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अब है हमारी ज़िम्मेदारी, धरोहरों की रक्षा में सबकी साझेदारी

विश्व धरोहर दिवस जिसे हम विरासत दिवस भी कहते हैं, हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व के लोगों में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है। यह दिवस लोगों को न ही सिर्फ हमारी सांस्कृतिक धरोहरों का महत्त्व समझाता है बल्कि उन्हें अपने आसपास मौजूद हर विशेष चीज़ को धरोहर के रूप में स्वीकारने में भी मदद करता है।
वैसे तो धरोहर हर वो चीज़ होती है जिसे हम अमानत की तरह अपना समझ कर उसकी रक्षा करते हैं। एक माँ के लिए उसके बच्चे उसकी धरोहर हैं, वहीँ एक शिक्षक के लिए ज्ञान असली धरोहर है। एक किसान को उसकी ज़मीन ही खाना-पानी रोज़गार देती है, इसलिए वो उसको ही अपनी धरोहर मानता है।
भारत की प्राचीन इमारतों की चमक बरक़रार रखने के लिए सरकार हर कोशिश करती है क्यूंकि यही तो हमारी सांस्कृतिक विरासत को बाकी देशों से अलग बनता है। लेकिन एक नागरिक होने के नाते यह ज़रूरी है कि हम हर प्रकार की धरोहर जैसे प्राकृतिक धरोहर जिसमें वन, नदियां शामिल हैं या अपने आसपास मौजूद सार्वजनिक सुविधाओं को भी धरोहर समझ कर संजो कर रखें।
तो चलिए जानते हैं कि लोग धरोहर किसे मानते हैं?