खबर लहरिया Blog “लवारिश लाशों के मसीहा” मोहम्मद शरीफ को राष्ट्रपति द्वारा मिला पद्मश्री अवार्ड

“लवारिश लाशों के मसीहा” मोहम्मद शरीफ को राष्ट्रपति द्वारा मिला पद्मश्री अवार्ड

अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा किया गया पद्मश्री से सम्मानित।

क्रेडिट – लाइव हिन्दुस्तां

अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ को 8 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। इन्होंने पिछले 25 सालों से 25,000 से भी ज़्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। वह इस समय गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। गरीबी की वजह वह अपना इलाज का खर्च तक उठाने में असमर्थ हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट कहती है कि मोहम्मद शरीफ, जिन्हें “लवारिश लाशों के मसीहा” के रूप में भी जाना जाता है, बीते गुरुवार को अयोध्या के मोहल्ला खिरकी अली बेग के अपने घर पर बिस्तर पर पड़े पाए गए।

पद्म पुरस्कार विजेता, मोहम्मद शरीफ उर्फ ​​’शरीफ चाचा’, एक “साइकिल मैकेनिक है। यह पिछले 25 सालों से हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। उन्होंने फैजाबाद और उसके आसपास 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। पद्म पुरस्कार 2020 की घोषणा करने वाली भारत सरकार के एक बयान के अनुसार, उन्होंने कभी भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया।

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महोम्मद शरीफ़ का परिवार

महोम्मद शरीफ़ का संयुक्त परिवार है जिसमें कुल 20 लोग हैं। पत्नी बिब्बी खातून और दो बेटें मोहम्मद अशरफ मकैनिक, मोहम्मद सगीर जो की ड्राइवर का काम करते हैं। उनके बड़े बेटे मोहम्मद रईस की 28 साल की उम्र में मौत हो गयी थी जिसके बाद वह लवारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने लगे।

30 जनवरी 2020 को उन्हें पद्मश्री के लिए चयनित किया गया था। उन्हें 20 मार्च को दिल्ली जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें उस समय अवार्ड नहीं मिल सका। इसके बाद उनकी तबयत भी बेहद ज़्यादा खराब हो गयी।

परिवार को कुछ पेंशन की उम्मीद

शरीफ चाचा अपने बिस्तर पर लगभग बेहोश पड़े थे। उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे अभी भी उनके पुरस्कार के खिलाफ कुछ पेंशन की उम्मीद कर रहे थे ताकि वे उनके इलाज का खर्च उठा सकें। मोहम्मद शरीफ के बेटे शगीर ने कहा कि उन्हें पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक पत्र मिला था जिसमें बताया गया था कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है।

शगीर ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला के 31 जनवरी, 2020 के पत्र में आगे कहा गया है कि उन्हें पुरस्कार देने की तारीख जल्द ही बताई जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके पिता को फैजाबाद से भाजपा सांसद लल्लू सिंह की सिफारिश पर पुरस्कार के लिए चुना गया था। पुरस्कार की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने भी आश्चर्य व्यक्त किया और पूछा, “क्या उन्हें अभी भी पुरस्कार नहीं मिला है?” उन्होंने इसे देखने का वादा किया।

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घर का खर्च नहीं उठा पाने में भी असमर्थ परिवार

शगीर ने कहा कि वह एक निजी ड्राइवर के रूप में काम करते हैं। वह 7,000 रुपये महीना कमाते हैं। जबकि उसके पिता के इलाज में अकेले 4,000 रुपये महीने खर्च हो जाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पास बहुत मुश्किल समय है। हम घर का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं। पैसे की कमी के कारण, हम अपने पिता के लिए उचित इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हाल तक, हम उनके इलाज के लिए एक स्थानीय डॉक्टर पर निर्भर थे। लेकिन पैसे की कमी के कारण, हम वह भी नहीं कर पा रहे हैं।”

व्यक्ति को उसके नेक कार्यों के लिए सम्मानित किया जाना बेहद सराहनीय है। यहां शरीफ़ चाचा की तबयत कोरोना के समय से ही खराब है। परिवार भी इलाज का पूरा खर्च उठा पाने में असमर्थ है साथ ही वह सरकार से पेंशन की उम्मीद भी करते हैं। क्या ऐसे में सरकार उन्हें इलाज के लिए मदद नहीं कर सकती?

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