खबर लहरिया Blog कविता : मेरी चाहत – मैं भी पत्रकार सीरीज़

कविता : मेरी चाहत – मैं भी पत्रकार सीरीज़

मेरी चाहत

मैं जीना चाहती हूं
मैं होना चाहती हूं
वो जो मैं हूँ
मैं लांघ देना चाहती हूं
वो सामाजिक मर्यादाएं
जिससे मेरा दम घुटता है।

मैं होना चाहती हूं मुक्त
इस समाज के फेंके गए कटु व्यंगों से,
तीक्ष्ण बाणों से,
जो चलते हैं सिर्फ स्त्री पर
या फिर उन पर जो सुंदरता
के दायरे से बाहर हैं।

उनके लिये सुंदरता के मायने कुछ और ही है,
उनके लिये वो दिखने में भद्दी है
रंग में काली है, मोटी है, कद में छोटी है

मैं नहीं बंधना चाहती उनके बनाये हुए खांचों में
जो नहीं बनने देना चाहते
जो मैं हूँ या जो मैं होना चाहती हूँ

कवयित्री – सुचित्रा

 

 

सुचित्रा

मेरा नाम सुचित्रा है, मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से M.A Hindi किया हुआ है। मुझे कविता लिखने में रूचि मेरे साहित्य पढ़ने के दौरान हुई। मुझे अपनी भावनाओ को शब्दों में प्रकट करना अच्छा लगता है। जो भी मेरे आस-पास या मेरे भीतर घट रहा होता है मैं उसे छोटी कहानियाँ और कविताओं में लिखने का प्रयास करती हूँ।

( सुचित्रा ने खबर लहरिया के 20वें साल पूरे होने पर चलाई जा रही ‘मैं भी पत्रकार’ सीरीज़ के तहत अपनी यह कविता भेजी है।)

खबर लहरिया के बारे में मैंने अपने व्हाट्स ऐप ग्रुप में देखा। प्रोजेक्ट मुक्ति ज़िंदगी फेलोशिप के नाम से है जिसमें मैं भी शामिल हूँ। वें इस तरह की जानकारी ग्रुप में साझा करतें है जो समाज के लिए काम करता है तभी से मैंने खबर लहरिया बारे में जाना, पढ़ा और देखा।

मार्च 2022 में मैंने जब पढ़ा तब से मैंने इसके बारे में पढ़ना और इसकी वीडियो देखनी शुरू की। मुझे इससे जुड़े 2 महीने हो गए है।

खबर लहरिया ग्रामीण क्षेत्र में घट रही घटनाओं को बारीकी से दिखाता है और ग्रामीण महिलाओं को पत्रकारिकता के क्षेत्र में आगे बढ़ा कर उनको आत्मनिर्भर बनाता है। मुझे यह देख कर बहुत खुशी होती है कि वहाँ की महिलाएं कितनी बखूबी ढंग से समाचार का वर्णन करती है। बाकी मिडिया जो पैसों के लिए सिर्फ बड़े शहरों की खबर दिखाते हैं खबर लहरिया इन से इतर उन लोगों की समस्याओ को दिखा कर इन पर कार्यवही करवाने पर मजबूर कर देती है।

मैं बस इतना कहना चाहती हूँ, खबर लहरिया यूँ ही ऊँची बुलंदियों तक जाए और ग्रामीण क्षेत्र में काम करें। लोगों तक इसका नाम फैले। महिलाओंं को भी इस से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ग्रामीण महिलाओंं को पत्रकार के रूप में देख कर हमारे भीतर भी एक जज्बा जाग्रत होता है कुछ करने का – सुचित्रा। “

 

( अगर आप भी खबर लहरिया के 20वें साल की ख़ुशी में हमारे “मैं भी पत्रकार” सीरीज़ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आप भी हमें  अपना लेख यहां भेज सकते हैं। )