खबर लहरिया जिला निवाड़ी : लगभग 40 परिवार उज्जवला योजना के लाभ से हैं वंचित

निवाड़ी : लगभग 40 परिवार उज्जवला योजना के लाभ से हैं वंचित

निवाड़ी जिला : सरकार द्वारा चलाई जा रही उज्ज्वला योजना का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहीं महिलाओं को नहीं मिला है। निवाड़ी जिले के गाँव कुलुवा में रहने वाली आदिवासी महिलाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के बाद भी चूल्हे पर खाना बना रही हैं। ग्रामीणों की मानें तो गाँव की लगभग 30 से 40 महिलाओं को योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। कई लोगों को तो पता ही नहीं कि ऐसी भी कोई योजना चल रही है।

आदिवासी महिला अनीता कहती हैं, उन्होंने गैस सिलिंडर के लिए फॉर्म तो भर दिया पर उन्हें सिलिंडर नहीं मिला। खाना बनाने के लिए उन्हें खेत से कंडे व लकड़ी बीन कर लाना पड़ता है।

 ये भी देखें –  निवाड़ी: बीड़ी बनाने के रोज़गार पर भारी पड़ी महंगाई की मार

सुदामा बताती हैं, चूल्हे पर खाना बनाने से आँखों में सारा धुआं जाता है। सिर में दर्द होने लगता है। जिसकी वजह से अब उन्हें आँखों का ऑपरेशन भी कराना पड़ रहा है।

निवाड़ी पीताम्बर गैस एजेंसी के कंप्यूटर ऑपरेटर समजित खान से खबर लहरिया ने बात की। वह कहते हैं, साल 2016 में सरकार ने उज्ज्वला योजना चलाई थी। प्रशासन के निर्देश अनुसार ग्राहकों के कनेक्शन ज़ारी होते आ रहे हैं। साल 2016 के बाद साल 2018 में फिर से योजना चालू हुई थी जिसमें 1 करोड़ का कनेक्शन बजट आया था। 2016 से अभी तक लगभग 7 हज़ार कनेक्शन हो चुके हैं। अभी यह योजना फिलहाल बंद चल रही है।

 ये भी देखें – चित्रकूट: दलित महिला का प्रधान से ब्लॉक प्रमुख का सफ़र

गैस कनेक्शन न मिलने को लेकर ऑपरेटर ने बताया कि सबके नाम अलग-अलग एजेंसी में जाते हैं। वह कहते हैं, महिलायें अपना फॉर्म गांव के व्यक्ति को ही दे देती है इसलिए उनका फॉर्म एजेंसी तक नहीं आ पाता। कई लोग गांव छोड़ दिल्ली की ओर पलायन कर जाते हैं। कई लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं होते।

आगे कहा, जब यह योजना दोबारा शुरू होगी तो गाँव में कैंप लगाकर लोगों से दस्तावेज़ लिए जाएंगे ताकि उन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ ज़रूर से मिल पाए।

 ये भी देखें – 

महोबा: बहुरुपिया कला को जीवंत रूप दे रहे कलाकार

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें

If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke