खबर लहरिया जवानी दीवानी शहीद दिवस: क्यों भूल गए बापू के आदर्शों को?

शहीद दिवस: क्यों भूल गए बापू के आदर्शों को?

गाँधी की पुण्यतिथि

आज यानी 30 जनवरी को हम शहीद दिवस मनाते हैं. क्योकि आज ही के दिन 1948 में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. वैसे हमारे देश में और भी कई तारीख है जब शहीद दिवस मनाया जाता है. जैसे 23 मार्च, 21 अक्टूबर, 27 मई ,17 नवम्बरऔर 19 नवम्बर। हर दिन एक वीर शहीद के नाम है

आज पूरा देश उनके सम्मान में उनकी प्रतिमा पर फूल माला चढ़ा रहे हैं।  सम्मलेन में  सत्य और अहिंसा पर भारीभारी भाषण दिए जा रहे हैं लेकिन क्या हम उनके सिद्धांतों और उदेश्यों पर खड़े उतर पाए है ? वो गांधी जिन्होंने आजादी के लिए अपनी साड़ी सुख सुविधाओं को त्याग कर खादी धारण किया। अच्छी शिक्षा और नौकरी होने के बाद भी भूख हडताल को अपनाया।

 

ऐसा किस्सा जी बैरिस्टर को बापू बना दिया 

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी को भारतीय होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा था।शुरू  में उन्हें  फस्ट एसी की टिकट होने के बाद भी  थर्ड एसी  डिब्बे में सफर करने को कहा गया जब उन्होंने इंकार किया तब उन्हें  ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई  कठिनाइयों का सामना किया जिसमें कई होटलों में उनका जाना मना कर दिया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं मे है कि एक अदालत के जज  ने गांधी जी को अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे गांधी जी ने नहीं माना। ये सारी घटनाएं गांधी जी के जीवन में एक मोड़ बन गई और उनकी नै शुआत हुई वो भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई सत्याग्रह के माध्यम और अहिंसा के सिद्धांत पर ली थी. उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। गाँधी: सिर्फ एक मरीचिका! बापू के 150वें जन्मदिवस पर ख़ास | KhabarLahariya

हम गांधी जी को राष्ट्र पिता या बापू भी कहते हैं. लेकिन क्या आपको लगता है हम आज जिस राह पर चल रहे है हमारा देश जिस ओर जा रहा है बापू ने ऐसे भारत की कल्पना की थी ? शायद नहीं आज हम उनके कुछ विचार आपको फिर से बता रहे हैं.

  गांधी के विचार

 –मैं उसे धार्मिक कहता हूं जो दूसरों का दर्द समझता है

व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है

कमजोर कभी माफ़ नहीं कर  सकता है. माफ़ी ताकतवर व्यक्ति की निशानी है

मैं उसे धार्मिक कहता हूं जो दूसरों का दर्द समझता है 

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अंधा हो जाता है तो मर जाता है

आप मानवता में विश्वास मत खोइए. मानवता सागर की तरह है; अगर सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो सागर गंदा नहीं हो जाता

हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादातर समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त होगा

किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं. कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है.

पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं.

प्रत्येक धर्म के मूल में सत्य और प्रेम होता है। 

गांधी जी का कहना था किकुरान‘, ‘बाइबिल‘, ‘जेन्दअवेस्ता‘, ‘तालमुड‘, अथवागीताकिसी भी माध्यम से देखिए, हम सबका ईश्वर एक ही है, और वह सत्य तथा प्रेम स्वरूप है। 

लेकिन  देश उनकी ही सीख को भूल चूका हैहम हिन्दू मुस्लिम के नाम पर लड़ रहे हैं। इतनी नफरत तो ऐसी हिंसा तो नहीं सिखाई थी उन्होंने. लोग गौ रक्षा के नाम पर लॉन्चिंग करते हैं. गांधी जी भी गायों को भी ख़ूब प्यार करते थे लेकिन उनका प्यार गायों की देखभाल करना था. इसका मतलब यह कभी नहीं था कि गायों की सुरक्षा के नाम पर आप किसी की हत्या कर दें.आपको पता होगा जब गांधी जी ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी वो भी अहिंसा के रास्ते से यानी शान्ति से. उनके विरोध का तरीका भूख हड़ताल और सत्याग्रह था जो प्रभावी रहा. हमारे बापू ने हमें बिना किसी हिंसा के बहादुरी से लड़ना सिखाया. अगर यह संभव नहीं हो तो उन्होंने हाथ उठाने की सलाह भी दी थी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग भीड़ बनकर किसी पर हमला कर दें. उन्होंने हमें विरासत में प्रेम और सौहाद्रता दी है. हमें ये मानने की ज़रूरत भी नहीं है कि गांधीजी के पास दुनिया की सभी समस्याओं के हल थे. लेकिन उनका प्रेम, त्याग, दूसरों पर भरोसा  का संदेश आज के असुरक्षित समय और कलह से भरी दुनिया में सिर्फ किताबी बाते बन कर रह गई है.