खबर लहरिया औरतें काम पर इंसानियत की जीती जागती तस्वीर लखीमपुर खीरी से

इंसानियत की जीती जागती तस्वीर लखीमपुर खीरी से

मुस्लिम महिला ने रोजा तोड़ किया हिन्दू युवक के लिए रक्त दान

किसी गरीब, जरूरतमंद और बीमार को जरूरत पड़ने पर रक्त दान देकर उसकी जान बचाना इंसानियत का बेहतरीन तरीका है।गरीब, जरूरतमंद और बीमार को खून देकर मदद करना, उनकी सेवा करना हर धर्म का यही संदेश है। नफरतों से भरे इस माहौल में भी ऐसी ही इंसानियत की जीती जागती तस्वीर लखीमपुर खीरी जिले से सामने आई है। इस मुसीबत की घड़ी में एक मुस्लिम महिला ने रोजा तोड़कर एक हिन्दू युवक को खून डोनेट किया और उसकी जान बचाई।

समाचार पत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लखीमपुर खीरी शहर के मोहल्ला मिश्राना के रहने वाले विजय कुमार रस्तोगी की हालत अचानक खराब हो गई। जिला अस्पताल लाया गया तो कहा गया कि उन्हें ब्लड की सख्त जरूरत है। विजय को पॉजिटिव ब्लड की जरूरत थी। ब्लड बैंक में भी इस ग्रुप का खून न होने के कारण समस्या बढ़ गई. परिजन परेशान भटक रहे थे। और भटकना इसलिए भी ज्यादा पड़ा की लॉकडाउन के चलते सारे हॉस्पिटल बंद हैं इससे कहीं किसी से संपर्क भी नहीं किया जा सकता था ब्लड बैंक में काम करने वाले सुशांत सिंह ने निस्वार्थ सेवा समिति चलाने वाले जसपाल सिंह पाली से सम्पर्क किया। लोगों की मदद से हिदायत नगर की अलीशा खान से संपर्क हुआ जिनका ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप है ये वही अलीशा खान हैं जिनकी चर्चा आज सोशल मिडिया पर हो रही है। इनके इस नेक काम से इन्हें काफी सराहना मिल रही है।

ऐसा बताया जा रहा है की ब्लड डोनेट करने की बात कही तो पहले अलीशा ने रोजों का हवाला दिया। पर जब उन्हें मरीज की हालत का पता चला तो वे एकदम राजी हो गईं। इंसानियत का तकाजा था सो रोजे तोड़कर अलीशा ने ब्लड डोनेट किया, जो विजय रस्तोगी को चढ़ाया गया। विजय की हालत अब ठीक है। शायद यही है असली हिन्दुस्तान। जो इस कठिन समय में लोग धर्म जाति का भेदभाव छोड़कर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।साथियों इस मुसीबत की घड़ी में हम एक दूसरे के साथ खड़े हो मुसीबत की घड़ी में काम आये यही सबसे नेक काम है। यही इंसानियत है और कोई इसे अपने अपने स्तर से बखूबी निभा रहे हैं।