बोलेंगे बुलावाएंगे हँस कर सब कह जाएंगे के हमारे इस शो में हम समाज की रूढ़ीवादी सोच और परम्पराओं को नारीवादी चश्में के नज़रिये से दिखाते हैं।
इस बार हमने सोचा कि क्यों न पुरुषों के मुद्दे पर बात की जाए।
अगर हम कभी किसी डाकू की कल्पना करें तो हमारे मन में एक तस्वीर बनती है, बड़ी-बड़ी मूँछों वाला, लंबा-चौड़ा शोले की फिल्म के गब्बर सिंह वाले व्यक्ति की लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। बड़े बुजुर्गों से सुनते थे कि जिनकी मूंछ है उसी की बात में पावर यानि शक्ति है। मान मर्यादा को भी मूंछ से जोड़ा जाता। समय के साथ जैसे फैशन में बदलाव आया मूंछों का भी दौर खत्म होता दिखा। लोगों ने क्लीन शेव रखना शूरू कर दिया। जो क्लीन शेव होते थे उनका मज़ाक भी लोग खूब उड़ाते थे।
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फिर फ़ैशन बदला। युवा लड़कों ने हल्की शेव रखना शूरू कर दिया। इस समय बहुत से लोग हल्की शेव में दिखते हैं। ये तो एक उदाहरण था। असल बात तो ये है कि अगर पुरुषों की मर्दानगी मूंछों में है तो क्या जिन पुरुषों या लड़कों के पुरुष नहीं है, वे मर्द नहीं है? उनमें पावर नहीं है? उनकी बात में दम नहीं है ?
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