खबर लहरिया ताजा खबरें पंचायती चुनाव उम्मीदवार महिला पोस्टर में पुरुष क्यों? | रातनीति रस राय

पंचायती चुनाव उम्मीदवार महिला पोस्टर में पुरुष क्यों? | रातनीति रस राय

नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। आज के इस शो में बात करेंगे कि पंचायत चुनाव का कार्यक्रम कहां तक पहुंचा। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करते ही 26 अप्रैल से ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

साथ ही 27 मार्च से सभी ब्लाकों में नामांकन पत्रों की बिक्री होने लगी थी। बांदा में चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा और मतगणना 2 मई को होगी। साथ ही उम्मीदवार द्वारा किये गए खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी। इसका ब्यौरा भी उम्मीदवारों को जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश करना होगा।

वैसे अगर खर्च की बात की जाए तो यह बहुत पहले शुरू हो चुका था। पोस्टर बैनर लगाना शुरू हो गए थे। पहले सोशल मीडिया में चले फिर प्रिंट भी करा लिए गए। अरे… अरे…एक मजे की बात करना भूली जा रही हूं। वो यह है कि महिला प्रत्यासी उम्मीदवार के पुत्रों में पुरूष की फ़ोटो, नाम और रिश्ता लिखना भी चुने आयोग की गाइडलाइन के अंदर आता है क्या? आखिकार इसका क्या है राज? थोड़ा हंसी भी आ रही है पुरुष के मन में ऐसा क्या चलता है कि महिलाओं के बगल में फ़ोटो और रिश्ता लिखना जरूरी हो जाता है।

नामांकन : 17 व 18 अप्रैल। सुबह 8 से शाम 5 बजे तक।
नामांकन पत्रों की जांच : 19 व 20 अप्रैल। सुबह 8 से कार्य समाप्ति तक।
नाम वापसी : 21 अप्रैल। सुबह 8 से अपराह्न 3 बजे तक।
चुनाव चिन्ह आवंटन : 21 अप्रैल। अपराह्न तीन से कार्य समाप्ति तक।
मतदान : 29 अप्रैल (गुरुवार)। सुबह 7 से शाम 6 बजे तक।
मतगणना : दो मई। सुबह 8 से मतगणना पूरी होने तक।
12.11 लाख मतदाता चुनेंगे गांव की सरकार

जिले के 12 लाख 11 हजार 316 मतदाता गांव की सरकार चुनेंगे। जिला पंचायत सदस्य के 30, प्रधान के 469 और क्षेत्र पंचायत सदस्य के 750 पदों के लिए चुनाव होना है। डीपीआरओ सर्वेश कुमार पांडेय ने बताया कि जिले के 2047 मतदेय स्थलों में वोट डाले जाएंगे।

आइये बात करें कि पार्टियां इस चुनाव को जीतने के लिए क्या प्रयास कर रही हैं। बीजेपी पार्टी पहले से ही तय कर चुकी है कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार उतारेगी लेकिन और किसी भी पद के लिए अगर उनकी पार्टी का कोई लड़ना चाहे तो उसको मना भी नहीं करेगी साथ ही समर्थन भी करेगी। इसी तरह से कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह इस चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवारों को उतारेगी और जीत भी हासिल करेगी। यही हाल बसपा और सपा का भी है। चाहे जो चुनाव हों उसमें पार्टी चुनाव न लड़ें तो राजनीति किस काम की?

साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!