खबर लहरिया चुनाव विशेष मैनपुरी उपचुनाव 2022 : क्या इस बार अपनी सीट बचा पाएगी सपा ? राजनीति रस राय

मैनपुरी उपचुनाव 2022 : क्या इस बार अपनी सीट बचा पाएगी सपा ? राजनीति रस राय

नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सब। मैं मीरा देवी खबर लहरिया की प्रबन्ध संपादक अपने शो ‘राजनीति रस राय’ में आपका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं। सपा पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हैं। 5 दिसम्बर को मतदान और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। 1996 के बाद से यह सीट सिर्फ सपा पार्टी की ही रही है। सपा के इस किले को ढहाने के लिए बीजेपी पार्टी ने कई बार सेंधमारी की लेकिन मुलायम सिंह की रणनीति के चलते हर बार फेल रही।

इस सीट पर सपा पार्टी से डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। डिंपल यादव ने अपने चाचा ससुर को मना लिया है उनके चुनाव प्रचार के लिए। चाचा भी बहू के लिए चुनाव प्रचार के लिए मान गए हैं। चाचा भतीजे के बीच होने वाली लड़ाई में गवाह बनने की अपील की। अब इस बात पर दोनों परिवार सिर्फ सपा पार्टी के लिए चुनाव लड़ेंगे वरना शिवपाल सिंह यादव अपनी पार्टी से लड़ते तो सपा पार्टी को नुकसान हो सकता था। मतदाता बंटने से और इसका फायदा बीजेपी पार्टी मिल जाता क्योंकि यह चुनाव अब सपा बनाम बीजेपी हो चुका है। बीजेपी ने पूरी तैयारी कर ली है इस सीट को अपने नाम करने के लिए।

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दोनों उपमुख्यमंत्री की चुनावी रैली के बाद कल मतलब 28 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करहल में चुनावी रैली की है। अपनी पार्टी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य के लिए वोट की अपील की है। दिलचस्प बात यह है कि करहल से अखिलेश यादव विधायक हैं और उन्होंने एक चुनावी रैली में कहा था कि वह 2024 में कन्नौज सीट से चुनाव लड़ेंगे। बस इस बात का फायदा उठाते हुए और करहल के मतदाता को यह एहसास दिलाने के लिए बीजपी यह कहने की कोशिश कर रही है कि अखिलेश यादव कभी करहल के मतदाताओं का भला नहीं चाहते तो सपा पार्टी को क्यों वोट करें।

सपा पार्टी के सामने इस सीट को हर हाल में जीतने की कोशिश करने के पीछे कई वजहे हैं जिसमें सबसे बड़ा कारण मुलायम सिंह यादव की विरासत है। समाजवादी पार्टी की जीत यूपी की राजनीति में भी गहरा असर डालने वाली है। सपा की जीत से साबित हो जाएगा कि यही पार्टी प्रदेश में बीजेपी को टक्कर दे सकती है। साथ ही 2024 के लिए बीजेपी के सामने समाजवादी पार्टी ही यूपी में सबसे बड़ी चुनौती होगी। अगर बीजेपी इस सीट को जीतने में कामयाब होती है तो यूपी की राजनीति में एक और किला टूट जाएगा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का सबसे मजबूत किला अमेठी को बीजेपी जीत चुकी है।

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