खबर लहरिया Blog ललितपुर: आवास मिलने की उम्मीद में पन्नी डालकर रह रहे ग्रामीण

ललितपुर: आवास मिलने की उम्मीद में पन्नी डालकर रह रहे ग्रामीण

यूपी के जिला ललितपुर के ब्लॉक जखौरा के गाँव खिरिया में कई परिवार ऐसे हैं जिनको मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास नहीं मिल पाया है, और परिणाम स्वरूप इन गरीब परिवारों को पन्नी डालकर रहना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में लोग आज भी बिना आवास पाए, झोपड़-पट्टी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सरकार की कई योजनाओं के चलाए जाने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे हज़ारों लोग इन योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। यूपी के जिला ललितपुर के ब्लॉक जखौरा के एक गाँव में भी ग्रामीण सालों से आवास के इंतज़ार में बैठे हैं। बता दें कि गाँव खिरिया में कई परिवार ऐसे हैं जिनको मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास नहीं मिल पाया है, और परिणाम स्वरूप इन गरीब परिवारों को पन्नी डालकर रहना पड़ रहा है।

प्रधान से लगाई गुहार लेकिन नहीं हुई कोई सुनवाई-

गाँव खिरिया के रहने वाले प्रताप का कहना है कि उनके मोहल्ले में आजतक किसी को भी आवास नहीं मिल पाया है। कई प्रधान आए और कई प्रधान चले गए लेकिन सबने बस आश्वासन ही दिया। इन लोगों ने कई बार आवास की मांग प्रधान से लेकर विभाग से करी परन्तु इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रताप का कहना है कि गाँव के ज़्यादातर ग्रामीण मज़दूरी करके घर चलाते हैं, ऐसे में लोगों के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि वो अपने घर के चारों ओर पक्की दीवार उठवा लें। गरीबी के कारण इन लोगों को पन्नी डालकर ही जीवन बिताना पड़ रहा है।

बारिश के मौसम में होती है सबसे ज़्यादा परेशानी-

इसी गाँव की निवासी शिव कुमारी ने हमें बताया कि बारिश के मौसम में पन्नी के नीचे रहना सबसे कठिन होता है। ये लोग हर साल बारिश शुरू होने से पहले नयी पन्नी बांधते हैं लेकिन आंधी-तूफ़ान में पन्नियां ज़्यादा दिन टिक नहीं पातीं। शिव कुमारी का कहना है कि गाँव में कई लोगों ने मिट्टी से झोपड़ी बना रखी है लेकिन बारिश के मौसम में उन लोगों की झोपड़ियां भी टपकने लगती हैं। यहाँ लोगों के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि वो टीन डालकर अपना सिर ढक सकें।

गाँव के दिनेश का कहना है कि यह लोग शहरों में जाकर मज़दूरी करके और खेतों की कटाई करके अपना घर खर्च निकालते हैं, इन लोगों का पास न ही ज़मीनें हैं और न ही घर बनाने के पैसे। दिनेश का कहना है कि सरकार ने योजनाएं तो बहुत बनायीं लेकिन गरीबों को उन योजनाओं का लाभ आजतक नहीं मिल पाया। न ही गरीबों की कोई सुनने वाला है और न ही कोई मदद करने वाला। महंगाई भी इतनी बढ़ गयी है कि लोग दिनभर की कमाई में से कुछ बचा नहीं पाते हैं। वो चाहते हैं कि प्रशासन उनके गाँव में जल्द से जल्द लोगों को आवास उपलब्ध कराए।

गाँव के कई लोगों ने बताया कि यहाँ पर करीब 100 परिवार ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कई परिवारों का तो लॉकडाउन के चलते रोज़गार छिन गया है और अब वो लोग कोई छोटी-मोटी मज़दूरी करके दिनभर में बस 100-200 रूपए की कमाई कर पाते हैं। इन लोगों का कहना है कि गाँव के प्रधान ने कई बार ग्रामीणों को यह आश्वासन दिलाया कि इस बार आवास मिलने वालों की लिस्ट में उनका नाम ज़रूर होगा परन्तु जब लिस्ट आयी तो ग्रामीणों के नाम उसमें नहीं थे। देवी सिंह का कहना है कि 2 साल पहले गाँव के कुछ लोगों ने ललितपुर जाकर जिला अधिकारी को ज्ञापन भी दिया था और डीएम ने तब यह कहा था कि अगर वो लोग आवास की पात्रता में आते हैं तो उन्हें आवास ज़रूर दिलवाया जाएगा परन्तु सालों गुज़र गए न ही कभी कोई जांच करने उनके गाँव आया और न ही किसी को आवास मिला। यह लोग अब शिकायत करते करते और इधर उधर भटकते हुए भी थक चुके हैं।

लॉकडाउन के चलते बजट आने में हो रही देरी-

जब हमने गाँव के प्रधान धर्मेंद्र से इस बारे में बात की तो उनका कहना है कि गाँव की आबादी लगभग 8 हज़ार है जिसमें से अब तक 55 परिवारों को पूर्ण रूप से तैयार आवास मिल चुके हैं। प्रधान का कहना है कि जितने लोगों के आवास नहीं बने हैं उनकी लिस्ट की सूची ब्लॉक जखौरा के खंड विकास अधिकारी के पास जमा करवा दी गई है। प्रधान ने बताया कि अभी विभाग के पास और आवास बनवाने का बजट नहीं आया है, लेकिन जैसे ही पैसे आते हैं, योग्य परिवारों के लिए आवास बनवाया जाएगा। प्रधान धर्मेंद्र का कहना है कि लोगों न उन्हें प्रधान चुना है और वो चाहते हैं कि वो लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरें। वो ग्रामीणों को आवास दिलवाने में अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।

सचिव व्रम कुमार रिछारिया का कहना है कि जब 2020 में आवासों को लेकर सर्वे हुआ था तब इस गाँव में 135 परिवार ऐसे पाए गए थे जो आवास के पात्र हैं। सचिव का कहना है कि आवास के लिए इन लोगों की सूची बनाकर पिछले साल ही ब्लॉक स्तर पर जमा करा दी गई थी परन्तु अभी तक वहां से कोई जानकारी नहीं आई है। सचिव ने बताया कि लगातार लग रहे लॉकडाउन के कारण भी आवास के लिए पैसे आने में समय लग रहा है। उनकी मानें तो जैसे ही कोरोना संक्रमण की स्थिति थोड़ी बेहतर होगी, वैसे ही बजट आने की उम्मीद है और तब जल्द से जल्द आवास बनवाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुषमा द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

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