खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट जमीन ने ली लक्षमण की जान देखिए जासूस य जर्नालिस्ट एपिसोड 14

जमीन ने ली लक्षमण की जान देखिए जासूस य जर्नालिस्ट एपिसोड 14

उत्तर प्रदेश सरकार भले ही  क्राइम कम होने की बात कर रही हो  पर  उत्तर प्रदेश के आंकड़े क्राइम में सबसे आगे आपको मिलेंगे  क्राइम रोकने के लिए  सरकार ने  एंटी भू माफिया जैसी  टीम  गठित की है  पर यह टीम  कहीं भी नजर नहीं आ रही है  छोटी-छोटी विवाद को लेकर  बड़े-बड़े क्राइम  हो रहे हैं  प्रशासन  क्राइम को रोकने में नाकामयाब  साबित हो रही है  जी हां  ऐसी  क्राइम की स्टोरी लेकर आज मैं आई हूं आपके साथ तो पूरी स्टोरी देखने के लिए आप बने रहे मेरे साथ जासूस या जर्नलिस्ट पर
दोस्तों मामला अजनर थाना क्षेत्र के धवर्रा गाँव का है, जिसमे 11 जुलाई को 60 साल के लक्ष्मण की मौत हो गई है। परिवार वालो ने गांव के संतू, मुल्लू, और तरुण ठाकुर, के ऊपर हत्या का आरोप लगाया था। पुलिस मौके पर पहुची शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जांच करने और तहरीर के आधार पर मुकदमा लिख कार्यवाही करने की बात कर रही थी। पुलिस ने मुकदमा भी लिखा और अपराधियों को जेल भी भेजा।
पर ये मामला यही शांत नही हुआ,
मृतक लक्ष्मण के बेटे ने बताया कि वह एक हाथ से विकलांग है मांग मांग कर वह अपने परिवार का भरण पोषण करता है। उसके पिता उसके साथ देते थे। गांव में ग्राम समाज की जमीन पड़ी हुई थी। इसमें वह 12 साल से कब्जा किए हुए है, इसके चलते हैं गांव के लोग विरोध करते थे, और 11 जुलाई की रात को तीनों लोगों ने मिलकर कुल्हाड़ी और डंडों से मारकर अधमरा छोड़ दिया। यह बात हमें सुबह पता चली, जब हम मौके पर पहुंचे तो पिताजी ने खुद अपने बयान पर तीनों लोगों के नाम लिए और थोड़ी देर बाद उनकी मौत हो गई।
 यह लडाई सिर्फ जमीन में अवैध कब्जा कर घर बनाने की नही थी, बल्कि यह लड़ाई अवैध जमीन में खेती करने की भी है।
  क्योंकि लक्ष्मण ने इसी जमीन में पानी के लिए कुआँ खोदा था, अच्छा पानी था तो सोचा कि बची हुई जमीन में खेती कर ले जिससे खाने के लिए कुछ होगा।
अब धर्मराज ने क्या सोचा कि यह वर्मा जाति के है, और गरीब है, फ्री में रहने के लिए जमीन मिल गई, अब उसी में ये खेती करने की सोच रहे है, यह तो आगे बढ़ जाएगा। इसलिए उसने यह प्लान बनाया की उसके साथ मारपीट करके घमकाया जाएगा तोयह खेती नही करेगा, और जमीन छोड़ देगा। उसके मन मे यह भी आया कि वह दलित है तो बड़ा केस लग जायेगा, इसलिए उसने दो दलित जाति के सन्तु और मुल्लू नाम के ब्यक्ति को भी भड़काया और अपने साथ शामिल कर लिया।
लक्ष्मण के भतीजे दामोदर ने बताया कि वह खेत मे झोपड़ी बना कर अकेले रहता था, क्यों की जमीन में वृक्षारोपण किया था। बाकी के लोग गाँव भीतर रहते थे। अकेला जानकर उसके साथ मारपीट की, यह जानकारी हमे सुबह पता चली दुसरो के जरिये।
यह कोई पहली लड़ाई नही है जिसमे लक्ष्मण की मौत हुई है, इस मौत के पीछे प्रशाशन की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
पीड़ित परिवार ने बताया कि
चिढ़ की वजह से लोगो ने खेत मे लगे पेड़ उखाड़ फेंके, खेत जुताई के लिए टैक्टर लेकर गए तो मारपीट कर गाली गलौज दी और भगा दिया। जब हम तहरीर लेकर चौकी गए तो जमीन पर अवैध कब्जा बता कर भगा दिया। अगर पुलिस पहले से चेत लेती तो शायद लक्ष्मण की जान नही जाती।
हालांकि यह सूचना मिलते ही कुलपहाड़ सीओ, अजनर थाना की पुलिस मौके पर पहुँची, मुकदमा भी लिखा, अपराधी जेल भी गए,
पर क्या लक्ष्मण की जान वापस आ सकती है। क्या लक्ष्मण के विकलांग बेटे का सहारा बनेगा। पुलिस ने यह कारवाही पहले क्यों नहीं कि।
अभी भी विपक्षी पार्टी पीड़ित परिवार को धमका रहा है, राजीनामा का दबाव बना रहा है। पीड़ित परिवार डर की वजह से उस खेत मे जाना बंद कर दिया है।
ऐसी स्थिति में सरकार कैसे दावा कर सकती है क्राइम कम हुआ है।  कहा गई थी एंटी भूमाफिया टीम।
यह मामला कैसे नही निपटा पाई टीम।