खबर लहरिया ताजा खबरें क्या ओडीएफ हुआ गाँव, फिर क्यों गई मासूमो की जान देखिए राजनीती रस राय में

क्या ओडीएफ हुआ गाँव, फिर क्यों गई मासूमो की जान देखिए राजनीती रस राय में

नमस्कार दोस्तो, में हूँ मीरा देवी खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ, मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है।

शॉट दूसरा समय 01-2:04 तक/ भारत पूरी तरफ से ओडीएफ हो जाएगा दो अक्टूबर 2019 से। प्रधान मंत्री का कहना है कि 60 महीनों के भीतर भारत की इतनी बड़ी आबादी के लिए शौचालय बनाने के करतब ने दुनिया को खौफ और सदमे में छोड़ दिया है – अक्टूबर 2019 में भारत में खुले में शौच को खत्म करने के घोषित लक्ष्य के साथ अक्टूबर 2014 में SBA योजना को हरी झंडी दिखाई गई, इस साल अपनी पांच साल की सालगिरह मनाई। गांधी के 150 वें जन्मदिन के साथ प्रतीकात्मक रूप से मेल खाने के लिए तैयार किए गए इस करतब में सरकार का दावा / अंतर्राष्ट्रीय छाती है कि फरवरी 2019 तक भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 5.5 लाख गांव खुले में शौच मुक्त हो गए हैं।

वैसे इसका ऐलान हो चुका है सब जान रहे है, बहुत ज्यादा हलचल है। मारे खुशी के लोग पागल हो रहे है। देश पूरी तरफ से ओडीएफ होने का क्रेडिट और सम्मान उन लोगों को मिलना चाहिए जिन्होंने देश को साफ करने के लिए अपनी जान और इज्जत दांव में लगा दी। पिछले पांच वर्षों में ख़बर लहारिया स्वच्छ भारत के पीछे की वास्तविकताओं और लेबल गांवों और जिलों को ‘खुले में शौच से मुक्त’ के कारण होने वाले प्रत्यक्ष नुकसान की सूचना दे रही है: अल्पसंख्यक, दलित और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को जानबूझकर बहिष्कृत करना, उन लोगों का सामाजिक तेजस्वीकरण गाँव के ‘ओडीएफ’ शीर्षक को कलंकित करने के लिए परिवार; और योजना के कार्यान्वयन में अधिकारियों द्वारा बिजली का दबाव और बाद में दुरुपयोग, ग्राम प्रधान से लेकर जिलाधिकारियों तक।

मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के भावखेड़ी गांव में दो मासूम की मौत ने बता दिया कि शौंचालय पाने के हकदार लोगों के साथ किस तरह से भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। देश को ओडीएफ का श्रेय सफाई कर्मियों को दिया जाना चाहिए। लेकिन बदले में उनको क्या मिला, समाज में भेदभावपूर्ण व्यवहार और उनके पास तो शौंचालय भी नहीं हैं। गड्ढे खोद दिए लेकिन शौंचालय नहीं बनवा पाए। अंत में उन्हें गड्ढे पुरने पड़े।

जो कि 4 वां शॉट बोल दी। स्वच्छ भारत मिशन को सक्सेजफुल बनाने के लिए अमेरिका ने न्यूयार्क शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड से गेट्स फाउंडेशन द्वारा 25 सितंबर को आवार्ड दिया। देश को ओडीएफ का क्रेडिट प्रधानमंत्री को दिया जा रहा है। एक तरफ लोग खुशियां माना रहे थे तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में दो बच्चों की मौत का मामला छाया हुआ था। जिस खबर में दो बच्चों की मौत हुई वह इस दुख को कैसे सहन करें और पार करें।

जिसको तीसरा शॉट बोली हूँ। अधूरे और भ्रष्टाचार में खरा उतरने वाला ओडीएफ कार्यक्रम भले ही झूठी अफवाहे फैला रहा हो कि 1 सितंबर 2019 से पूरा देश ओडीएफ हो गया। अगर इसकी तह में जाएं, सच्चाई देखी जाए तो पता चलेगा कि हकीकत क्या है। तो पता चलेगा कि आखिरकार सच्चाई क्या है। इस मुद्दे पर में 2014 से रिपोटिंग करती आई हूं। इस मुद्दे को लेकर मैं मध्य प्रदेश के जिला शिवपुरी और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से रिपोटिंग की। गांव के महिला, पुरुष, प्रधान, जिले के अधिकारियों से बातचीत की। आंकड़े निकलवाये

बांदा जिले के ब्लाक महुआ के गांव बरईमानपुर के आंकड़े कहते हैं कि बेसलाइन सर्वे 2012 के हिसाब से गांव में कुल 350 शौचालय बनने के लिए शामिल किए गए जो कि कुल 80 बन पाए हैं। मैं इस गांव के वार्ड नंबर सात में गई थी जहां पर लगभग 20 से 25 घर बाल्मीकि जाती के लोग रहते हैं उनमें से एक व्यक्ति पास खुद बनवाया बीसों साल पुराना शौचालय के अलावा किसी के घर में शौंचालय नहीं थे। इसी तरह से बेसलाइन के हिसाब से 250 शौचालय बन गए हैं जबकि 2011 की जनगणना के हिसाब से इस गांव की जनसंख्या 2400 है। यहां पर भी बाल्मीकि जाति के मनोज के घर शौचालय न होने से दो बच्चों की जान चली गई। ये दोनों जिलों के दोनों गांवों को सितंबर 2018 में ओडीएफ़ किया जा चुका है। ओडीएफ हो चुका है देश, गांव जिला पर शौचालय नहीं बने। अगर शौचालय नहीं बने तो किस बात के लिए झूठी वाहवाही, किसके लिए और किसके लिए।

ओडीएफ को लेकर चर्चा करना सवाल खड़े करना बहुत जरूरी है। कियोकि कल हो जाएगा कि अपना देश ओडीएफ हो चुका है। भाई में तो सवाल उठाउंगी क्योकि मैं इतने दिन से रिपोटिंग कर रही हूँ। आप अगर कुछ कमेंट करना चाहे तो खबर लहरिया के चैनल में जाकर कमेंट करें, शेयर और लाइक करें, यूट्यूब सब्सक्राइब करें। अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ टैब तक के लिए नमस्कार।