खबर लहरिया Blog मरीजों को मिल रही बिना पर्ची की दवा, दिक्कत में फंस सकते हैं मरीज

मरीजों को मिल रही बिना पर्ची की दवा, दिक्कत में फंस सकते हैं मरीज

जिला ललितपुर, ब्लॉक महरौनी, गांव सैदपुर उप स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को दवाएं तो मिल रही लेकिन उन दवाओं की पर्ची नहीं दी जा रही है। मरीजों ने आरोप लगाया है कि अगर उनके पास पर्ची होगी तो वे कहीं से भी पर्ची दिखाकर दवा ले सकते हैं। या किसी और अस्पताल में दिखाना है तो डॉक्टर पहले पर्ची मांगते हैं की कहाँ से और क्या दवा चल रही ऐसे में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Patients are receiving over-the-counter medicines

सरकारी अस्पतालों की मनमानी देख ऐसा लगता है कि ये जनता के साथ खिलवाड़ करने के साथ ही सरकारी योजनाओं को भी मज़ाक बनाकर रख दिये हैं। डाक्टरों के ऐसे रवैये से मजबूरन मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों या झोलाछाप डाक्टरों के पास जाना पड़ता है।  

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दवाओं के नाम पर पैसों की लूट

दवा लेने आये सैदपुर निवासी पंचू पाल का कहना है कि हम जब-जब दवा लेने आते हैं हमसे पर्ची का पैसा तो ले लिया जाता है लेकिन पर्ची नहीं दी जाती है। कोई भी मरीज दवा लेने आता है उससे पर्ची का 2 रुपया लिया जाता है लेकिन आज तक का रिकॉर्ड है हम मरीजों को दवाओं की पर्ची नहीं दी गई है। लेकिन मरीजों से बाकायदा पैसा लिया जाता है।

हम लोगों द्वारा लिया गया पैसा कहां जाता है। ऐसे में अगर दवा लेकर गये उसे खाने से कुछ हो गया तो हमारे पास क्या प्रूफ होगा कि हमने सरकारी अस्पताल से इलाज कराया था। हमारी कोई मानेगा ही नहीं, क्योंकि हमारे पास कोई सबूत नहीं है। कहते हैं सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज होता है लेकिन जब हम लोगों को इंजेक्शन या ग्लूकोज लगाया जाता है तो सौ रूपये लिए जाते हैं। मतलब हम मरीजों को लूटा जा रहा है।

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सरकार नहीं, डाक्टरों की चल रही मनमानी

प्रकाश सिंह का कहना है कि एक डॉक्टर है सिर्फ और इलाज के नाम पर सिर्फ दवा दे देते हैं जाओ खाओ। वही डॉक्टर बगल में प्राइवेट खोल रखें हैं वहां पैसा लेते हैं। वहां सारी दवाएं मिल जाती हैं लेकिन सरकारी अस्पताल में दवा ही नहीं होती है। अगर उसी टाइम पैसे दे दो तो बगल के कमरे से लाकर दे देते हैं। पहले तो कहते हैं दवा है ही नहीं लेकिन पैसा देखते ही दवा कहाँ से आ जाती है? सरकारी जैसे अस्पताल को प्राइवेट बना रखा है। अब तो हम जाना छोड़ दिया है।

Patients are receiving over-the-counter medicines

इस सरकारी अस्पताल से करीब दस बारह गांव लगे हुए हैं। सब इलाज कराने आते हैं लेकिन यही हाल रहा तो कोई नहीं आएगा। जब पैसा ही देना है तो प्राइवेट में ही करवा लें। सरकारी अस्पतालों में तो धंधा चल रहा है दवाओं के नाम पर लूट हो रही है। रामभरोसे है कभी डॉक्टर बैठते हैं कभी नहीं। 

ग्लूकोज या इंजेक्शन लगाने के लगते हैं सौ रूपये

जीवन जो सैदपुर निवासी हैं उनका कहना है कि हमारे यहां जो सरकारी अस्पताल बने हैं सिर्फ कहने के लिए बने हैं क्योंकि यहां पर हम लोगों का इलाज नहीं होता है हम लोग इलाज कराने के लिए जाते हैं तो सिर्फ हम लोगों को गोलियां देकर के भगा देते हैं। और कहते हैं कि यहां पर दवा नहीं है। पर वहीं पर और कोई व्यक्ति जाता है और वह बोलता है कि हमें ग्लूकोज लगवाना है या इंजेक्शन लगवाना है तो उसका इलाज कर देते हैं। क्योंकि इन चीजों का उन्हें पैसा मिलता है। अब तो सरकारी अस्पताल में बहुत कम लोग इलाज कराने के लिए आते हैं। बोलते हैं अगर हमें पैसे ही देने हैं तो सरकारी अस्पताल में क्यों न इलाज कराएँ। 

दवा के नाम पर सिर्फ पैरासिटामाँल

अनीता बताती हैं कि हमारे चार बच्चे हैं और हमारे पति मजदूरी करते हैं। तो हम इलाज के लिए पैसा कहां से लाएं इसलिए हम सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए आते हैं। एक बार हम बहुत बीमार थे। बुखार की वजह से कमजोरी सी लग रही थी। मैं अस्पताल गई इलाज के लिए तो बोलते हैं कि यहां पर कोई दवा नहीं है सिर्फ गोली दे दिया। न इंजेक्शन न ही कोई टानिक। कुछ बोलो तो कहते हैं नहीं आराम होगा तो प्राइवेट में दिखाओ अगर हमारे पास पैसा होता तो हम खुद ही अच्छा इलाज करा लेते। यहां पर जो डॉक्टर तैनात हैं वो जल्दी आते नहीं हैं।  जो हैं भी वह अपनी कमाई कर रहे हैं। जो हम गरीबों का हक़ है वह मिलना चाहिए। 

अनीता आगे बताती हैं कि वैसे भी आजकल कहीं काम नहीं मिल रहा है कि मजदूरी करने जाये। इस कोरोना ने वैसे ही भूखों मरने को मजबूर कर दिया है। जिन्दगी में चारो तरफ अँधेरा सा हो गया है। जिधर जाओ बिना पैसों के काम तो होता नहीं है। क्या करें की सब कुछ सही हो जाये। 

सबूत के साथ मरीज करें शिकायत, होगी कार्यवाही

राजेश वर्मा अधीक्षक स्वास्थ्य केंद्र महरौनी का कहना है कि ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जिस भी मरीज के साथ ऐसी दिक्कत आ रही है वह लिखित शिकायत दे।  क्योंकि सरकारी अस्पताल में कोई पैसा नहीं लगता है सिर्फ ₹1 का पर्चा भरना होता है उसी आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है। जो भी सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं होती हैं वह लोगों को दी जा रही हैं। किसी मरीज के साथ कोई भी दिक्कत आई है तो हमें बताएं उस पर कार्रवाई की जाएगी।

ललितपुर का यह कोई पहला मामला नहीं है जहाँ इस तरह की समस्याएं सामने आई हैं सिर्फ ललितपुर की ही ऐसी कई स्टोरियाँ हमने कवरेज की है जिसमें स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ाती नजर आ रही है।

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इस आर्टिकल को राजकुमारी द्वारा रिपोर्ट और प्रोड्यूसर ललिता द्वारा लिखा गया है।