खबर लहरिया चित्रकूट धान उगाने से लेकर चावल पकाने तक का सफर महिलाओं के साथ

धान उगाने से लेकर चावल पकाने तक का सफर महिलाओं के साथ

इस समय गांव मे किसान खेती की बुआई मे लगे हैं अगर गांव की महिलाओं का काम इस समय देखे तो उनके पास जरा सा भी समय नहीं होता सुबह चार बजे से उठ कर रात 10 बजे तक काम ही काम उनके लिए रहता है| सुबह उठना जानवरों को खाना देना बच्चों को स्कूल भेजना घर के काम करने इसके आलावा इस टाइम जो खेत का काम होता है| 
धान रोपाई का पहले उसे एक जगह इक्ठ्ठा बोना फिर वहां पर अनचाही उगी हुइ घांस को साफ करना पौधे थोड़े बडे होने पर फिर से उखाड कर उन्हें दुसरे खेत मे लगाना लगाते समय खेत मे भरे पानी मे गीली मिट्टी मे नंगे पैर रहना चाहे उसमे कोई जहरीला कीडा हो या कुछ पैर मे लग जाए बिना डरे वो बहुत खुशी के साथ धान के बेड लगाती हैं| मेहनत तो है ही चावल हम सिर्फ धोकर पका लेते हैं और कहते है चावल पकाना बहुत आसान हैं पर उन महिलाओं से पूछिये एक पौधे को चावल बनना कितना मुश्किल है| 
हमने चित्रकूट जिले की ब्लॉक कर्वी गांव कर्वी माफी की महिलाओं से कैसे होती है धान की फसल कितनी भागीदारी है इस फसल मे महिलाओं की तो पता चला महिलाएं ही धान की पूरी फसल मे काम करती हैं ज्यादातर रोल महिलाओं का होता बोआई निराई से लेकर धान की फसल को खेत से घर तक लाने मे पूरी मेहनत महिलाओं की होती है लेकिन बात करे किसान की तो महिलाओं को इतनी मेहनत के बात भी किसान का दर्जा नहीं मिलता किसान पूरूष ही कहलाए जाते हैं