खबर लहरिया Blog भारत लगा सकता है चावल के निर्यात पर रोक, किसानों पर हो सकता है बड़ा असर

भारत लगा सकता है चावल के निर्यात पर रोक, किसानों पर हो सकता है बड़ा असर

भारत धान यानी चावल पर भी प्रतिबंध लगा सकता है। बता दें, भारत विश्वभर में गेहूं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। अगर भारत धान का निर्यात बंद कर देता है तो, वियतनाम और थाईलैंड जो दूसरे-तीसरे सबसे बड़े निर्यातक देश हैं, वह भी शायद ऐसा ही करें।

India may impose ban on export of rice, there may be a big impact on farmers

                                                                                 फोटो साभार – सोशल मीडिया

भारत ने कुछ समय पहले गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिससे पूरे विश्वभर के खाद्य बाज़ारों में हलचल पैदा हो गयी थी। अब जानकारी यह है कि भारत धान यानी चावल पर भी प्रतिबंध लगा सकता है। बता दें, भारत विश्वभर में गेहूं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।

कई रिपोर्ट्स के अनुसार, अब यह डर जताया जा रहा है कि नई दिल्ली भी चावल के शिपमेंट पर कटौती कर सकती है : भारत अब तक दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है।

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चावल का अधिक निर्यात होता है भारत से

                                                                           फोटो साभार – सोशल मीडिया

कम बारिश होने की वजह से इस साल भारत में धान की खेती पर काफी प्रभाव पड़ा है व इसके साथ ही धान के रकबे में भी गिरावट आई है। मनी कंट्रोल की 31 अगस्त की प्रकशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगर धान के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला करता है तो इससे विश्वभर को बहुत बड़ा झटका लग सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक चावल निर्यात का करीब 40 फीसदी भारत से होता है।

आने वाले समय में गेहूं और धान, दोनों की कीमतों को लेकर अटखानियां लगाई जा रही है।

क्या कहतें हैं अर्थशास्त्री?

नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने भारत और एशिया देशों की तरफ इंगित करते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई के चलते मक्के के भाव बढ़ गए। मक्के की कीमत बढ़ने की वजह से लोगों ने टूटे चावल के टुकड़े पशुओं को चारे के रूप देना शुरू कर दिया। अब इसका असर यह हुआ कि इससे मीट की कीमतें बढ़ गयीं।

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सरकार लगा चुकी है गेहूं के निर्यात पर रोक

मई 2022 में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। फिर इसके बाद सरकार ने 25 अगस्त को गेहूं के आटे के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई की वजह से वैश्विक स्तर पर खाने-पीने की चीज़ों के दाम बढ़ गए। वहीं इस साल पंजाब, हरियाणा और यूपी में भीषण गर्मी की वजह से गेहूं का उत्पादन भी प्रभावित हुआ था।

धान के निर्यात पर रोक, किसानों पर करेगा असर

डेकन हेराल्ड की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, धान के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना न सिर्फ अन्य गरीब देशों के लिए खराब है बल्कि यह खुद भारत के किसानों के लिए भी खराब है। रिपोर्ट में तंज के साथ कहा गया कि नई दिल्ली के अधिकारियों द्वारा सीमांत किसानों की रक्षा के नाम पर वैश्विक सम्मेलनों में बड़ी-बड़ी बातें कही जाती है। वहीं जब व्यापार नीति की बात आती है तो उनके कार्यों से यही पता चलता है कि वह शहरी खाद्य कीमतों को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं, कृषि लाभ को लेकर नहीं। जब सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगाई जाती है तो इससे किसानों को भी लाभ नहीं मिल पाता।

अगर भारत धान का निर्यात बंद कर देता है तो, वियतनाम और थाईलैंड जो दूसरे-तीसरे सबसे बड़े निर्यातक देश हैं, वह भी शायद ऐसा ही करें। ऐसे में सरकार से सही प्रकार से ज़िम्मेदारी निभाए जाने की उम्मीद की जा रही है।

यहां पर सरकार को यह देखने की बेहद ज़रुरत है कि भारत के कृषि क्षेत्र में चावल संकट का क्या अर्थ है? हालिया, हालातों को देखकर यही कहा जा रहा है कि आने वाले समय में चावल की कीमत बढ़ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सबसे ज़्यादा असर भारत के किसान, गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर ही पड़ेगा।

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