठा आरोप लगाते हैं। यहां से काम निःशुल्क किया जाता है। पैसे की लेन-देन नहीं की जाती। जब साइट खुलेगी तो राशन कार्ड बनेंगे। लोग जानबूझकर परेशान होते हैं। वह क्या कर सकते हैं।

लोगों को जानकारी देने की बजाय यहां जिला पूर्ति अधिकारी सारी गलतियों का पिटारा जनता पर थोप रहें है जबकि यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि वह लोगों तक सही जानकारी पहुंचाए। कोटेदार भी बस किसी तरह से अपनी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ता हुआ नज़र आ रहा है। ऐसे में ग्रामीणों तक सही जानकारी कौन पहुंचाएगा जब ज़िम्मेदार व्यक्ति ही अपने काम को सही तरह से करते हुए नज़र नहीं आ रहें।

इस खबर की रिपोर्टिंग शिव देवी द्वारा की गयी है। 

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